ट्रंप के भारत विरोधी एजेंडे की असली वजह…
यह पूरा देश जानता है कि कभी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को अपना सबसे बड़ा मित्र बताया था तब ट्रंप आख़िर ऐसी हरकत क्यों कर रहा है जिससे मोदी की छीछालेदर तो हो ही रही है भारत का नाम भी न केवल दुनिया में ख़राब हो रहा है बल्कि नई तरह की मुसीबत खड़ी हो रही है…
क्या इसकी वजह नरेंद्र मोदी की कोई चाल है जिसकी वजह से ट्रंप नाराज़ हो गया, या फिर इसकी वजह मोदी का मित्र प्रेम है या फिर ब्रिक्स में डॉलर को चुनौती देना या फिर कुछ और …
सोशल मीडिया में कितने ही क़यास चल रहे है इन क़यासों के बीच रजनीश जैन लिखते हैं- लॉस एंजेलिस में चल रहे दंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं, लेकिन उनका भारत-विरोधी एजेंडा रुकने का नाम नहीं ले रहा। वायरल तस्वीरों में एक अप्रवासी भारतीय छात्र को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ा हुआ देखकर हर भारतीय का खून खौल उठता है। यह न केवल एक व्यक्ति का अपमान है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान पर हमला है। फिर भी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रहस्यमयी चुप्पी देश को हैरान कर रही है।
ट्रम्प प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती बरतते हुए भारतीयों को निशाना बनाया है। 2025 में सैन्य विमानों से 104 भारतीयों को हथकड़ियों में वापस भेजने की घटना ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सही कहा कि भारत को अमेरिका से मानवीय व्यवहार की मांग करनी चाहिए थी, न कि अपराधियों सा बर्ताव स्वीकार करना चाहिए था। ट्रम्प का यह रवैया उनकी भारत-विरोधी नीतियों का हिस्सा है, जो भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता के दावे और भारत के रूस-चीन संबंधों पर तंज से स्पष्ट है।
मोदी सरकार की चुप्पी इस मामले को और गंभीर बनाती है। कभी ट्रम्प के लिए "अबकी बार ट्रम्प सरकार" का नारा देने वाले मोदी आज उनके सामने भारत का सम्मान दांव पर लगने के बावजूद खामोश हैं। क्या यह वही "मजबूत" भारत है, जिसका दावा सरकार करती रही है? विदेश मंत्रालय की ओर से सिर्फ औपचारिक बयानबाजी और सहयोग की बातें सामने आ रही हैं, लेकिन ठोस कदमों का अभाव है।
भारत को अब कूटनीतिक दबाव बनाना होगा। ट्रम्प के टैरिफ और निर्वासन नीतियों का जवाब भारत को अपने व्यापारिक और सामरिक हितों की रक्षा करते हुए देना चाहिए। भारतीय छात्रों और प्रवासियों के सम्मान की रक्षा के लिए अमेरिका में भारतीय दूतावासों को सक्रिय होना होगा। मोदी सरकार को चाहिए कि वह ट्रम्प के सामने भारत का पक्ष मजबूती से रखे, न कि चुप्पी साधे। देश का स्वाभिमान दांव पर है, और अब समय है कि भारत अपनी आवाज बुलंद करे। लेकिन सिंदूरी लाल अपने ग्यारह साल को सदी के बेहतरीन साल मनवाने को आमादा है।