बुधवार, 27 नवंबर 2013

मोदी का नकली लाल किला भी काम नहीं आया


आदिवासियों पर लाठी चार्ज, भाजपा पर भारी!
बस्तर बराबरी पर तो सरगुजा में कांग्रेस आगे
रायपुर। आदिवासी सीटों के सहारे सत्ता तक दो बार पहुंची भाजपा के लिए इस बर सत्ता में वापसी में आदिवासी ही बाधा बन गये हैं। कहा जाता है कि आदिवासियों पर हुए लाठी चार्ज और नक्सली वारदातों का दर्द इस बार भाजपा पर भारी पडऩे लगा है ऐसे में मैदानी इलाके में वह क्या कर पाएगी कहना कठिन है।
छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी अब तक बस्तर के पास रही है लेकिन बस्तर से जिस तरह की खबरें आ रही है उसके बाद इस बार सत्ता की चाबी सरगुजा के पास होने की प्रबल संभावना है।
अब तक रूझान से स्पष्ट हो गया है कि बस्तर में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला बराबरी का है और इस बार भाजपा को यहां 5 से 6 सीटों का नुकसान हो सकता है। पिछले दो चुनावों में बस्तर की 12 में से 11 सीट जीतकर सत्ता में आने वाली भाजपा के कई मंत्री भी यहां कांटे की टक्कर में फंस कर रह गये हैं। सूत्रों की माने तो इस बार यहा कम्यूनिष्ट पार्टी भी एक सीट जीत सकती है ऐसे में इस बराबरी की वजह से सत्ता की चाबी इस बार दूसरे क्षेत्र में चली गई है।
इधर राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बस्तर में बराबरी की टक्कर की वजह से इस बार सत्ता की चाबी सरगुजा के पास आ गई है जहां 14 में से 10 सीटों पर कांग्रेस की जीत निश्चित माना जा रहा है। जबकि दो सीटों पर कड़े संघर्ष की स्थिति हैं। मोदी के लिए नकली लाल किला बनाकर सत्ता हासिल करने में लगी भाजपा को सरगुजा में जबरदस्त झटका लगा है वह यहां 2003 के चुनाव में 9 व 2008 के चुनाव में 10 सीटे हासिल कर सत्ता में आई थी इस बार यहां कब्जा बनाए रखने भाजपा ने पुरजोर लगाया था। यहां तक की प्रधानमंत्री इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी के लिए नकली लाल किला भी बनाकर चर्चा में आये थे लेकिन जिस तरह के रूझान सामने आ रहे हैं उसके बाद तो यही कहा जा सकता है कि यहां नरेन्द्र मोदी का सहारा भी काम नहीं आया।
यहां मिले रूझान के मुताबिक भाजपा भटगांव सीट सीधे सीत रही है जबकि मनेन्द्रगढ़ और प्रतापपुर में वह कांटे के संघर्ष में फंसी है। जिन सीटों पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है उनमें बैंकुंठपुर वेदांती तिवारी, प्रेमनगर खेलसाय सिंह, रामानुजगंज बृहस्पति सिंह, सामरी डॉ. प्रीतम राम, लुंड्रा चिंतामणी महराज, अंबिकापुर टीएस सिंहदेव और सीतापुर अमरजीत भगत शामिल है। बताया जाता है कि भाजपा के बस्तर और सरगुजा संभाग में इस स्थिति के लिए कई कारण गिनाये जा रहे हैं जिनमें से प्रमुख कारण आदिवासियों पर लाठी चार्ज के अलावा कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के अलावा भाजपा के मौजूदा विधायकों की करतुत को बताया जा रहा है।
बहरहाल सरकार किसकी बनेगी यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन यह तो तय है कि इस बार सत्ता की चाबी बस्तर ही होगी।