शुक्रवार, 21 जून 2024

अयोध्या की हार पर कांव-काँव, डीएम और भाजपाई महंत में गुत्थम-गुत्था

 अयोध्या की हार पर कांव-काँव शुरू हो गया है  डीएम और भाजपाई महंत में गुत्थम-गुत्था हुआ वह भी दो दो मंत्रियों के सामने, लखनऊ तक हड़कंप 



लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार की समीक्षा के दौरान मंत्रियों के सामने ही जिलाधिकारी नीतीश कुमार और हनुमानगढ़ी के महंत राजूदस के बीच कथित तौर पर भिड़ंत हो गई. सूत्रों ने दावा किया कि अयोध्या में बीजेपी की समीक्षा के दौरान देर रात हंगामा और 'हाईप्रोफाइल' झड़प हुई. 

अब सब सवाल कर रहे हैं कि आख़िर बीजेपी की बैठक में डीएम का क्या काम था, उन्हें बैठक में किसने बुलाया था।

सूत्रों ने कहा कि योगी सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों के सामने DM अयोध्या नीतीश कुमार और हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास के बीच तीखी नोंकझोंक हुई. योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही और जयवीर सिंह की मौजूदगी में झड़प हुई. इस झड़प के बाद डीएम नीतीश कुमार इतने आक्रोशित हुए कि उन्होंने राजूदास  को प्रदान की गई सुरक्षा के लिए तैनात गनर वापस लिया गया.

सूत्रों के अनुसार राजू दास अयोध्या के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही से समय लेकर हार पर अपना फीडबैक देने पहुंचे थे उस दौरान DM अयोध्या नीतीश कुमार मौके पर मौजूद थे. वे राजू दास के चुनाव के दौरान प्रशासन के खिलाफ दिये बयानों से बेहद नाराज थे. उन्होंने राजू दास के साथ बैठने से इनकार किया. और बस इसी बात को लेकर दोनों के बीच पहले कहा सुनी हुई फिर दोनों गुत्थम-गुत्था हो  गये। 

सूत्रों का दावा है कि झड़प के बाद राजू दास के साथ आए गनर को वापस जाने को कहा गया. गनर वापिस लिए जाने के बाद राजू दास अपनी हत्या कराने की साजिश का आरोप लगा रहे हैं. दावा किया गया कि यह घटना रात 11 बजे अयोध्या के सरजू गेस्ट हाउस की है.

इन सब में दिलचस्प बात ये है कि समीक्षा बैठक के दौरान प्रशासन के असहयोग और अधिकारियों की मनमानी की शिकायत हो रही थी. मंत्रियों की मौजूदगी के चलते DM सरजू गेस्ट हाउस में उनसे मिलने पहुंचे थे वहीं झड़प शुरू हो गई.

समस्या ग्रस्त साव

  समस्या ग्रस्त साव


छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव इन दिनों अपनी कार्यशैली ही नहीं बयानों को लेकर भी खूब सुर्खियां बटोर रहे है, तो मुख्यमंत्री खेमे के लोगों ने तो उनका नाम ही बद‌लकर समस्याग्रस्त साव रख दिया है और सामान्य बोलचाल की भाषा में इसी नाम का इस्तेमाल करते हैं।

उपमुख्यमंत्री साव की पीड़ा यह है कि वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाये पार्टी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने भरोसे की भैस को पानी में डाल दिया और पार्टी को सत्ता दिलाई, जबकि 2003 में पार्टी अध्यक्ष के बाद डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। 

कहा जाता है कि पहले ही मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की पीड़ा को झेल रहे अरुण साव को दूसरा झटका तब लगा जब तोखन साहू को केंद्र में मंत्री बना दिया गया, यानी साहू समाज के बड़े नेता का तमगा भी हाथ से अब निकल - तब निकल की स्थिति में है।

यही वजह है कि योग दिवस पर उन्होंने कुछ अलग ही योग  कर दिया, शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल को छ माह  पद पर  बने रहने वाला बयान दे दिया, जबकि मोहन सेठ का इस्तीफ़ा स्वीकृत हो चुका था।

अब लोग इस बयान का अपने अपने ढंग से अर्थ निकाल रहे है और कह  रहे हैं कि मोहन सेठ के साथ हो रहे इस खेल के पीछे कहीं लोग ये न समझ ले कि यह सब अरुण साव करवा रहे हैं, इसलिए यह बयान दिया गया है, तो कोई इस बयान को उनके विभाग के खेल में मुख्यमंत्री की नजर पड़‌ जाने से जोड़ रहे हैं। अब विभाग में खेल होगा तो नजर तो पड़‌‌नी ही है और नजर मुख्यमंत्री की पड़े या न पड़े, अफसरों में चौधराहट चलाने वाले चौधरी की तो पड़ हो जायेगी। चौधरी यानी शाह…!



बीजेपी हो गई गांधी मुक्त

 क्या बीजेपी की राजनीति से अब गांधी परिवार का युग समाप्त 


मेनका गांधी के हार के बाद यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि मोदी ने पहले ही वरुण गांधी कि टिकिट काटकर उन्हें किनारे कर दिया है

सालो से बीजेपी की राजनीति में अपनी धमक रखने वाले मेनका गांधी और वरुण गांधी के लिए क्या बीजेपी के दरवाज़े अब मोदी-शाह की जोड़ी ने बंद कर दिये है और अब बीजेपी गांधी परिवार से पूरी तरह मुक्त हो गया है?

यह सवाल इसलिए उठाये जा रहे है क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से गांधी परिवार का बीजेपी में भी रुतबा रहा है । मेनका गांधी अटल सरकार में बेहद प्रभावशाली रही और इस प्रभाव के चलते उन्होंने अपने पुत्र वरुण को भी न केवल बीजेपी की राजनीति में लाई बल्कि सांसद भी बनवाया

माँ बेटे के इस जोड़ी ने बीजेपी को यूपी में बड़ा करने का हौसला भी दिया तो कांग्रेस की राजनीति पर भी ग्रहण लगाने में माँ बेटे कि बड़ी भूमिका रही

लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पार्टी में इनकी अहमियत कम होते चली गई और 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सब कुछ ख़त्म कर दिया कहा ज़ाय तो ग़लत नहीं होगा

वरुण गांधी को टिकिट ही नहीं दिया गया तो मेनका गांधी चुनाव हार गई ऐसे में क्या अब इन्हें संगठन में कोई जगह दी जाएगी या क्या होगा

पूरे मामले पर यह रिपोर्ट ज़रूर देखें….

https://youtu.be/nHLEIeOSmDo?si=nziTeZKuVUmEK8q6