शुक्रवार, 28 जून 2024

फ़कत् ला-ला ने कर दिया बेड़ा-गर्क

 फ़कत् ला-ला ने कर

दिया बेड़ा-गर्क


महापौर से लेकर विधायक बनने का सपना संजोने वाले भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव को तो पार्टी ने वह सब कुछ दिया जिसने वे लायक थे या नहीं उसे लेकर पार्टी के भीतर भी सवाल उठते रहे हैं।

एलआई सी एजेंट से राजनीति में आये संजय श्रीवास्तव भी राजीव अग्रवाल की तरह हर चुनाव में टिकिट की लाईन में लग जाते हैं, पार्षद हो या कोई भी चुनाव ।  कहा जाता है कि उन्हें टिकिट चाहिए। यही वजह है कि अब पार्टी के नेता भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते।

गौरी की सीढ़ी चढ़कर भजायुमों  की राजनीति करते करते ला-ला वाले खेल खेलने लगे और उनके खेल की चर्चा तो इतनी है कि ख़ुद भाजपा के नेता भी उनके निचोड़ने वाले गुण से नहीं बच पाये हैं, शंकरनगर के एक कॉम्प्लेक्स वाले ज़मीन को लेकर पार्टी के नेताओ से विवाद की चर्चा  तो इतना तूल पकड़ा था कि महापौर की टिकिट की ईच्छा चकवाचूर हो गया।

रमन सिंह के असली गृहमंत्री से संबंध बनाते बनते  संबंध प्रसाद तक जा पहुंचा लेकिन ला-ला प्रेम के चलते विधानसमा की टिकिट से वंचित होना पड़ा।यानी जो इन्हें जान गया वह टिकिट कभी नहीं देगा।

और कहा जाता है कि रायपुर दक्षिण की सीट खाली होते ही एक बार फिर जीभ लपलपाने लगा है। लेकिन सवाल तो वही है कि टिकिट  दिलायेगा कौन? क्योंकि सीढ़ी को ही तोड़ने में माहिर संजय श्रीवास्तव की  यह आदतें छूटती नहीं। और छूटे भी कैसे, इंदौरी चटोरापन कभी छूटता है क्या ?

अपराधी चला रहे थाना फिर पुलिस से डर कैसा...

 अपराधी चला रहे थाना 

फिर पुलिस से डर कैसा...


रमन राज में जब पूर्व गृह‌मंत्री ननकी राम कंवर ने कहा था कि दस - दस हजार में थाने बिकते हैं और कलेक्टर- एस पी वसूलीबाज़ हो गये हैं, तब विधानसमा में इस बात को लेकर खूब हल्ला मचा तो क्या छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही यही स्थिति बन गई है और बढ़ते अपराध की एक बड़ी वजह साँठ-गाँठ है, या फिर शराब के धंधे में लिए नेताओं को ऐसे ही लोग चाहिए जो उनके अवैध शराब के धंधे को फलने-फूलने का अवसर दें।

छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध की खबर ने आम आदमी की चिन्ता बड़ा‌ दी है, हत्या - बलात्कार के बढ़‌ते मामलो के बीच अपराधियों को पकड़ने की बजाय शिकायत करने वालों को ही परेशान करने का मामला भी बढ़‌ता ही जा रहा है। और अपराधी कॉलर उठाये बेखौफ़ घूम रहे हैं।




राजधानी में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे थाने में ही गवाहों पर हमला करने लगे हैं।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार थाने महिला आरोपी ने गवाह पर ब्लेड से हमला कर दिया। मामला शहर के संवेदनशील क्षेत्र माने जाने वाले मौदाहापारा का है, जहां उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था। कांकेर सहित दूसरे स्थानो के हिस्टरी शिटर यहां रह रहे थे। गिरफ्तार उपद्र‌वियों में दो महिलाएं भी है। जिन पर आर्म एक्ट का मामला भी दर्ज हैं।

हालांकि पुलिस का कहना है कि काले धागे में बंधी ताबिज जैसी चीज से वार किया गया है। जबकि घायल युवक ब्लेड से वार करना बता रहा है। वह भी थाने के भीतर।


इधर पुलिस पर, चाकू से वार या हमले के मामले को धारदार नुकीले  चीजों से मारने का रिपोर्ट लिखकर या  लूट को चोरी, डकैती को चोरी बताकर मामले को कमजोर करने का आरोप भी लगता रहा है। तो अपराधियों को नहीं पकड़‌ने की बात आम है।

शहर के प्रतिष्ठित अख़बार नवभारत ने तो बकायदा इस शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित भी किया कि “पुलिस घेरे के बीच नजर आए कई फ़रार आरोपी' बाकायदा तस्वीर के साथ प्रकाशित इस रिपोर्ट  में बताया गया है कि जिन लोगों को पुलिस तलाश कर रही है या जिनके ख़िलाफ़ थाने में वारंट है वैसे लोग खुले-आम थाना आते जाते हैं और  पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करती।

सूत्रों की माने तो राजनैतिक पहुंच के चलते ही पुलिस अपराधियों को बख्श रही है।

लता की छटपटाहट...

 लता की छटपटाहट...


विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मरे जा रहे लोगों की कमी नहीं हैं, कई दिग्गज नेता साम-दाम की राजनीति में लगे हैं तो कोई अपने आकाओं के भरोसे है। कहा जा रहा है कि एक तरफ़ मंत्री बनने राजेश मूणत ने पूरा दांव खेल दिया है तो दूसरी तरफ सबसे ज्यादा छटपटाहट जिसमें दिखाई दे रही है वह लता उसेंडी है।

रमन सरकार में मंत्री रह चुनी लता उसेडी को लेकर कई चर्चे है और कहा जाता है कि ऐसे ही एक चर्चे ने रमन सरकार की किरकिरी तक करा दी थी, मीडिया प्रेम से ओत प्रोत लता उसेंडी ने प्रेसक्लब में बैडमिंटन कोर्ट बनाने में भी मदद की तो पार्टी  के मीडिया संभालने वालों की मदद को लेकर भी वे चर्चा में थी…।

कहा जाता है कि इस बार भी वे मंत्री बनने के लिए पूटी ताकत लगाई हुई है, और  अब उन्हें उड़ीसा चुनाव में किये मेहनत  पर ही ज्यादा भरोसा है, क्योंकि पिछली बार वे जिस सीढ़ी में चढ़‌कर मंत्री बनी वी, वह सीढ़ी से इन दिनों किनारे कर दी गई है।

लेकिन लता की दिक़्क़त यह है कि  साय सरकार ने महिला कोटे से पहले ही लक्ष्मी राजवाड़े को मंत्री बना रखा है तब क्या इस बार महिला मंत्री की संख्या बढ़ाई जायेगी। और क्या कोई नई सीढ़ी तैयार हो गई है..!