शनिवार, 7 अगस्त 2010

पता नहीं बेटा


पता नहीं बेटा
बेटा- राम विचार नेताम का कहना है कि सभी भ्रष्ट लोगों को हटा देंगे तो काम कैसे होगा?
पिता जी- हां बेटा। विधानसभा में यही कहा गया है।
बेटा- क्या सही में भ्रष्ट लोगों को हटा देंगे तो काम रूक जायेगा या पैसे वाला कोई मामला है।
पिता जी- पता नहीं बेटा।
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बेटा- छत्तीसगढ़ के सभी विधायक हंगामा करके नई राजधानी घुमने गये थे।
पिता जी- हां बेटा और सभी ने वहां खाना भी खाया।
बेटा- तो क्या सच में कांग्रेस-भाजपा में गठजोड़ है।
पिता जी- पता नहीं बेटा।

पाल की पड़ताल से,प्रताड़ित हुआ थाना प्रभारी

 शायद इसे ही डेढ़ होशियारी कहते हैं तभी तो सट्टा पकड़ना पाटन के थाना प्रभारी दिनेशचंद्र तिवारी को भारी पड़ गया और उन्हें निलंबित होना पड़ा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पाटन थाना प्रभारी दिनेशचंद्र तिवारी ने पिछले दिनों रायपुर से जाकर सट्टा खिलाने वाले नरेश राजपूत को 1282 रुपए सट्टा पट्टी के साथ गिरफ्तार किया। बताया जाता है कि इस सटोरिये को कई लोगों का वरदहस्त है।
सूत्रों के मुताबिक नरेश राजपूत को पुलिस गिरफ्तार कर थाना लाई जहां चेक करने पर सटोरिये की जेब से 1282 रुपए के अलावा 14 हजार रुपए भी मिले जिसे सटोरिये ने बताया कि यह उसका पैसा है। यहां थाना प्रभारी ने सट्टा पट्टी की जांच की तो 1282 रुपए की लिखा पढ़ी ही मिली तो उन्होंने मानवता दिखाते हुए सटोरिये को 14 हजार वापस कर केवल 1282 रुपए की जब्ती बनाया।
सूत्रों के मुताबिक थाना प्रभारी के दुश्मनों ने इसकी खबर एसडीओपी पाल से कर दी और मौके की ताम पर बैठे पाल ने थाना प्रभारी की शिकायत कर उसे निलंबित कर दिया। अब थाना प्रभारी अपनी मानवता पर पछतावे तो पछताये। बहरहाल थाना प्रभारी के इस निलंबन की जबरदस्त चर्चा है और सटोरिये की पहुंच को लेकर भी कई तरह की चर्चा है।
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पटवारी को हटाने की मांग
पाटन। ग्राम पंचायत खुड़मुड़ा के सरपंच रामकुमार सोनकर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि यहां पदस्थ पटवारी चन्द्रशेखर सोनी को हटाने की मांग करते हुए कहा कि पटवारी आए दिन गायब रहते हैं जिससे गांव वालों को बेवजह चक्कर लगाना पड़ता है।
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रोगेयो के मजदूरों का
पैसा पूर्व सरपंच के पास
लोग परेशान
रायपुर। ग्राम पंचायत झीट में रोजगार गारंटी योजना में कार्यरत मजदूरों का भुगतान नहीं होने से लोग परेशान हैं और इसकी शिकायत श्रम विभाग से भी की गई है। श्रम विभाग ने सरपंच को पत्र लिखकर भुगतान करने कहा है। चर्चा है कि पूर्व सरपंच ने पैसों का आहरण कर लिया है।

इस सरकार में जो हो जाए कम है!

