बुधवार, 22 अप्रैल 2020

यादों के झरोखों से ...

आफ़त की चाहत क्या एक आँखो देखी और महसूस किया गया भारतीय राजनीति का वह कुरूप चेहरा है जिसे लिखने जब बैठा तो सोचा नहीं था कि इसका इतना प्रतिसाद मिलेगा
सिर्फ़ कवर पेज और भूमिका पर  तारीफ़ मिली तो गाली देने वालों की भी कमी नहीं थी
लेकिन लिखना जारी रखा
आज जब इसका चौदहवाँ किश्त प्रकाशित हुआ
इसके पहले पाठकों की जो प्रतिक्रिया है उसे सहेज रहा हूँ
अच्छा है चाहे बुरा है
संतोष यह है कि ये मेरा है