गुरुवार, 1 जुलाई 2010

क्या भाजपाई इशारे पर चलते हैं हिन्दुत्व के झंडा बरदार


सब कह रहे हैं गलत है
पर हिन्दू संगठन खामोश है!
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पिता स्व. ठाकुर विघ्नहरण सिंह के तेरहवीं कार्यक्रम में श्री भागवत गीता में छेड़छाड़ को लेकर आम लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त है वहीं हिन्दुत्व के नाम पर राजनीति करने वाले संगठनों को सांप सूंघ गया है और वे कुछ भी कहने से बचते रहे।
उल्लेखनीय है कि स्व. ठाकुर विघ्नहरण सिंह के तेरहवीं कार्यक्रम में ठाकुर साहब की तस्वीर वाली गीता का वितरण किया गया था। इसे लेकर आम लोगों में भारी रोष है। इस मामले में पंडित आशुतोष मिश्रा का कहना है कि तेरहवीं कार्यक्रम में इस तरह से स्वर्गीय व्यक्तियों की तस्वीर लगाकर गीता वितरित की जाती है वह गलत है लेकिन जिसके ऊपर धर्म की रक्षा का दायित्व हो वह भी इस तरह की हरकत करे तो न केवल यह पाप है बल्कि दंड का भागीदार भी है।
दूसरी तरफ राजधानी के कई हिन्दू संगठन विश्व हिन्दू परिषद, धर्मसेना, शिवसेना, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सहित छोटे-छोटे कई संगठनों के पदाधिकारियों से हमने इस मामले में प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन इनके द्वारा प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। गीता सखा प्रेस के मन्नूलाल यदु ने जरूर कहा कि धर्मग्रंथों में अपने पूर्वजों की तस्वीर लगाने से धर्मग्रंथ का अपमान नहीं होता। दूसरी तरफ हिन्दू संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं धर्म के नाम पर हाय तौबा मचाने वालों की चुप्पी को लेकर अब यह सवाल उठने लगा है कि भाजपा को छोड़ यदि कोई दूसरा धर्मग्रंथ का अपमान करेगा उसके खिलाफ ही आवाज उठाई जाएगी।
नीराबाई चंद्राकर- ग्राम पंचायत दुधिया की सरपंच श्रीमती नीराबाई चंद्राकर का कहना है कि भागवत गीता में जिस किसी ने यह फोटो डाला है। उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जो हमारे हिन्दु धर्म के लिए शर्म की बात है।
पं. अर्जुन महाराज जी कवर्धा निवासी है जो राधा माधव गौ सेवा समिति बोलबम अध्यक्ष, सीताराम संर्कीतन संस्थापक, जिला वृक्षारोपण समिति के सरंक्षक है। उन्होंने इस कृत्य के लिए भर्त्सना करते हुए कहा कि यह एक निंदनीय कार्य है। इस तरह किसी भी धर्मग्रंथों में फोटो डलवाना अशोभनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष डा. रमन सिंह जी के माता जी का फोटो हनुमान चालीसा में डाला गया था। इसका विरोध हिन्दु धर्म अनुयाइयों को करना चाहिए। रामायण भागवत गीता में इस प्रकार फोटो छपवाना घोर अपराध है। इस तरह से हिन्दु धर्म ग्रंथ को अपमान करने का हक किसी को नहीं है।
पं. द्वारिका महाराज- लोहारा रोड में स्थित सिध्दपीठ मां विन्ध्यवासिनी मंदिर के आचार्य ने श्रीमद् भागवत गीता में स्व. ठा. विघ्नहरण सिंह जी का फोटो देखकर कहा कि यह अधिकार इन्हें किसने दिया। अगर बांटना ही था तो अलग से बांट देते इस तरह से धर्मग्रंथ का अपमान करने का हक किसी को नहीं है।
