शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

एम्स रायपुर में टेंडर घोटाला

एम्स रायपुर में टेंडर घोटाला
चहेते को ठेका देने एकता हुई

(विशेष-प्रतिनिधि)


छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIMS) में लाखों रुपये का टेंडर घोटाला सामने आया है। इस टेंडर घोटाला में चहेते ठेकेदार को टेडर देने न केवल दो बार निविदा आमंत्रित की गई बल्कि दूसरी निविदा में भाग लेने वालों का टेडर खोला ही नहीं गया। और  उस ठेकेदार को टेंडर दे दिया जो एक करोड़ के टर्न ओवर वाली शर्त को पूरा नहीं करता।
इस घोटाले को लेकर जो खबरें आ रही है वह हैरान करने वाली इसलिए भी है क्योंकि इस खेल में दिल्ली से आई किसी महिला का नाम सुर्खियों में है। और कहा जा रहा है कि अभी इसे तरह के करोड़ों रुपये का टेंडर अभी और होना है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायपुर एम्स ने एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में टेंट, एलईडी वॉल,फ्लावर और फ़्लैक्स सहित विभिन्न साज सज्जा के लिए टेंडर जारी किया था।

३० मई को पहला टेंडर खोला गया। इस काम के लिए 3 कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया था, जिसमें मैवरिक एल-1 था। जबकि इवेंचुरी और व्यापक की दर में काफी अंतर था। कहा जाता है कि एल-1 आने वाली कंपनी मैवरिक ने इस काम को सबसे कम दर पर करने को तैयार भी हो गया था जबकि व्यापक इसी काम के लिए 65 लाख की राशि बताया था, लेकिन मैवरिक को वर्क ऑर्डर यह कहकर देने से इंकार करते हुए टेंडर ही रद्द कर दिया गया कि फाईनेस किट इन कम्पलीट है जबकि जो कालम छूटे थे इसे फुल-फिल किया जा सकता था।
 कहा जाता है कि इसके बाद चहेते ठेकेदार को काम देने फिर से टेंडर निकाला गया जिसे 26- जून को खोला गया । इस दूसरे टेंडर में 6 कंपनियों ने हिस्सा लिया लेकिन चार कंपनियों ने प्रजेंटेशन नहीं दिया तो उनका टेंडर अमान्य हो गया।

अब मुकाबले में केवल दो कंपनियां इवेन्चुरी और मैवरिक ही  रह गये थे। लेकिन मैवरिक का टेंडर यह कहकर खोला नहीं गया कि अप टू मार्क पर प्रज़ेंटेशन  नहीं है जबकि इसी कंपनी की निरस्त होने वाले टेंडर में प्रजेंटेशन को माना गया था और टेंडर दिया गया था। फिर सेम प्रजेंटेशन के बाद अप टू मार्क प्रजेटेशन के नाम पर निरस्तकैसे किया जा सकता था, और यहीं से  टेंडर में गड़बड़ी का संकेत साफ़ हो जाता है।

इधर सूत्रों का यह भी दावा है कि टेंडर भरने की शर्त में टर्न ओवर एक करोड़ रूपये की शर्त रखी गई की लेकिन जिस कंपनी को यह टेंडर मिला है उसका टर्न ओवर 50 लाख भी नहीं है ऐसे में उन्हें टेंडर कैसे दिया गया।
दूसरी तरफ़ यह भी कहा जा रहा है कि एम एस एम ई के तहत टर्न ओवर में छूट देकर दूसरों का टेंडर ही नहीं खोला गया।जबकि कहा जा रहा है कि यदि यह छूट दी जानी थी तो टेंडर में एक करोड़ टर्न ओवर की शर्त क्यों रखी गई। और यह शर्त नहीं रखी जाती तो एमएसएमई वाली कई दूसरी कंपनियां भी भाग लेती और एम्स रायपुर का पैसा बच जाता।
लेकिन चहेते कंपनी को ठेका देने के लिए किस तरह की एकता हुई यह एम्स के कालेज बिल्डिंग के पहली मंजिल पर जाते ही समझा जा सकता है।
बताया जाता, है कि इस पूरे खेल में या प्रबंधन की भूमिका को लेकर सवाल तो उठ ही रहे हैं और इस घोटाले के लिए एकता की चर्चा भी खूब जोरशोर से चल रही है।
इस संबंध में जब हमारे संवाददाता ने एम्स प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो वे उपलब्ध नहीं थे।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि एम्स में आये दिन इस तरह  के कार्यक्रमों के लिए आनलाईन टेंडर जारी होता रहता है और ऑनलाईन टेंडर में हस तरह की गड़बड़ी  हो रही है तब आसानी से समझा जा सकता है कि किस ताह से शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।

सगाई का खर्चा सरकारी खजाने से...

