शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

छत्तीसगढ़ में चार हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने की तैयारी…

  छत्तीसगढ़ में चार हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने की तैयारी शासन ने हाईकोर्ट में कैवियेट लगाया...



छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार ने युक्तीकाण के नाम पर चार हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेने जा रही है और इस मामले में न्यायालयीन पचड़े से बचने हाईकोर्ट में कैवियेट भी दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही अब  स्कूलों में 33000 शिक्षकों की भर्ती का मामला भी ठंडे बस्ते  में चला गया है।


छत्तीसगढ़ में बदहाल होती शिक्षा व्यवस्था को सुधार के नाम पर चल रहे इस खेल को लेकर सबसे बड़ी चर्चा तो तेतीस हजार शिक्षकों की भर्ती  का मामला है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तेत्तीस हजार शिक्षकों की भर्ती की घोषणा अब दूर की कौड़ी होने लगी है ا

बताया जा रहा है के सरकार ने हस निर्णय के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के  आक्रोश को दबाने का पूरा इंतजाम कर लिया है और इस कड़ी में हाईकोर्ट बिलासपुर में कैवियेट दायर कर दिया गया है ताकि स्कूलों को बंद  करने के मामले में किसी को स्टे न मिल पाये।

इधर सोशल मीडिया में जिस तरह से शिक्षको की भर्ती का मामला युवा बेरोजगारों ने उठाना शुरु किया है उससे भी निपटने की तैयारी की खबर भी अब सुर्ख़ियाँ बटोर रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की कार्यवाही प्रारंभ कर दिया है। पिछले हफ्ते युक्तियुक्तरण के ड्राफ्ट को भी मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग युद्ध स्तर पर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में जुट गया है। स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से करीब छह हजार शिक्षक अतिशेष बचेंगे। शिक्षकों के 7303 शिक्षक पहले से अतिशेष हैं। याने कुल मिलाकर 13 हजार से अधिक शिक्षक सरकार के पास एक्सट्रा हो जाएंगे। इससे शिक्षक विहीन और सिंगल टीचर वाले लगभग सारे स्कूल कवर हो जाएंगे। कवर मतलब शिक्षक विहीन या फिर सिंगल टीचर वाला झंझट नहीं रहेगा।

अधिकारियों की मानें तो सबसे पहले स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। क्योंकि, अतिशेष स्कूलों की संख्या पहले से ही ज्ञात है। वो करीब 7303 है। स्कूलों के युक्यिक्तकरण के बाद फिर फायनल लिस्ट बनाई जाएगी। क्योंकि जिन 4077 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जाना है, उनमें 3978 प्रायमरी, मीडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंड्री स्कूल एक ही परिसर में हैं। सिर्फ 99 स्कूलों का आसपास के गांवों में शिफ्थ करना होगा। इनमें 63 प्राईमरी और 36 मीडिल स्कूल हैं। इन 99 स्कूलों में चार-से-पांच बच्चे हैं और टीचर बच्चों से अधिक। छत्तीसगढ़ में एक ही परिसर में राष्ट्रीय औसत से कम बच्चे वाले सबसे अधिक प्राईमरी और मीडिल स्कूल हैं। इनकी संख्या 2933 हैं। इन्हें एक में मिला दिया जाएगा। हालांकि, इससे नाम बदलेगा मगर जगह नहीं। इसलिए इसमें दिक्कत नहीं। इसी तरह एक ही परिसर में मीडिल और हाईस्कूलों की संख्या 282, एक ही परिसर में प्राईमरी, मीडिल और हाईस्कूलां की संख्या 413 और एक ही परिसर में मीडिल, हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री स्कूलों की संख्या 350 चिन्हांकित की गई, जिन्हें एक-दूसरे में मर्ज कर दिया ।

स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने चार बिंदुओं में मापदंड तैयार किया है।

अफसरों का कहना था कि युक्तियुक्तकरण का काम पहले हो जाना था। उन्होंने इसके ये फायदे गिनाए....शिक्षक विहीन या सिंगल टीचर वाले स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी।स्थापना व्यय में कमी आएगी।एक ही परिसर के स्कूलों के युक्यिक्तकरण से बच्चों के ड्रॉप आाउट में कमी आएगी। एक ही परिसर के स्कूलों से बार-बार प्रवेश प्रक्रिया से बच्चों को राहत मिलेगी।एक ही परिसर के स्कूलों को एक-दूसरे में मर्ज करने पर अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चन मुहैया हो सकेगा।

इधर स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों और शिक्षकों का युक्यिक्तकरण करने से पहले बिलासपुर हाई कोर्ट में केवियेट दायर कर दिया है। इसका मतलब यह है कि युक्तियुक्तकरण के खिलाफ अब कोई कोर्ट जाएगा तो उस पर फैसला लेने से पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाएगा।

