गुरुवार, 13 मई 2021

घोर लापरवाही का ब्लैक फंगस...

 

कोरोना से जंग जीत चुके लोगों में ब्लैक फंगस का कहर साफ बतलाता है कि ईलाज के दौरान अस्पतालों में घोर लापरवाही हुई है, इतने बड़े सबूत के बाद भी अस्पतालों को एक नोटिस तक नहीं दिया जाना साफ बतलाता है कि सत्ता किस कदर लापरवाह है और अस्पतालों में मरीजों के साथ किस तरह की लापरवाही हो रही है।

भिलाई में एक अधेड़ की ब्लैक फंगस से मौत हो गई। आज के अखबारों में यह खबर सुर्खियों में है जबकि ब्लैक फंगस का शिकार 15 मरीजों का एम्स में ईलाज चल रहा है। यह कई राज्यों में कहर बरपा चुका है। दरअसल कोरोना के ईलाज के दौरान सिस्टमिक स्टेरॉयड का प्रयोग किया जाता है। मरीजों को जल्दी ठीक करने के चक्कर में कई बार इसका गलत प्रयोग कर दिया जाता है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा भी था कि कोविड के उपचार के शुरुआती चरणों में ही स्टेरॉयड लेने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं लेकिन इसे नजरअदांज कर शुरुआती दौर में ही स्टेरॉयड के हाई डोज दिए गए। दिक्कत यह है कि कोविड के ईलाज के लिए सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन का यह हिस्सा है जिसकी वजह से कई अस्पतालों में इसका मनमाने ढंग से उपयोग हुआ। रिकवरी ट्रायल में कोविड के कारण हास्पिटलाईज्ड मरीजों में तथा रेस्पिरेट्री फैल्योर के कारण जिनकों बाहरी आक्सीजन या मेकेनिकल वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है उनमें ब्लैक फंगस बेहद ही प्रभावशाली है। विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद भी स्टेरॉयड का जिस तरीके से अंधाधुंध प्रयोग किया गया जबकि कई लोग तो सीधे मेडिकल स्टोर्स में जाकर दवाईयां खी ली।

ब्लैक फंगस को लेकर सबसे बड़ी चेतावनी तो यह है कि इसकी चपेट में आने वाले मरीजों की आंखे तो जाती ही है जान भी चली जाती है। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से मरने वालों की तादात बहुत ज्यादा हैं। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से मौत का भिलाई का यह पहला मामला है।

हालांकि अभी तक स्टेरॉयड के प्रयोग से होने वाली इस नई तरह की मौत को लेकर किसी तरह की कानून नियम नहीं है जबकि विशेषज्ञों का दावा है कि यह ईलाज के दौरान हुई चूक का ही नतीजा है। हालांकि विशेषज्ञों इसे लापरवाही नहीं बता रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं वह गंभीर मामला है।

दूसरी तरफ कोरोना से मौतों का रफ्तार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कई राज्यों में वैक्सिन की से टिकाकरण की रफ्तार में कमी आना केन्द्र की मोदी सत्ता की लापरवाही को ही उजागर करता है। इधर गंगा नदी के अलावा मध्यप्रदेश की नदी में भी लाशें बहते देखे जाने के बाद इसकी विभिषिका का अंदाजा लगाया जा सकता है। सत्ता की चूक को लेकर उठ रहे सवालों से बचने भाजपा और संघ जिस तरह से फेक न्यूज और अफवाह का सहारा लेने लगी है वह आने वाले दिनों में घातक है।