10 साल की सजा के बाद भी कार्यवाहक शाखा प्रबंधक
 यदि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में आधे राय में शासन नहीं है तो शायद कम ही आंका है और जिस सरकार में 10 साल की सत्ता के बाद हाईकोर्ट से जमानत लेने वाले को कार्यवाहक शाखा प्रबंधक बना दिया जाए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मामला धरसींवा सहकारी बैंक का है। जहां के कार्यवाहक शाखा प्रबंधक है केशवराम। जिन्हें सेल्समेन को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है और वे हाईकोर्ट से जमानत लेकर न केवल नौकरी कर रहे हैं। बल्कि एक ऐसे पद पर उन्हें बिठा दिया गया है जो शासन का महत्वपूर्ण विभाग है। जहां धान खरीदी से लेकर किसानों के हितों का निर्णय होता है। सरकार के इस रवैये को लेकर कई कहानी है जो समय समय पर खोजी जाएगी।

अल्ट्राटेक पर सरकार मेहरबान निस्तारी जमीन पर सड़क बना दी

लगता है प्रदेश की सरकार उद्योगपतियों पर कुछ यादा ही मेहरबान है। गांव वाले मर जाए लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इसकी वजह से उद्योगों का हौसला बढता ही जा रहा है। अल्ट्राटेक सीमेंट ने तो अब सरपंच-उपसरपंच के विरोध के बाद निस्तारी जमीन पर सड़क बना दी।
हिरमी के सरपंच प्यारेलाल ध्रुव ने इसका विरोध करते हुए बताया कि इस निस्तारी जमीन पर रोजगार गारंटी योजना से 54 हजार 993 रुपए सरकार के खर्च हो चुके हैं। अब देखना है कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी अल्ट्राटेक के इस अनाधिकृत कार्य पर सरकार क्या करती है।

मंत्री की लाचारी या आईएएस की दमदारी?

डीएस मिश्रा ने कार नहीं लौटाई
बीज निगम को नया खरीदना पड़ा


विवादों में रहने की कोशिश में लगे प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू की यह लाचारी है या कोई नया चाल यह तो वहीं जाने लेकिन ईमानदारी का लबादा ओढ़ने वाले आईएएस अधिकारी डीएस मिश्रा ने 'करोरा' आखिरकार बीज निगम को नहीं लौटाई और राय शासन द्वारा नियुक्त बीज निगम के अध्यक्ष श्याम बैस के लिए निगम को नया एम्बेसेडर कार खरीदना ही पड़ा।
कृषि मंत्री चन्द्रशेखर साहू के अधीनस्थ विभागों में क्या कुछ चल रहा है यह अब आम चर्चा में शामिल हो गया है। बीज निगम में उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की चर्चा अभी थमी ही नहीं है कि मछली पालन विभाग में शुक्ला-त्रिपाठी की जोड़ी को नियम विरुध्द पदोन्नति की कोशिश हो रही है। इधर आईएएस अधिकारी डी.एस. मिश्रा द्वारा बीज निगम की महंगी कार उपयोग किए जाने पर भी चंद्रशेखर साहू की चुप्पी आश्चर्यजनक है। कहा जाता है कि बीज निगम का प्रभार जब डीएस मिश्रा ने जब संभाला तो निगम ने उनके लिए एम्बेसेडर की बजाय 18 लाख की करोरा कार दी थी। मिश्रा इसी कार में आते जाते थे और जब वे बीज निगम का प्रभार छोड़े तो कार भी अपने साथ ले गए और तभी से इसका वे उपयोग कर रहे हैं।
इधर राय शासन ने जब श्याम बैस को बीज निगम का अध्यक्ष बनाया तो निगम अधिकारियों ने डीएस मिश्रा से कार मांगा तो वे यही कहते रहे कि लौटा देंगे। इधर बगैर कार के नवनियुक्त अध्यक्ष श्याम बैस के संभावित गुस्से से डरकर निगम ने मिश्राजी से कई बार कार मंगवाई लेकिन जब वे कार नहीं लौटाये तो निगम ने नया एम्बेसेडर खरीदने का मन बना लिया और नए अध्यक्ष के लिए नया कार खरीदा गया।
बताया जाता है कि मिश्रा के इस कारनामें की शिकायत कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू से भी कई गई लेकिन इन शिकायतों का क्या हुआ पता नहीं चला है। इसी तरह यहां बाहर की पार्टी को 20 करोड़ का बीज सप्लाई का मामला भी चर्चा में है। बहरहाल प्रदेश में आईएएस अधिकारियों की दादागिरी किस कदर चल रही है और जनता के नुमाइंदे बने नेता किस तरह अपनी जुबान बंद रखे हैं इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा है।

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