गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

अब गृहमंत्री की दमदारी कहां गई


क्यों नहीं हुआ अमितेष पर जुर्म दर्ज
वैसे तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में अभी भी शुक्ल परिवार के वर्चस्व को नकारा नहीं जा सकता। इस परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने से आज भी शासन-प्रशासन के हाथ-पैर फूलने लगते है। इसलिए सट्टा का मामला हो या बिजली चोरी का मामला पुलिस मकान मालिक शुक्ल पर कार्रवाई से अपने को दूर ही रखती है। जबकि किरायेदार की करतूतों पर मकान मालिकों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया जाता है।
छत्तीसगढ सरकार और उसकी पुलिस के द्वारा किस तरह भेदभाव किया जाता है इसका ताजा उदाहरण पुराना बस स्टैण्ड स्थित होटल हेमटन का है जहां पुलिस ने पिछले हफ्ते क्रिकेट में सट्टा का भंड़ाफोड़ कर दो-तीन लोगों को गिरफ्तार किया था लेकिन पुलिस ने होटल मालिक की तरफ आंख उठाने की भी हिमाकत नहीं की। जबकि यहां की पुलिस ने किरायेदारों की करतूत पर मकान मालिकों के खिलाफ दर्जनभर से अधिक मामले बना चुकी है।
यही हाल पचपेढ़ी नाका स्थित नेस्ट बार का है यहां खुलेआम बिजली चोरी होती रही और जब मामला पकड़ाया तो यहां कार्रवाई के नाम पर अमितेष शुक्ल के समर्थक गौतम मिश्रा के खिलाफ ही कार्रवाई की गई। राजधानी पुलिस के इस रवैये से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शुक्ल परिवार का यहां कितना दबदबा है। इस मामले में जब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की गई तो वे इसका जवाब देने से बचते रहे एक वरिष्ठ अधिकारी का तो यहां तक कहना था कि मुझे इस मामले में न घसीटों जिस थाने का मामला है वहीं पूछताछ करों।
बताया जाता है कि पुराना बस स्टैण्ड स्थित होटल हेमटन और पचपेढ़ी नाका स्थित नेस्ट बार की जगह का मालिक राजिम के विधायक अमितेष शुक्ल का है और इसे किराये पर दिया गया है। पुलिस के इस भेदभावपूर्वक कार्रवाई को लेकर कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि दोनों ही स्थानों पर असामाजिक तत्वों का जमावाड़ा होता है लेकिन पुलिस यहां जांच करने से घबराती है।