मंगलवार, 18 जून 2024

मंत्रालय में हावी हुआ भाई साहब… संस्कृति

 मंत्रालय में हावी हुआ 

भाई साहब… संस्कृति 



सत्रा बदलते ही मंत्रालय में क्या-क्या बदला कहना मुश्किल है क्योंकि मंत्रालय तो अफ़सर ही चलाते है लेकिन जिस बात से अफ़सर सबसे ज्यादा हैरान है वह है , मंत्रालय में तेजी से पनप रहे भाई साहब संस्कृति का ।

एक अफसर ने बड़े  दुखी मन से बताया कि सत्ता बदलते ही  मंत्रालय आने वाले नेताओं की वेशभूषा बदल गई है, नये-नये और ऐसे-ऐसे चेहरे दिखाई देने लगे है जो चेहरे से ही धंधे बाज लगते हैं, और इनके रौब के आगे मंत्रियों का रौब भी फीका पड़ जाये।

ऐसे लोग सीधे सचिवों के पास पहुंचते है और काम सौंपते हुए कहते हैं कि भाई साहब से बात हो गई है।

अब अफसर पूछ भी नहीं पा रहे हैं कि ये भाई साहब कौन है, क्योंकि भाजपा में  तो हर नेता, दूसरे नेता के लिए भाई साहब है, मुख्यमंत्री भी भाई साहब है तो प्रदेश अध्यत भी, गृह मंत्री भी भाई साहब है तो उपमुख्यमंत्री भी भाई साहब   है।

मोदी का रेल, पूरी तरह फेल

 न रेल दुर्घटना रुक रहा न समय पर ट्रेन ही चल रही, सबसे असफल 

आख़िर एक असफल मंत्री को दोबारा मौक़ा देकर मोदी ने ग़लत तो नहीं कर दिया  


बिहार-बंगाल की सीमा के पास सोमवार को बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है। सियालदाह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। हादसे में कंजनजंगा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे बेपटरी हो गए। हादसे के बाद हड़कंप मच गया। रेलवे की टीम जांच में जुट गई है। इस हादसे के बाद एक बार फिर पुराने जख्म हरे हो गए हैं। पिछले साल ओडिशा के बालासोर जिले में दो जून को एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ था, जिसकी यादें ताजा हो गई हैं।

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जिस तरह से बुनियादी ढाँचा चरमराया है वह गंभीर ख़तरे का संकेत है

।ऊपर से कभी भी ट्रेनें रद्द कर देने से भी यात्रियों कि मुसीबत बढ़ी है , हालत ये है कि यात्री परेशान है और मोदी सत्ता सुविधा के नाम पर लोगों की जेब ख़ाली करने में लगी है।

कहा जाता है कि निजीकरण से भी आम यात्रियों की तकलीफ़े बढ़ी है, जबकि ट्रेन रद्द करने की बड़ी वजह वन्दे भारत को सफल बनाने या बताने की रणनीति है ।


मोदी सरकार पर भारतीय रेलवे को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कांग्रेस ने कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना के मद्देनजर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की। साथ ही कांग्रेस ने कहा कि उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। विपक्षी दल ने मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर दुर्घटना स्थल पर पहुंचने के लिए वैष्णव पर भी कटाक्ष करते हुए पूछा कि वह रेल मंत्री हैं या 'रील मंत्री'। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जब भी कोई रेल दुर्घटना होती है, मोदी सरकार के रेल मंत्री कैमरों की रोशनी में घटनास्थल पर पहुंचते हैं और ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे सब कुछ ठीक है।

