सोमवार, 16 सितंबर 2024

किताब रद्दी में: किसे बचा रहे हैं मुख्यमंत्री साय...

 किताब रद्दी में: किसे बचा रहे हैं मुख्यमंत्री साय...

 जांच समिति बनी, एफ आई आर क्यों नहीं...


छत्तीसगढ़ के नौनिहालों की बांटे जाने वाली किताब रद्‌दी के भाव बेन्च दी गई लेकिन सरकार के मुखिया विष्णुदेव साय ने इस पर चुप्पी ओढ़ ली है। लाखें करोड़ों की इन किताबों को लेकर कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय ने घोटाले का आरोप लगाया है लेकिन किताबें बरामद होने के बाद इस पर एफ आई आर नहीं किया गया, बल्कि अब आरोप यह लगाया जा रहा है कि मामले की लीपापोती करने ही जाँच कमेटी बनाई गई है। लेकिन समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। 

राजधानी के समीप सिलयारी स्थित रियल बोर्ड पेपर मिल में लाखों पाठ्‌य पुस्तकें कबाड़ में मिलने के बाद मचे बवाल के बीच सरकार की अपनी हो रही किरकिरी से बचने जाँच समिति बनाई है जाँच समिति में पाठ्‌य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक राजेतश कटारा के अलावा अतिरिक्त संचालक योगेश शिवहरे, संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पाण्डे, पापुनि के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा के अलावा रायपुर कलेक्टर के नामित अधिकारी होगे।

अब जांच समिति के सदस्यों पर ही सवाल उठने लगे है। कहा जाता है कि समिति में शामिल कुछ अधिकारियों की भूमिका पहले ही विवाद में रही है, हमारी टीम इस पर काम कर रही है हम शीघ्र ही जांच समिति के सदस्यों को लेकर खुलासा करेंगे।

दूसरी तरफ पाठ्‌य पुस्तकों के कबाड़ में बरामदगी से घबराई सरकार ने पेपर मिल को सील कर दिया है। कहा जा रहा है कि कबाड़ को ठिकाने लगाने की आशंका को लेकर कोग्रेस नेता विकास उपाध्याय द्वारा धरना देने के दबाव में यह कार्रवाई हुई है।

चूंकि मुख्यमंत्री के पास ही शिक्षा विभाग है इसलिए सरकार की खूब किरकिरी हो रही है।

 छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्कूली बच्चों को नि:शुल्क दिए जाने वाली पाठ्य पुस्तकें राजधानी में रद्दी में मिली है। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश किताबों को शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए तैयार किया गया था। इसका खुलासा रविवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किया है। उनका आरोप है कि नि:शुल्क किताब वितरण के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है।

सूचना के आधार पर पूर्व विधायक उपाध्याय सिलियारी स्थित एक पेपर मिल गए। वहां देखा कि पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से सरकारी स्कूलों में वितरित की जाने वाली किताबें बड़ी संख्य में डंप थी। जब उन्होंने कुछ किताबों को देखा तो इन किताबों पर वर्ष 2024-25 लिखा था। किताबों का जखीरा पकड़ने के बाद उन्होंने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में भी जारी किया। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से इस छापेमारी की कार्रवाई को लाइव किया है। उनका कहना है कि यह सीधे-सीधे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का मामला है।