मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश के बाद…
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में एक बार फिर साफ़ किया कि पानी और खून साथ नहीं बह सकते, मुँह तोड़ जवाब दिया जाएगा,
एक बार हमने इसलिए कहा कि यही बात पुलवामा के बाद और फिर पहलगाम के बाद बिहार में वे कह चुके थे
उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से पहले रजत शर्मा को एक टीवी प्रोग्राम में क्या कहा उसे याद करने की ज़रूरत इसलिए नहीं है क्योंकि पीएम बनने के पहले की सारी बातें ऐसी ही वे करते रहे हैं
तब सवाल अब की बातों का है, सिजफ़ायर ने एक ही झटके में सब बदल दिया।
ट्रंप पर भी भरोसा न करें, तब किस पर?
ऑपरेशन का नाम चयन की सोच…
अब जब अमेरिका बीच में आ ही गया है और पीएम ने राष्ट्र के नाम संबोधन कर ही दिया है तब क्या इस पूरे प्रकरण की विवेचना अपने अपने ढंग से करने की छूट नहीं होनी चाहिए..
प्रमोद जैन लिखते हैं…
किसी भी प्रकरण की सफलता उसके परिणाम से आकी जाती है!
भले गेंद पूरे टाइम आपके पाले में रही, पर आखिरी मिनट में यदि पेनल्टी कॉर्नर पर सामने वाली टीम में आप पर गोल कर दिया,
तो आप जीता हुआ नहीं कह लाओगे!
पहलगाम के बाद कुछ नकारात्मक पहलू जो जनता को परेशान कर रहे हैं!
1_सीजफायर यदि भारत की शर्तों पर हुआ है तो क्या भारत को पहलगाम और पुलवामा के आतंकवादियों के संदर्भ में अपनी बात नहीं रखनी चाहिए थी?
और जो खुखार आतंकवादी हैं उन्हें गिरफ्तार कर भारत में क्यों नहीं लाया गया?
2_सीजफायर की घोषणा अमेरिका से करवा कर किसी तीसरे देश को भारत और पाकिस्तान के बीच में क्यों महत्व दिया गया?
3_क्या भारत की विदेश नीति एक्सपोज नहीं हुई, ?
चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया अमेरिका पर्दे के पीछे पाकिस्तान के साथ गल बहियां करता रहा, और रूस तटस्थ, ना यूरोपीय देशों का समर्थन मिला युद्ध के संदर्भ में ना नाटो के मुस्लिम देश भारत के साथ खड़े हुए ना कोई पड़ोसी मुल्क!
4_और तो और बीएसएफ का एक जवान जो अभी पाकिस्तान के अभिरक्षा में है उसे तक भारत सरकार ने वापस नहीं लिया!
5_हिंदुस्तान के भांड मीडिया ने इतना झूठ क्यों बोला? और भारत की रणनीति को कमजोर क्यों किया?
इसके बावजूद सरकार द्वारा उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लिया गया!
6_ट्विटर अकाउंट पर सेना के प्रवक्ता विपिन मिस्त्री को गालियां देकर, और पहलगाम के शहीद की पत्नी हिमांशी को जलील कर आखिर हिंदुस्तान के इन तथाकथित भक्तों ने कौन से संस्कारों का परिचय दिया?
7_अमेरिका और चीन कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय करण करने की कोशिश कर रहे हैं, भारत सरकार ने यदि उचित स्टेप नहीं लिए तो यह भारत के लिए बेहद तकलीफ भरा कार्य रहेगा और इसे लेकर भी देश की जनता बहुत चिंतित है!
8_जिस परमाणु युद्ध की विभीषका का डर दिखाकर यह तथाकथित सीज फायर किया गया है तो क्या भारत को इसका पूर्वानुमान नहीं था?
यानी यह खुफिया तंत्र कीविफलता है !
9_जिस तरह राफेल के लिए फ्रांस में तकनीक देने से मना किया है और जिस तरह राफेल को लेकर बहुत सारी कंट्रोवर्सी है उसके बाद क्या सरकार का चेहरा नंगा नहीं हुआ है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के चलते देश की सुरक्षा से समझौता किया है?
