शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

लोहा-कोयला से छग में
10 साल में 50 हजार
करोड़ की लूट
छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों में लौह अयस्क व कोयला के अवैध उत्खनन में 50 हजार करोड़ रूपये से अधिक राशि की सरकारी तिजोरी को चूना लगाया गया है । अवैध उत्खनन से सरकारी तिजोरी को करो व अन्य शुल्क से पहुंचे नुकसान की राशि इससे अधिक हो सकती है । रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान इन खनिजों के अवैध उत्खनन में हुई बेतहाशा वृद्धि का आलम यह है कि इससे अधिकारियों से लेकर सत्ता में बैठे मंत्रियों तक को फायदा पहुंचाया गया है । यह मंत्रालय डॉ. रमन सिंह के पास है

इस मामले से जुड़े खनिज विभाग के अफसरों का कहना है कि चूंकि प्रदेश में खनिज मंत्रालय सीधे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पास है इसलिए अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई और जिस किसी अफसर ने कार्रवाई की जरूरत की उसे खामियाजा तक भुगतान पड़ा ।
खनिज मामलों के विशेषज्ञों का मानना हे कि यदि व में अनिल लुनिया के मामले में कार्रवाई हुई होती तो लूट इस कदर नहीं बढ़ती । ज्ञात हो कि भैंसा कद्दार में अवैध खनन को लेकर विधानसभा में भी हंगामा मचा था जबकि पुष्य स्टील का मामला अभी-भी गरम है और इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ट नेता मोतीलाल वोरा पर भी आरोप लगे हैं ।
खनिज मामले के विशेषज्ञों का दावा है कि पूरे छत्तीसगढ़ में हुई उद्योगों ने करोड़ों टन लौह अयस्क व कोयला का अवैध खनन किया है और कई मामले में तो इन अयस्कों को प्रदेश के बाहर भेजने की भी खबर है । सूत्रों की माने तो अवैध उत्खनन के चलते रमन राज में सरकारी तिजोरी को हर साल करीब 7 से 8 हजार करोड़ रूपये का नुकसान केवल लोहा और कोयला से हुआ हे ।
सूत्रों का दावा है कि वन विकास शुल्क, वैट, एस टी व रायल्टी का पूरा आकलन किया जाये तो यह राशि 50 हजार करोड़ रूपये से अधिक की होगी । यही नहीं इस खेल में न केवल खनन माफिया, उद्योगपति बल्कि सत्ता में बैठे मंत्रियों व अधिकारियों के अलावा विपक्ष के कई विधायकों को भी बड़ी राशि मिली है ।
विशेषज्ञ सूत्रों का कहना है कि यदि लिज होल्डरों पर नजर रखी जाती तो यह स्थिति नहीं बनती जबकि अवैध उत्खनन की शिकायतों को भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और अप्रत्यक्ष रूप से इस लूट का हिस्सा बन गए ।
इधर हमारे सूत्रों का कहना है कि कोयला खदान व लौह अयस्क के अवैध खनन और बिकी के आकंड़ों में भी कभी बताई गई । कहा जाता है कि कोयला खदान में भारी पैमाने पर अवैध खनन किया गया और इस मामले में विभाग की भूमिका भी संदिग्ध रही ।
सूत्रों का कहना है कि इस खेल में तत्कालीन खनिज सचिव का रोल जबरदस्त था और इसी वजह से उनके रिटायर्ड होने के बाद भी सरकार ने उन्हें संविदा नियुक्ति दी ।