पं. रविशंकर मिश्रा- गीता भगवान की कृष्णा की अलौकिक शक्ति का श्रोत है जो कि उनके श्रीमुख से निकला हुआ सृष्टि कल्याणार्थ अनुपम ग्रंथ है जिसके ऊपर न जाने कितने मनुष्य ने टीकाकरण किए और गाथा चारो वेद गाती है। ऐसा धर्मग्रंथ किसी की बपौती नहीं है। चाहे वह मुख्यमंत्री हो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हो। ये निंदनीय कृत्य है। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की इस गलती के लिए उन्हें सार्वजनिक रुप से माफी मांगकर प्रायश्चित करना चाहिए।
पं. देवीप्रसाद शास्त्री- इस तरह पवित्र धर्मग्रंथों में फोटो डलवाना घोर पाप है। हो सकता है यह व्यवस्थापक की गलती हो। फिर भी यह एक नासमझी का प्रतीक है। यह एक निंदनीय कार्य है।
पं. श्री विनोद तिवारी जी- यह कृत्य श्रीमद् भागवत गीता का घोर अपमान है। यह धर्मग्रंथ के साथ छेड़छाड़ है। यह अधिकार किसी को नहीं है।
पं. कन्हैयाप्रसाद मिश्रा जी ने श्रीमद् भागवत गीता में छपे फोटो को देखते ही कहा कि यह पद का दंभ है, यह एक घृणित कार्य है। यह हिन्दुओं का पवित्र ग्रंथ है। इसके साथ खिलवाड़ अशोभनीय है।
पं. शिव पाण्डेय ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता या रामायण किसी भी महान धर्मग्रंथों में इस प्रकार फोटो छपवाकर हिन्दु धर्म आस्था में ठेस पहुंचाना है। यह एक अनापेक्षित राजनीति है।
हरिप्रसाद पाठक ने कहा कि यह पूर्णत: अनुचित है। आज मुख्यमंत्री है। डा. साहब तो स्व. विघ्नहरण जी का फोटो गीता में छपवा दिए कहीं प्रधान हो जाएंगे तो अपना फोटो धर्मग्रंथों में छपवाकर न बंटवा दें।
यस वर्धन (नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस) जगदलपुर
ब्ण्डण् के पिता हो या प्रधान मंत्री के पिता यह कृत्य गलत है किसी को भी यह अधिकार नही की पवित्र ग्रंथ में फोटो छपवा कर बटायें मुख्य मंत्री रमन सिंह के जिस भी उददेष्य से यह परम्परा शुरू कि हो वो चाहे अपनें प्रचार के लिए हो या अपनें पिता को भगवान का दर्जा दिलानें के लिए हो यह सरासर एक धार्मिक ग्रंथ का अपमान है इसकी हम निंदा करते हैं।
तरसेम सिंह गिल(नगर पालिका उपाध्यक्ष) कोंण्डागांव.
धार्मिक ग्रंथ वो चाहे किसी धर्म का हो इस तरह से उसके अपमान करना वो भी राय के मुखिया द्वारा यह कृत्य गलत है और हम इसकी निंदा करते हैं।
मोहन मरकाम कोंण्डागांव.
राय के मुखिया सत्ता के नषे में चुर हो कर पवित्र ग्रंथ का अपमान सम्मान का अर्थ ही भुल गये हैं ये धर्म कि बात है हम इसकी निंदा करते हैं।
मनीश श्रीवास्तव कांग्रेसी कोंण्डागांव.
लगता है डां रमन सिंग दुसरी पारी में अपनें आप कों भगवान समक्षनें लगे हैं इतिहास में कभी आज तक एैसा नही हुआ रमन सिंग जी भले ही अपनें पिता को भगवान समक्षते हों मगर पवित्र धार्मिक ग्रंथ का अपमान करनें का उन्हें कोई हक नही।

