शनिवार, 28 सितंबर 2013

उत्तर सीट में फोर-एस में उलझ गई भाजपा!


सुनील, श्रीचंद, संजय और सचिदानंद
के अपने दखे, दूसरी सीट भी प्रभावित होगी
रायपुर। पिछले विधानसभा चुनाव मे ंराजधानी के उत्तर विधानसभा सीट में करारी शिकस्त झेलने वाली भाजपा इस बार भी इस सीट में उलझ कर रह गई है। फोर-एस यानी सुनील सोनी, श्रीचंद सुंदरानी, सचिदानंद उपासने और संजय श्रीवास्तव में से किसी एक को भी टिकिट देने का मतलब दूसरों के द्वारा भीतरघात की आशंका ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में राजधानी को भाजपा का गढ़ माना जाता है। लेकन पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां से पार्षद रहे कुलदीप जुनेजा को टिकिट दी थी। जिसका फायदा उन्हें मिला और इस भाजपाई गढ़ में कुलदीप जुनेजा ने संगठन के सचिदानंद उपासने को करारी शिकस्त दी ािी। तभी से भाजपाई गढ़ ढहने की चर्चा शुरू हुई और महापौर चुनाव में भी राजधानी में भाजपा बुरी तरह पराजित हुई ।
राजधानी के चार सीट में से भाजपा के लिए सर्वाधिक दिक्कत उत्तर विधानसभा की सीट को लेकर है। इसकी वजह यहां से दावेदारों की फेहरिश्त है। और मजेदार बात यह है कि चारों प्रमुख दावेदारों का नाम अंग्रेजी के एस से शुरू होता है। पिछले चुनाव में हार का घुंट पीने वाले सचिदानंद उपासने अभी भी दावेदारों में सबसे आगे है। हार के बाद ीाी उनकी उम्मीद कायम है जबकि राजधानी के महापौर जैसे पद पर रहे वर्तमान राविप्रा अध्यक्ष सुनील सोनी भी मतबूत दावेदार है। बृजमोहन खेमे के सुनील सोनी का दावा इस लिहाज से भी मजबूत है कि वे पार्षद से लेकर महापौर तक का चुनाव जीत चुके है जबकि सचिदानंद को जनता अस्वीकार चुकी है।
तीसरे दावेदार में श्रीचंद सुंदरानी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। चेम्बर में बृजमोहन अग्रवाल खेमें को तगड़ा पटखनी देने वाले श्रीचंद सुंदरानी का न केवल सिंधी समाज में बल्कि दूसरे समाज में तगड़ी पैठ है। सिंधी मतदाता वाले इस क्षेत्र में तो चर्चा इस बात की भी है कि यदि श्रीचंद सुंदरानी को टिकिट नहीं दी गई तो भाजपा के वोट बैंक माने जाने वाले इस समुदाय के द्वारा राजधानी ही नहीं प्रदेश में भी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। नगर निगम में पार्षद रहे श्रीचंद सुंदरानी के व्यवहार को लेकर भी सकारात्मक बाते हैं।
वहीं एक अन्य दावेदार संजय श्रीवास्तव वर्तमान में नगर निगम रायपुर में सभापति है और भाज्युमों की राजनीति के चलते उनकी चुवाओं में जबरदस्त पैठ भ्ी है। कहा जाता है कि अपनी कार्यशैली की वजह से भी उन्होंने पार्टी का ध्यान अपनी ओर खींचा है लेकिन राजेश मूणत की तरह काफी हद तक अक्खड़पन से भी कई लोग उन्हें टिकिट का दावेदार मान रहे हैं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इस सीट के लिए पार्टी ने सर्वे भी करा लिया है और सर्वे का परिणाम पार्टी के लिए बेचैन करने वाला है। बताया जाता है कि चारों दावेदारों में बेहद खींचतान है और इनमें से किसी को भी टिकिट मिलने पर दूसरे के द्वारा भीतर घात भी किया जा सकताह ै। इसके अलावा इन दावेदारों ने राजधानी के दूसरे विधानसभा में मौजूद अपने समर्थकों के बल पर जिस तरह से पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाया हे वह भी हैरान करने वाला है।
बहरहाल भाजपा के लिए यह सीट हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है।