रविवार, 4 अप्रैल 2021

ये चेतावनी है...!

 

पंजाब में भाजपा के विधायक नारंग की किसानों ने पिटाई कर नंगा कर दिया। खबर को लेकर निंदा करते हुए जो प्रतिक्रिया आ रही है वह हैरान करने वाली है। इनमें से सबसे हैरान करने वाली प्रतिक्रिया थी, वे किसान थे यदि भाजपा या संघ के होते तो मॉब लिचिंग होता!

हमारी सोच, हमारी दशा क्या होते जा रहा है, गांधी-नेहरू के भारत से इतर हम इस देश को कहां ले जा रहे है, नानक-बुद्ध-महावीर के इस देश में ऐसी प्रतिक्रिया का कोई स्थान नहीं होना चाहिए लेकिन बीते सालों में राष्ट्रवाद और हिन्दूत्व की चाशनी में अच्छे दिन का सपना दिखाकर जो जहर फैलाया गया उसकी प्रतिक्रिया का अंदेशा किसे था?

कुर्सी की लड़ाई ने पहले ही इस देश में लोगों को बांटने का काम किया है और जब लड़ाई किसी को खत्म करने की ईच्छा में तब्दिल हो जाये तो इसका नुकसान समाज और देश भुगतता है। विरोधियों को समाप्त करने की सोच लोकतांत्रिक नहीं है यह सोच राजा महाराजा या तानाशाही सोच है।

हमने पहले ही कहा है कि यदि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष नहीं होगा तो सत्ता के खिलाफ विपक्ष की भूमिका में जनता सड़कों पर आ जायेगी और यह क्रांति कहलाता है और क्रांति से सत्ता और उनसे जुड़े लोग ही प्रभावित होते हैं।

पंजाब में भाजपा विधायक के साथ जो कुछ हुआ वह सत्ता के लिए चेतावनी है क्योंकि जनता का क्रोध को कमजोर करने का काम विपक्ष करता है, अपनी तकलीफ को विपक्ष के द्वारा उठाये जाने से आम आदमी थोड़ी राहत महसूस करता है और अपनी बात सत्ता तक पहुंच जाने से नरम भी पड़ता है लेकिन सोटिये जब विपक्ष नहीं होगा तब क्या वह अपनी तकलीफ सीधे सत्ता तक पहुंचाने की कोशिश नहीं करेगा। और इस कोशिश में वह क्या करेगा, अकेला हो तो स्वयं को नुकसान पहुंचाएगा और भीड़ हो तो प्रदर्शन तोडफ़ोड़ और...!

ऐसे में इस घटना से मुंह फेर लेने का मतलब क्या है? इस घटना के लिए जितने किसान दोषी है उससे ज्यादा दोषी वह सत्ता है जो मनमानी में विपक्ष को ही समाप्त कर देना चाहता है। चार माह से किसान आंदोलित है और सत्ता के पास यदि बात करने का भी समय न हो तो इसका मतलब क्या है।

सवाल किसानों की मांगों के उचित-अनुचित का नहीं है, सवाल तो यही है कि जब इस कानून में किसान अपनी बरबादी देख रहे हैं तो फिर उसे सत्ता क्यों थोपना चाहती है। चुनाव जीत कर सत्ता हासिल करने का यह कतई मतलब नहीं है कि उसे मनमानी की छूट है। और न ही यह मतलब है कि हारे हुए नेता कुछ बोल न सके।

ऐसे में यजि जनता विपक्ष की भूमिका में न आ जाये यह सत्ता को देखनी है!