ठेकेदार की उदासीनता से रोड निर्माण में विलंब

ठेकेदार की उदासीनता से रोड निर्माण में विलंब
सिमगा। ग्राम पंचायत जर्वे में सीसी रोड के लिए 2008 में टेडर पास हो गया है लेकिन इसका ठेका संजय अग्रवाल ने लिया है लेकिन लापरवाही के कारण अभी तक कार्य रुका हुआ है। इससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरपंच राधेश्याम का कहना है कि जब वे उनसे इस बारे में बात करते हैं तो वो बात को न ध्यान देते हुए बाहर में बेवजह 2-3 घंटे बिठा कर रखते है उसके पश्चात सिर्फ सान्तवना देते है और फोन करने पर भी कोई जवाब नहीं देते। उनसे मिलने के लिए उनके ऑफिस मेलियन प्लाजा जाने पर लापरवाही बरतते है। शासन से आग्रह करते हैं इसके बारे में तत्काल कार्यवाही करें।

कोसा बुनकरों का पलायन

रायगढ़। कोसा के कपड़े के लिए रायगढ़ जिला प्रसिध्द रहा है यहां से कोसा कपड़े देश के बड़े शहरों एवं विदेशों में भी भेजा जाता रहा है। यहां के कोसा साड़ी आज से 30 वर्षों पूर्व रुपए 125 में बिका करता था और कोसा जीन कपड़ा 6 मीटर का 10-10 तार का 150 रुपए मूल्य था। महंगाई बढ़ते गया और बुनकरों का व्यवसाय रोजी रोटी बिगड़ता गया। वर्ष 1970 में राय वस्त्र निगम रायगढ़ डीपो में बुनकरों का बनाया कोसा कपड़ा और साड़ी जमा होता था प्रदेश के राय वस्त्र निगम ने बुनकरों का कोसा वस्त्र खरीद कर बाहर भेजा करता था वर्ष 2000 में कुछ व्यक्तियों के द्वारा गलत कोसा मिलावटी याने पोलिस्टर धागों से बने कपड़े को भी कोसा के नाम से जमा किया और कोसा वस्त्र निगम के अध्यक्ष बने श्री जगदीश प्रसाद मेहर ने मनमाने कीमत पर खरीदी और इकट्ठा होने लगा। तब कोसा कपड़ा बदनाम होते फिर दो वर्ष में ही यहां का राय वस्त्र निगम बंद हो गया। तब से बुनकर जाति (कोस्टा) के कुशल बुनकर समुदाय ने बुनाई बंद कर दिया और अन्य साग सब्जी, रेडीमेट वस्त्र बिक्री करना प्रारंभ किया। कुछ बुनकरों ने तो रिक्शा चला कर परिवार का पालन पोषण करते रहा है। कोसा का कपड़ा का व्यापार दूसरे जाति के लोग अपना लिए है और असली कोस्टा जाति के लोग मजदूरी करते नजर आते हैं। शासन का ध्यान इस कोस्टा जाति के पुन: निर्माण संचालन पर कोई ध्यान नहीं है। शासन के योजनाओं का लाभ बुनकर नहीं उठा पाए आज तक।
राय शासन ने शासकीय बुनकर सहकारी समिति बनाए किन्तु अध्यक्ष सचिव ने योजना का लाभ उठाया लखपति बन गए है किन्तु कोस्टा जाति बनकर भी नहीं रह सके। मात्र अंगूठा निशान लगाने लगते रहें। यहां के हाथ करधा कार्यालय में मात्र एक लघु हाथ करघा उद्योग ही जीवित है जो बीमार पड़ा है। राय शासन का ध्यान इस कोस्टा जाति बुनकर समुदाय पर देने और बुनकर जो पूर्वजों को द्वारा बनाए रोजगार को पुन: जीवित करने दूसरों के मजदूरी करने को मजबूर कोस्टा जाति के लोग अपने वस्त्र निर्माण में लगे शासन को ध्यान देने योजना बनाना लागू करना अति आवश्यक हो गया है। क्योंकि कोस्टा जाति के लोग ही कोसा वस्त्र निर्माण कर देश में और विदेशों में शासन के द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग लेकर ही कोसा वस्त्रों का निर्यात करने की क्षमता भी रखते हैं। आज की गरीबी में कोसा साड़ी 1500 रुपए से लेकर 15000 कीमत और कोसा कपड़े 150 रुपए प्रति मीटर से उपर चल रहा है।

दिनेश की हत्या का संदेह

सिमगा। ग्राम पंचायत रावन के सरपंच ने पिछले दिनों भालू कोना मार्ग पर 20 वर्षीय दिनेश वर्मा की मौत पर हत्या का संदेह व्यक्त करते हुए जांच की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में सरपंच शिव करसायल ने कहा कि दिनेश के पिता बजरंग वर्मा ने उससे हत्या का संदेह व्यक्त कर सुहेला पुलिस से जांच की मांग की है।