मंगलवार, 20 जुलाई 2010

अरबों की लूट दिलेरी से करते हैं नेता-अधिकारी

दिखने को तो ये छोटी सी बात है लेकिन क्या कोई यह कल्पना कर सकता है कि इस देश में हर साल जनता के खजाने का अरबों रुपया लालबत्ती व सरकारी वाहनों के दुरुपयोग पर चला जाता है। मितव्ययता की बात तो सभी सरकारें करती हैं लेकिन नेताओं और अधिकारियों का गठजोड़ इतना मजबूत है कि सारे आदेश धरे के धरे रह जाते हैं और आम आदमी अपने हिस्से की राशि लूटते हुए चुपचाप देखता रह जाता है।
हमारी लड़ाई इसी बात की है कि एक गरीब से गरीब आदमी अपना पेट काट कर टेक्स देता है। नमक तेल से लेकर जीवनोपयोगी हर चीजों पर सरकार टेक्स लेती है और तब सरकार के खजाने में पैसा जमा होता है। इन पैसों का दुरुपयोग भी किसी से छिपा नहीं है। हम यहां जनता के इसी खजाने को लूटे जाने के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसलिए ऐसे मुद्दे आम लोगों के बीच ला रहे हैं जिसे जनता रोज देखती है लेकिन उसे पता नहीं है कि सरकारी खजाने में इस वजह से अरबों रुपए की डकैती हो रही है।
पूरे देश में नेताओं और अधिकारियों को सरकारी वाहन की सुविधा दी जाती है। यह सुविधा सिर्फ सरकारी कामकाज के लिए दी जाती है लेकिन इसका दुरुपयोग निजी कार्यों के रुप में किया जाता है। मंत्री हो या अधिकारी सभी सरकारी वाहनों का दुरुपयोग अपने परिवार वालों को घुमाने-फिराने, बच्चों को स्कूल-कॉलेज लाने ले जाने और परिवार के लोगों को शॉपिंग कराने में किया जाता है। एक आंकड़ों के मुताबिक सरकारी वाहनों के ऐसे दुरुपयोग से हर साल सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। छत्तीसगढ में ही मुख्यमंत्री से लेकर कई ऐसे मंत्री है जिनकों मिले सरकारी वाहनों का उपयोग निजी कार्यों के लिए किया जाता है। जबकि अधिकारियों के बच्चे को स्कूल-कॉलेज तक ऐसे वाहनों से पहुंचते देखा जा सकता है।
जनता यह सालों से देख रही है लेकिन वह या तो इस बात से अनजान है या फिर वह बेवजह दुश्मनी की वजह से खामोश है। मीडिया तो मय चित्र सबूत इस तरह के दुरुपयोग की लाखों तस्वीरें छाप चुकी है लेकिन इस मामले में कभी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इस वजह से अरबों रुपए सरकारी खजाने से खाली हो रहे हैं।
कभी-कभी सरकार में बैठे मंत्री मितव्ययता का आदेश जारी कर देते है ताकि जनता यह भुलावे में रहे कि सरकार ऐसे दुरुपयोग को रोकने गंभीर है जबकि वास्तविकता इसके विपरित है। क्या सरकार तभी कार्रवाई करेगी जब जनता ऐसे वाहनों के दुरुपयोग पर जुलूस निकाल दे या दुरुपयोग करने वालों की बेइाती कर दे। हमारा अभियान का मकसद भी यही है कि इस तरह के निजी दुरुपयोग को लेकर जनता सजग हो जाए क्योंकि और ऐसे लोगों को मौके पर ही पकड़कर पुलिस को सौंपे या थाने में रपट लिखाए। जनता जागेगी। जरूर जागेगी। हमारा दृढ़ विश्वास है और ऐसे दुरुपयोग की वजह से हर साल सरकार को लग रहे करोड़ों रुपए की चपत से निजात मिले। ताकि महंगाई पर कुछ तो काबू की जा सके।