  1. कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा, 'नरेंद्र मोदी जी, हमें बताएं कि किसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, रेल मंत्री को या आपको?' खरगे ने सरकार से 7 सवाल पूछे और जवाब मांगे। उन्होंने पूछा कि बालासोर जैसी बड़ी दुर्घटना के बाद, बहुचर्चित 'कवच' ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली का दायरा एक किलोमीटर भी क्यों नहीं बढ़ाया गया? 
  2. कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा, 'रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली क्यों हैं, पिछले 10 सालों में उन्हें क्यों नहीं भरा गया? एनसीआरबी (2022) की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2021 के बीच ही रेल दुर्घटनाओं में 1,00,000 लोगों की मौत हुई है! इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?' 
  3. उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने स्वयं स्वीकार किया है कि मानव बल की भारी कमी के कारण इंजन चालकों का लंबे समय तक काम करना दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है। उन्होंने पूछा कि इन पदों को क्यों नहीं भरा गया।
  4. खरगे ने पूछा, 'अपनी 323वीं रिपोर्ट में संसद की स्थायी समिति ने रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई 'उपेक्षा' के लिए रेलवे की आलोचना की थी। यह रेखांकित किया गया कि सीआरएस केवल 8 से 10 प्रतिशत दुर्घटनाओं की जांच करता है, सीआरएस को मजबूत क्यों नहीं किया गया?'
  5. उन्होंने पूछा कि कैग के अनुसार, 'राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष' (आरआरएसके) में 75 प्रतिशत धनराशि क्यों कम कर दी गई, जबकि हर साल 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाने थे। खरगे ने आगे पूछा कि रेलवे अधिकारियों द्वारा इस धन का उपयोग अनावश्यक खर्चों और सुख सुविधाओं पर क्यों किया जा रहा है?
  6. खरगे ने कहा, 'रेल में सामान्य शयनयान श्रेणी में यात्रा करना इतना महंगा क्यों हो गया है? शयनयान की संख्या क्यों कम कर दी गई है? रेल मंत्री ने हाल ही में कहा कि रेल डिब्बों में 'अधिक भीड़' करने वालों के खिलाफ पुलिस बल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन क्या उन्हें यह नहीं पता कि पिछले साल सीटों की भारी कमी के कारण 2.7 करोड़ लोगों को अपनी टिकटें रद्द करानी पड़ीं - जो कि मोदी सरकार की डिब्बों की संख्या कम करने की नीति का सीधा नतीजा है?' 
  7. उन्होंने पूछा कि क्या मोदी सरकार ने किसी भी तरह की जवाबदेही से बचने के लिए 2017-18 में रेल बजट को आम बजट में मिला दिया था? खरगे ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'आत्म-प्रशंसा से मोदी सरकार द्वारा भारतीय रेलवे पर की गई आपराधिक लापरवाही को कम नहीं किया जा सकेगा! शीर्ष स्तर पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है।'



06 जून 1981: यह वह दिन था जब बिहार को सबसे घातक ट्रेन दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। ब्रिज को पार करते हुए ट्रेन बागमती नदी में जा गिरी थी। इस हादसे में 750 लोगों की मौत हो गई थी।
प्रमुख रेल हादसा 
20 अगस्त 1995: फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी हुई कालिंदी एक्सप्रेस से टकरी गई। इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 305 के करीब थी।  

26 नवंबर 1998: पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस पटरी से उतरे फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल की तीन डिब्बों से टकरा गई। इस हादसे में 212 लोग मारे गए थे।  

02 अगस्त 1999: ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई, जिसमें 285 लोग मारे गए और 300 के करीब घायल हुए थे।  

20 नवंबर 2016: पुखरायन में इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने की वजह से घातक हादसा हुआ, जिसमें 152 लोगों की मौत और 260 घायल हुए थे।  

09 नवंबर 2002: रफिगंज के धावे नदी के ऊपर बने ब्रीज में हावड़ा-राजधानी एक्सप्रेस पलट गई, जिसमें 140 लोग मारे गए थे।  

23 दिसंबर 1964: रामेश्वरम में चक्रवात में पंबन धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन के बह जाने की वजह से 126 यात्री मारे गए थे।  

28 मई 2010: मुंबई जा रही ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और सामने से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में 148 यात्री मारे गए थे। 

02 जून 2023: बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच ट्रेन दुर्घटना हुई थी। इस हादसे में कम से कम 233 लोग मारे गए थे। वहीं 900 से अधिक लोग घायल हुए थे। आजादी के बाद से अबतक की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक यह हादसा बताया जाता  है। 

https://youtu.be/ERvjVJ2BH1k?si=py7Q04OYyktLWb5K