10_56 इंची सीने का दावा करने वाले मोदी जी स्थितियों का सामना क्यों नहीं कर पाते ?
ना तो आल पार्टी मीटिंग में आए, न युद्ध विराम की घोषणा की, ना संसद का विशेष सत्र बुलाने की हिम्मत कर पा रहे हैं!
11,_क्या सीज फायर के बाद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद की गतिविधियां रुक जाएंगे और क्या अमेरिका की बात पर पाकिस्तान पर भरोसा किया जा सकता है?
12_अग्नि वीर योजना पर भारत के सेना अध्यक्षों ने जो निराशा जाहिर की है , क्या उसके बाद सरकार एक बार फिर बैक फुट पर आएगी इस योजना केसंदर्भ में?
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लेकिन इन नकारात्मक पहलुओं में भी कुछ सकारात्मक बातें भी थी, जिसे जनता ने स्वागत किया है!
1_आतंकवादी गतिविधियों पर पहली बार सीधे पाकिस्तान पर आक्रमण कर भारत सरकार ने यह तो जाहिर किया है इन आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ उनकी नीति जीरो टॉलरेंस की रहेगी!
अगर भविष्य में सरकार चुनाव के समय ही अपने इस नीति पर काम करेगीतो लोग इसे इवेंट या स्टंट मान ने पर मजबूर होंगे!
पर अभी लोग सेना की वजह से इस पर विश्वास कर रहे हैं!
2_जिस तरह पूरे देश ने तमाम राजनीतिक दलों ने सरकार के और सेना के प्रति समर्थन जाहिर किया वह निश्चित रूप से इस देश की एकता और अखंडता की गारंटी था!
3_भारतीय सेना ने अद्भुत पराक्रम दिखलाया और भारत की युद्ध क्षमता को सबके सामने जाहिर किया और जो हौसला सेना ने दिखाया वह देश के लिए एक सकारात्मक पहलू था!
4_सेना ने आतंकवादीअड्डे , ध्वस्त किए, टारगेटेड अटैक किया, एयर बेस और एयर डिफेंस नष्ट की और अपने नए दौर के युद्ध कौशल का परिचय दिया!
5_ पहलगाम की घटना के बाद जिस तरह घाटी में बंद रहा कश्मीर में बंद रहा, भारत की तमाम मस्जिदों से उस घटना का विरोध किया, धर्म पूछ जात नहीं इस नॉरेटिव को जिस तरह हिंदुस्तान की जनता ने मुंह तोड़ जवाब देकर भारत के आंतरिक एकता का परिचय दिया वह भी इस घटना का एक सकारात्मक पहलू था!
6_जिस तरह यह कहा गया है की आतंकवादी हमले को सीधा युद्ध समझ जाएगा अगर यह जुमला साबित नहीं हुआ और भारत सरकार मजबूती से इस रणनीति पर खड़ी पाई गई तो यह भी एक बहुत बड़ा सकारात्मक पहलू रहेगा आतंकवाद को खत्म करने के लिए!
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दोनों पक्षों के अपने बचाव है अपने-अपने तथ्य है लेकिन जो एक भावनात्मक सैलाब भारत की जनता में बह रहा था pok के संदर्भ में बलूचिस्तान के संदर्भ में और आतंकवादियों को गिरफ्तार करने के संदर्भ में पाकिस्तान के टुकड़े करने के संदर्भ में उस झटका लगा है और इसलिए भी लगा मोदी जी की छवि को मीडिया ने आईटी सेल ने और एक राजनीतिक विचारधारा के लोगों ने इतना ओवररेटेड कर दिया था कि लोगों की आशाएं बहुत ज्यादा थी!
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और निष्कर्ष के रूप में हम यही मान सकते हैं सेना एक बार फिर भारत के लिए गौरव का विषय बनी है और सरकार की नीतियां आलोचना का!
लेकिन जाते-जाते राहुल गांधी की भूमिका पर भी थोड़ा सा विचार कर ले उसने अग्नि वीर का विरोध किया और सेना के साथ खड़ा हो गया, राहुल गांधी की सारी बातें सही क्यों निकलती है ?
और अंत में…
पुलवामा और पहलगाम पर विपक्ष के आरोपों का जवाब नहीं दिया गया है!