मंगलवार, 11 मई 2021

विचारधारा की शून्यता...

 

भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से असम में कांग्रेस से आए हिमत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर आये शुभेन्द्रु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है उसके बाद तो साफ हो गया है कि सत्ता के लालच में भाजपा बुरी तरह फंस चुकी है और अब संघ या भाजपा के सिद्धांतों की बजाय सत्ता के सिद्धांत पर चलना होगा।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र में सरकार कभी भी अपने दम पर नहीं बनी है, वह दर्जनों दलों के गठबंधन के साथ ही चलती है तो  इसकी वजह उस पर लगने वाले साम्प्रदायिकता का वह आरोप है जो समय-समय पर परिलक्षित होता रहता है। 2014 में नरेन्द्र मोदी सत्ता में आये तब भी दूसरे दलों से भाजपा में आये सांसदों की संख्या ही वजह थी।

दरअसल भाजपा अब भी नहीं समझ पा रही है कि इस देश का मिजाज क्या है, यदि देश का मिजाज संघ के मिजाज से मेल खाता तो भाजपा या जनसंघ बहुत पहले ही सत्ता में आ गई होती। यह देश पूरी दुनिया को अनेकता में एकता का सिर्फ संदेश ही नहीं देता, बल्कि उसे जीता भी है। कुंठित हिन्दु  और कुंठित मुस्लिम लीग को हवा देकर अंग्रेजों ने भले ही देश का विभाजन धर्म के आधार पर कर दिया हो लेकिन भारत आज भी धर्म निरपेक्ष को जीता है।

यही वजह है कि संघ या भारतीय जनता पार्टी केन्द्र की सत्ता पर काबिज होने उन दलों की बैसाखी पर सवार होते हैं जो महत्वाकांक्षी होते है, भाजपा ऐसे दलों से भी समझौता करने से परहेज नहीं करती जो मुश्किल से एक-दो सीट ही जीत सकते हैं। भले ही संघ या भाजपा के समर्थक यह दावा करे कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है या सबसे बड़ा संगठन है उनके सदस्य करोड़ों में है लेकिन सच तो यह है कि संघ या भाजपा के सिद्धांत पर चलने वालों की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुंची है।

यही वजह है कि आजादी के सालों बाद पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता तक पहुंचे तो 23 दलों का सहयोग था और अब मोदी सत्ता में आये है तब भी दर्जनभर दल के सहयोग के अलावा ऐसे लोगों के कारण सत्ता पर पहुंचे है जो अपने दलों से बगावत कर भाजपा में आये हैं। ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश का है यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बगावत नहीं करते तो मध्यप्रदेश में भाजपा सत्ता से बाहर थी।

हिन्दू राष्ट्र का सपना देखने वाले शायद भूल गए हैं कि इस देश में दूसरे धर्म के लोग भी रहते हैं और भारतीय संविधान उन्हें वो सारे अधिकार देता है जो हिन्दुओं को देता है। ऐसे में यदि कुछ लोग सोचते है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू राष्ट्र का निर्माण कर देंगे तो यह बचकानी सोच है क्योंकि अब तो भाजपा में इतनी बड़ी संख्या में दूसरे दलों से लोग आ गए हैं जो कभी भी संघ के लिए मुसिबत खड़ी कर सकते हैं।

आखिर असम में पूरी भाजपा को सरमा के सामने झुकना पड़ा हालांकि बंगाल में शुभेन्द्रु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष बनाना भाजपा की रणनीति हो सकती है लेकिन शुभेन्द्रु अधिकारी को संघ के विचारधारा में ढाल लेना नामुमकिन है और कोई बड़ी बात नहीं कि भाजपा इस मामले में धोखा खा जाए।