अंबानी ने मोदी के दावे की ह‌वा निकाल दी…

 अंबानी ने मोदी के दावे की ह‌वा निकाल दी…


रिलायंस समूह के बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी ने मोदी सरकार के उस दावे की हवा निकाल दी, जिसमें सरकार ने बताया था कि देश की जीडीपी लगातार बढ़ रही है और 2047 तक में भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जाएगा।

सच से दूर या फर्जी आकड़े को लेकर उठते सवालों  के बीच  जो खबर सामने आ रही है वह बेहद चौकाने वाला है। खबरों के मुताबिक देश की आर्थिक स्थिति  लगातार खराब होते जा रही है। इम्पोर्ट भी लगातार घट रहा है तो  उत्पादन में मी भारी गिरावट हो रही है। यही नहीं अधिकाश बड़े कंपनियों ने नौकरी को लेकर साइलेंट कट का रास्ता अख़्तियार कर लिया है ताकि छँटनी की खबर को दबाया जा सके।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने दावा किया था कि कोरोना के बाद देश की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर  लौट रही है लेकिन कहा जा रहा है कि सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले आईटी और रिटेल सेक्टरों में कर्मचारियों की छँटनी का काम बढ़ता ही जा रहा है। कॉल सेंटरों में भी बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकालने की खबर अब सामने आने लगी है।

शादी में करोड़ों रुपये खर्च करने को लेकर चर्चा में आये अंबानी ग्रुप की स्थिति को लेकर चर्चा तब शुरु हुई जब उसने जियों के दर में वृद्धि कर दी और लोगों ने जियो सहित दूसरी कई टेलीकाम कम्पनियों को छोड़‌कर बीएसएनएल में स्वीच करना शुरु कर दिया।

 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश और दुनिया में बढ़ती मंदी की खबर के बीच एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री में पिछले एक साल में बड़ी संख्या में कॉस्ट कटिंग हुई है. कंपनी ने वर्कफोर्स कम करने की बात अपने एनुअल जनरल रिपोर्ट में दी है. कंपनी ने बताया है कि वित्तवर्ष 2023 में रिलायंस इडंस्ट्री में कुल कर्मचारियों की संख्या 3,89,000 थी जो 2024 में घटाकर 3,47,000 हो गई है. रिलायंस ग्रुप ने सबसे अधिक कॉस्ट कटिंग रिलायंस रिटेल वर्टिकल में किया है.

कंपनी के सालाना रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक साल पहले की तुलना में वित्त वर्ष 24 में अपने कर्मचारियों की संख्या में लगभग 11% या 42,000 की कमी की है, जो कॉस्ट एफिशिएंसी और विशेष रूप से रिटेल सेक्टर में कम नियुक्तियों को दर्शाता है, जिसमें स्टोर बंद होने और धीमी ग्रोथ रेट भी देखी गई. आरआईएल की लेटेस्ट सालाना रिपोर्ट के अनुसार, नई भर्तियों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कटौती करके 1,70,000 कर दी गई है.

ग्रुप में हुई वर्क फोर्स में कटौती का एक बड़ा हिस्सा इसके रिटेल कारोबार में था, जो पिछले वित्त वर्ष में RIL के 2,07,000 कर्मचारियों की संख्या का लगभग 60% था, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 2,45,000 था. जियो ने भी वित्त वर्ष 24 में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 90,000 कर दी, जो एक साल पहले 95,000 थी. RIL ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में खुद से नौकरी छोड़ने की संख्या वित्त वर्ष 23 की तुलना में बेहद कम रही है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जून तिमाही के अपने नेट प्रॉफिट में पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है. रिफाइनिंग और पेट्रो-रसायन कारोबार के कम मार्जिन ने टेलीकॉम एवं रिटेल कारोबार में मिली बढ़त को भी फीका कर दिया है. तेल से लेकर रिटेल और टेलीकॉम कारोबार तक में एक्टिव रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में समूह का नेट प्रॉफिट 15,138 करोड़ रुपए यानी 22.37 रुपए प्रति शेयर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 16,011 करोड़ रुपए यानी 23.66 रुपए प्रति शेयर था.

इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी ने रिकॉर्ड 18,951 करोड़ रुपए की कमाई की थी. तिमाही आधार पर कंपनी का नेट प्रॉफिट 20 प्रतिशत घटा है. इस समान तिमाही में परिवहन ईंधन के मार्जिन में कमी के अलावा रिलायंस के डेप्रिसिएशन लागत पर भी अधिक खर्च हुआ है, जिससे कंपनी की कमाई प्रभावित हुई है. पेट्रोल की कीमतों में 30 प्रतिशत की गिरावट और रसायन कारोबार के मार्जिन में कमी दर्ज होने से ऐसा हुआ