शनिवार, 20 जुलाई 2024

नेम प्लेट- मुसलमानों के बहाने दलित-पिछड़ा निशाने पर

 नेम प्लेटः इस नफरत से उजड़ जायेंगे दलित-पिछड़े...


उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू वोटरों के ध्रुवीकरण को लेकर कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों को नाम पट्टिका लगाने की अनिवार्यता थोपी है उससे मुसलमान कितने प्रभावित होंगे कहना मुश्किल है लेकिन इस आदेश से दलित और पिछ‌‌ड़े वर्ग के दुकामदार जरूर उज‌ड़ जायेंगे, क्योंकि हुए देश में सवर्ण समाज की मानसिकता अब भी नहीं बदली है और आज भी इसी भेदभाव के चलते दलितों की हत्या तक कर दी जाती है।

लोकसभा के बाद विधानसभा के उपचुनाव में हार से बौखलाए भाजपा को यदि हिंदू वोटो के ध्रुवीकारण की तलाश है तो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी दस सीटों पर होने भाले उपचुनाव में स्वयं की कुर्सी बचा लेने का ख़तरा बढ़ गया है। और इसी खतरे को भांपते हुए ही कांवड़ यात्रा मार्ग को लेकर नाम पट्टिका वाला फरमान जारी किया गया है।

लेकिन इस फ़रमान के विरोध में खड़े लोगों को हिन्दू विरोधी तमगा देने से भी हिन्दूवादी संगठन पीछे नहीं है लेकिन क्या नफ़रत से जल रहे हिन्दुवादी इस देश के सच को देखना ही नहीं चाहते।

देश का सच भयावह है, कि आज भी सवर्ण समाज का एक बड़ा तपका दलितों और वंचितों के साथ बैठना तक नहीं चाहता । सिर्फ दलित या अति पिछड़‌ा वर्ग होने के नाम पर प्रताड़ना का दौर  कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।गुजरात हो या राजस्थान, मध्यप्रदेश हो या उत्तरप्रदेश, आप किसी भी राज्य का नाम ले लें। सुदूर दक्षिण से लेकर उत्तर तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक अब भी वंचित या पिछड़े वर्ग के दूल्हे के घोड़ी में बैठने मात्र से हत्या की घटना सुनाई पड़ जाती है।

ऐसी परिस्थिति में यदि नाम पट्टिका की अनिवार्यता क्या इन दलित और पिछ‌ड़े वर्ग के लोगों को प्रभावित नहीं करेंगी।

भले ही हिन्दू‌वादी संगठन योगी आदित्यनाथ के इस फैसले में मुसलमानों की पराजय देख रहे हो लेकिन सच तो यह है कि इससे  सर्वाधिक प्रभावित दलित और पिछड़े वर्ग के लोग ही होंगे।

क्या इन वर्गो के द्वारा बेचे जा रहे पूजन सामग्री ख़रीदेगा,  जब बाजू में ही ब्राम्हण बनिया ठाकुर की दुकान होगी। क्या इनके खाने पीने की सामग्री भी कोई खरीदेगा यदि बगल में ही सवर्गो की दूकान होगी।

सच तो यही है कि योगी आदित्यनाथ ने जिस राजनैतिक उद्देश्य से यह फैसला लिया है उससे मुसलमान कम दलित व पिछ‌ड़े ही अधिक प्रभावित होंगे।

मॉब लिचिंग मामले में दबाव में आ गई डबल इंजन...

 मॉब लिचिंग मामले में दबाव में आ गई डबल इंजन...


आरंग क्षेत्र के महानदी पुल पर गौरक्षकों के द्वारा मॉब लिचिंग के मामले में पुलिस ने न्यायालय में दाखिल आटोप पत्र में ही तीन लोगों की मौत को पुल से कुदने की वजह बताई है। तो कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि डबल इजन की साय सरकार आरोपियों को बचा रही है इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ को शर्मसार कर देने वाली इस घटना को लेकर जिस तरह की राजनीति की गई वह हैरान कर देने वाला है। मॉब लिचिंग की इस घटना को लेकर पहले ही दिन से सरकार की भूमिका पर सवाल उठते रहे है और जब इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता विकास उपाध्याय आरंग जा पहुंचे और मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन किया तब कहीं जाकर हिन्दु संगठन से जुड़े आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

लेकिन गिरफ्तारी होते ही विश्वहिन्दू परिषद, बजरंगदल सहित गौरक्षकों ने भी प्रदर्शन कर दिया। राजधानी के कोतवाली थाने का घेराव कर वे घंटो बैठ गये और उपमुख्यमंत्री अरुण साव को धरना स्थल पर आश्वासन देना पड़ा। यहीं नहीं रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी इसी बहाने अपनी ही सरकार पर भड़ास निकाली।

इसके बाद से ही जनचर्चा थी कि मॉब लिचिंग के आरोपियों को बचा लिया जायेगा।

 न्यायालय में  आठ जुलाई को रायपुर की अदालत में पेश किए गए आरोप पत्र में दावा किया गया है कि ट्रक में मवेशी ले जा रहे तीनों लोगों का पांच आरोपियों ने करीब 53 किलोमीटर तक पीछा किया और इसके बाद ट्रक सवारों ने नदी में छलांग लगा दी। पुलिस ने पहले बताया था कि मवेशियों को ले जा रहे गुड्डू खान (35) और चांद मियां खान (23) की सात जून की सुबह जिले के आरंग थाना क्षेत्र में भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीछा किए जाने के

बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनका एक अन्य साथी सद्दाम कुरैशी भी इसी घटना में गंभीर रूप से घायल पाया गया था, जिसकी 18 जून को यहां एक अस्पताल में मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश के रहने वाले तीनों लोग आरंग क्षेत्र में महानदी पर बने पुल के नीचे पाए गए थे, जबकि भैंसों से लदा उनका ट्रक पुल पर खड़ा मिला था। आरंग पुलिस ने तब मामले के संबंध में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 34 (साझा इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। कुरैशी की मौत के बाद पुलिस ने कहा था कि उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मारपीट के कारण प्राणघातक चोट लगने का जिक्र नहीं है, जिसके बाद हत्या के प्रयास का आरोप हटा दिया गया।

पुलिस ने तब मामले की जांच के लिए रायपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) कीर्तन राठौर के नेतृत्व में 14 सदस्यीय विशेष दल का गठन किया था । बाद में पुलिस ने अलग-अलग जगहों से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र में कहा गया है, पांचों आरोपियों को संभवतः मवेशियों को ले जा रहे एक वाहन के बारे में जानकारी मिली थी। तीन कार में सवार आरोपियों ने. ट्रक का पीछा किया और लोहे की कीलें लगी लकड़ी और कांच के टुकड़े फेंक कर वाहन को रोकने की कोशिश की। ट्रक चालक ने भागने के लिए करीब 14 किलोमीटर तक गलत दिशा में गाड़ी चलाई, लेकिन आरोपियों ने उनका पीछा करना जारी रखा। जब आरोपियों द्वारा फेंकी गईं लोहे की कीलों और पत्थरों के कारण ट्रक का एक टायर क्षतिग्रस्त हो गया तो ट्रक महानदी नदी पर बने पुल पर रुका। आरोप पत्र में कहा गया है कि ट्रक में सवार तीनों लोग डर के कारण वाहन से उतर गए और अपनी जान बचाने के लिए पुल से नदी में कूद गए। इसमें कहा गया है कि पूरी घटना में आरोपियों ने करीब 53 किलोमीटर तक तेज गति से ट्रक का पीछा किया और उसे अवैधं रूप से रोकने की कोशिश की, जिससे पता चलता है कि आरोपियों को पता था कि उनके कृत्य से ट्रक में सवार लोगों की मौत हो सकती है या उन्हें ऐसी शारीरिक चोट लग सकती है, जिससे उनकी मौत हो सकती है। आरोप पत्र के मुताबिक, आरोपियों के कृत्य से भयभीत होकर तीनों व्यक्ति ट्रक से उतर गए और पुल से नदी में कूद गए, जिससे तीनों में से एक चांद मियां की मौके पर ही मौत हो गई और गुड्डू खान ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया। इसमें कहा गया कि सद्दाम ने करीब 12 दिनों के इलाज के बाद दम तोड़ दिया। आरोप पत्र में कहा गया है कि पुल से कूदने के बाद उसे लगी गंभीर चोटों के कारण उसकी मौत हो गई। इसमें कहा गया है कि आरोपियों का कृत्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 में उल्लेखित आपराधिक कृत्य के अंतर्गत आता है। जांच के बाद आईपीसी की धारा 304 और 34 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया।

इधर आरंग पुलिस ने इस मामले गिरफ्तार किया था जिसमें हर्ष मिश्रा, राजा अग्रवाल, नवीन सिंह ठाकुर और मयंक शर्मा शामिल है जबकिकहा जा रहा है कि अन्य लोगों की गिरफतारी सत्ता के दबाव में रोक दी गई। 

इधर पुलिए के आरोप पत्र को लेकर कांग्रेस ने डबल इंजन की साय सरकार पर गंभीर आरोप लगाये है। कांग्रेस प्रवक्ता सुशीत आनंद शुक्ला ने  न्यायिक जांच कराने की मांग उठाई है। अपराधियों को बचाने आरोप पत्र में लीपापोती के दावे करते हुए पुलिस की पूरी कार्रवाई को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के मुताबिक कांग्रेस पार्टी इस घटना की न्यायिक जांच चाहती है। भाजपा सरकार की नीयत शुरू से ही आरोपियों को बचाने की थी। सांसद बृजमोहन अग्रवाल के बयान को ही आधार बनाते हुए पुलिस द्वारा आरोप पत्र तैयार करना प्रतीत हो रहा है।

छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में धर्म के नाम पर इस तरह की वारदात ने डबल इजन वाली विष्णुदेव साय सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्योंकि हाल के दिनों में भाजपा ने जिस तरह की  राजनीति शुरू की है उसका असर मी पड़ने लगा है, । बस्तर के नारायणपुर में धर्मान्तरण को लेकर हुए विवाद में तत्कालीन एसपी सदानंद कुमार का उपद्रकीयों ने सर फोड़ दिया था, तो बीरमपुर की घटना पर बवाल मचा  था। 

यही नहीं झंडा लगाने के मामूली विवाद के चलते कवर्धा में कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था तो वर्तमान गृह‌मंत्री विजय शर्मा पर उपद्रव मचाने के आरोप में जुर्म दर्ज हुआ था और विजय शर्मा सहित दर्जनों भर लोगों को जेल भी जाना पड़ा था।

ऐसे में इस शांत प्रदेश में हुए मॉब लिचिंग की घटना किसी भी सत्ता के माथे पर कलंक है।