मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

जिम्मेदारी से दूर...


एक तरफ सत्ता थी जो अपनी गैर जिम्मेदाराना हरकत और लापरवाही से जनता को मुसिबत में डाल दिया था तो दूसरी तरफ जनता अपनी जिम्मेदारी समझ इस संकटकाल में लोगों की मदद के लिए आगे आ रही थी। सोनू सूद तो हीरो बन गये है लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी में कितने ही लोग हैं जो लोगों की सेवा कर रहे हैं, विधायक सत्यनारायण शर्मा और उनके दोनों बेटे पंकज और विकास तो पीपीई कीट पहनकर दिन रात सेवा में लगे थे तो विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कोविड सेंटर खोल दिया था, शहर कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश दुबे, सराफा व्यापारी अशोक  गोलछा, प्रहलाद सोनी, डॉ. राकेश गुप्ता, मनजीत बल्ला, विकास तिवारी कितने ही नाम है जो सहायता के लिए हर पल तत्पर थे और हैं।

दुख की बात तो यह है कि इस विषम परिस्थिति में राजनीति अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा है और ट्रोल आर्मी और वॉट्सअप यूनिर्वसिटी की बेशर्मी तो अब भी हिन्दू-मुस्लिम में लगी हुई है। चारो तरफ मोदी सरकार के प्रति गुस्सा और असंतोष बढ़ रहा है और उसे दबाने ट्रोल आर्मी और आईटी सेल एक बार फिर झूठ का सहारा लेकर नफरत फैलाने में लग गई। वे अब भी मानने को तैयार नहीं है कि केन्द्रीय सत्ता की लापरवाही और कोविड की गंभीरता को नजरअंदाज करने की वजह से ही हालत यहां तक आ पहुंची है।

हैरानी तो तब होती है जब देश के गृहमंत्री अमित शाह या दूसरे केन्द्रीय मंत्रियों का इस पर बयान आता है और राज्य सरकार को दोषी ठहराते हैं। जिन लोगों ने अपनी सत्ता बचाने बार-बार प्रोटोकाल की अवहेलना की हो वे प्रोटोकॉल को मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में धर्म की राजनीति करने वालों को याद करना चाहिए कि सत्ता को प्रोटोकाल की याद तभी आती है जब संकट में अपनी भूमिका को उजागर होते देखते हैं। महाभारत को याद कीजिए कि प्रोटोकाल की याद कब-कब दिलाई गई वे लोग जिन्हें पांच गांव नहीं देने को राजी थे, भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण कर रहे थे, अभिमन्यु को अकेले घेर कर मार रहे थे। वे जब कर्ण पर बाण चला रहे थे तो प्रोटोकाल बता रहे थे, दुर्योधन के जंघा पर वार के समय प्रोटोकाल बता रहे थे।

हैरानी तो तब होती है कि देश के प्रधानमंत्री जैसे ही प्रधानमंत्री केयर फंड से देश के सभी जिलों में आक्सीजन प्लांट डालने की घोषणा करते हैं उसके कुछ ही घंटों बाद देश के गृहमंत्री इस कदम का स्वागत करते हुए कहते हैं कि अब आक्सीजन की कमी नहीं होगी। यानी आक्सीजन प्लांट न हुआ अलाउद्दीन का चिराग हो गया, बोलते ही प्लांट तैयार होकर आक्सीजन देने लगेगा। आक्सीजन की जरुरत आज है और अभी है ऐसे में इस प्लांट का लाभ तो बाद में ही मिलेगा लेकिन जब देश के एक्सपर्ट और संसद में सांसद आने वाले दिनों में आक्सीजन की जरूरत बता रहे थे तब सत्ता ने क्या किया? तब क्यों नहीं व्यवस्था की। आक्सीजन के निर्यात को क्यों नहीं रोका गया।

दूसरी लहर की चेतावनी को क्यों नजर अंदाज किया गया? और आज भी केयर फंड से जो आक्सीजन प्लांट बनाने की घोषणा की गई है उसका पूरा नियंत्रण केन्द्र के ही हाथ में है। यानी पिछली घोषणा की तरह क्या यह भी हवा हवाई होकर नहीं रह जायेगी। तब जनता के प्रति जिम्मेदारी की बात सत्ता न ही करे तो अच्छा है।