शुक्रवार, 11 जून 2010

विकास या विनाश

पर्यावरण की चिंता में दुबले हो रहे लोगों के लिए यह खबर और भी दुखदायी होगी कि मोवा से विधानसभा के बीच सड़क चौड़ीकरण के नाम से डेढ़ हजार से अधिक पेड़ काट डाले गए। यह पेड़ तब काटे जा रहे थे जब प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह के द्वारा शिवनाथ नदी को बचाने फावड़ा उठाया जा रहा था। छत्तीसगढ़ को वन प्रदेश कहने वालों के लिए यह दुखद स्थिति है कि सरकार विकास के नाम पर विनाश करने में लगी है। उसके पास आने वाले पीढ़ी को सुखद जिंदगी देने की कोई योजना नहीं है वह तो सिर्फ अपने राजनैतिक फायदे के लिए ही कार्य करती है। फावड़ा उठाया फोटो खिंचवाया काम खत्म। पिछले 6 सालों में रमन सरकार की पर्यावरण के क्षेत्र में यही भूमिका रही है।
राजधानी के ही आमापारा स्थित कारी तालाब को बचाने कितने ही बार अपील की जा चुकी है लेकिन सरकार को इससे कोई लेना देना नहीं है वह तो गौरव पथ के नाम पर तेलीबांधा तालाब को पटवा रही है। विधानसभा मार्ग को चौड़ा करने डेढ-दो हजार वृक्ष काट डाले गए और इसमें भी सबसे दुखद पहलु यह है कि हर साल सैकड़ों वृक्ष लगाने का दावा करने वाले समाजसेवी भी इस बारे में खामोश है। सरकार बेशक सड़क चौड़ी कराये, तालाबों का सौंदर्यीकरण करें लेकिन वह यह ध्यान रखे कि इससे पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचेगा और इसकी भरपाई के उपाय भी सरकार को करने चाहिए। सड़कें किसी भी राय के विकास की कहानी कहती है लेकिन यदि हम विकास के नाम पर अप्रैल में ही 45 डिग्री पारे का तपन झेलते रहे तो ऐसा विकास किस काम का है।
क्या विधानसभा मार्ग के चौड़ीकरण में वृक्षों को काटना जरूरी था? और यदि वृक्ष हटाना जरूरी था तब इन वृक्षों को काटने की बजाय इसे आसपास की सरकारी जमीनों पर क्यों नहीं रोपा गया। सरकार की नीतियां यदि पर्यावरण को लेकर इस तरह लापरवाह रही तो फिर वे समाज प्रेमी कहां है जो हर साल पर्यावरण दिवस के दिन पर्यावरण बचाने के नाम पर अखबारों में फोटो छपवाते रहते हैं। क्या उनकी जिम्मेदारी अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए इतना भी नहीं है कि वे तालाब पाटे जाने या वृक्ष काटे जाने का विरोध तक कर सके।
आश्चर्य विषय तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी की भूमिका का भी है। वे तक ऐसे मामले में चुप बैठे हैें। क्या ऐसी खामोशी छत्तीसगढ़ के पर्यावरण बिगाड़ने में उन्हें देषी नहीं ठहराती। अब भी समय है पर्यावरण के हिमायती चाहे तो एक ठोस नीति के लिए सरकार पर दबाव बनाए अन्यथा छत्तीसगढ़ में चल रहे विनाश लीला आम लोगों का जीवन दूभर कर देगी और इस अंधेरगर्दी के लिए आने वाली पीढ़ी से सिर्फ गाली ही मिलेगी?