 सगाई का खर्चा सरकारी खजाने से...

आठ हजार रुपये प्रति प्लेट का खाना खिलाया..


ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब संघ और भाजपा के संस्कारितों ने सरकारी खजाने पर लूट मचाई हो। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद - धर्म - राजनैतिक सुचिता नैतिकता और बेहतर संस्कार । यही तो संघ का ध्येय वाक्य है।

लेकिन यह सब तभी तक है जब तक सत्ता न मिली हो, कुर्सी न मिली हो। और कुर्सी मिलते ही पैसों की भूख किसी आवारा पशु की तरह दिखः जाता है।

इलेक्ट्रान बॉण्ड, पीएम केचर फंड, नोट बंदी और उ‌द्योगपतियों के कर्ज माफ करने या राईट ऑफ़  करने के नाम पर वसूली का खेल किस तरह खेला गया यह किसी से छिपा नहीं है।




तब जम्मू कश्मीर  के उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने यदि बेटे की सगाई का खर्चा जम्मू कश्मीर के खजाने से भर दिया तो फिर उनकी राष्ट्र‌वादिता पर सवाल क्यों ।

दरअसल इसकी शिकायत अब पीएमओ में की गई है कि मनोज सिंहा ने अपने बेटे की सगाई दिल्ली में की है। इस सगाई समारोह में सौ से अधिक वीआईपी मेहमान थे। जिसका केटरिंग का बिल क़रीब ग्यारह  लाख रुपये आया। यानी लगभग आठ हजार रुपये प्लेट। ये बिल जम्मू कश्मीर सरकार से भरवा दिया गया।

 पीएमओ से की गई शिकायत में वैसे तो कई तरह की शिकायत है लेकिन  गाजीपुर से सांसद रहे मनोज सिंहा के बारे में कहा जाता है कि वे छात्र जीवन से ही संघ और भाजपा का संस्कार लेते रहे हैं, और इसके परिणाम स्वरूप वे केद्र मैं मंत्री भी रहे तो उन्हें जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल की बनाया गया ।

सवाल कई है ख़ासकर  धर्म का चश्मा पहनाकर लूट मचाने का लेकिन सवाल पूछने वाले को यदि देश द्रोही का तमगा मिलने लगे तो...।

आप तय कीजिए  कि धर्म का  आड़ में किस तरह का खेल चल रहा है और कैसे संस्कार मिला या सिखाया गया है।




द वायर की रिपोर्ट के अनुसार अब्दुल्ला ने कहा, "चाहे उनके लिए खरीदे गए वाहन हों, किराए पर लिए गए निजी जेट हों या उनके मेहमानों पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये हों, एलजी जम्मू-कश्मीर को अपनी निजी जागीर समझते हैं, जो इस बात से स्पष्ट है कि कैसे यातायात को 25-30 मिनट तक रोक दिया जाता है ताकि वह बिना देरी के यात्रा कर सकें।"

एलजी के तत्कालीन प्रधान सचिव नीतीश्वर कुमार को संबोधित और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए 6 अप्रैल, 2021 के एक कथित आधिकारिक संचार के अनुसार, नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर के रेजिडेंट कमिश्नर ने एलजी सिन्हा के कार्यालय के निर्देशों का पालन करते हुए 2 फरवरी, 2021 को 7 अकबर रोड पर दोपहर के भोजन, रात के खाने और सजावट की व्यवस्था की थी।

पत्र में कहा गया है, "इस निजी समारोह के लिए हमारे कार्यालय द्वारा कुल 10,71,605 रुपये का भुगतान किया गया। हम अनुरोध करते हैं कि इस मुद्दे को हल करने के लिए यह राशि राजकोष में जमा कर दी जाए।"

जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून सचिव अशरफ मीर ने इसकी आलोचना करते हुए इसे केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा घोर उल्लंघन और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला बताया है।

मीर ने द वायर को बताया, "चूंकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए भारत की समेकित निधि से धन को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और राज्य कल्याण या सार्वजनिक हित के उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत कार्य इस श्रेणी में नहीं आते हैं।"