मंगलवार, 9 मार्च 2021

घोर दरिद्रता...


 

अपने को विश्व का सबसे बड़ी पार्टी मानने घोर दरिद्रता से जूझ रही है! इतिहास की इस बेरुखी ने उन्हें इस कदर दरिद्र कर दिया है कि वे दूसरे दलों के नेताओं के पीछे छुप कर अपने इतिहास को छुपाने की कोशिश में लगी है।

यह बात हम पहले भी लिख चुके है कि माफी मांगने वाले वीर सावरकर, गोडसे, दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस पार्टी के सामने यह संकट सदैव रहेगा कि आजादी की लड़ाई में उनके तरफ से किसी योद्धा का इतिहास में वह नाम नहीं है जिस पर गौरव करके वोट हासिल किया जा सके। यही वजह है कि पांच राज्यों के चुनाव में  उन्हें फिर से एक बार उन महान नेताओं के पीछे छुपना पड़ रहा है जिन्होंने कभी भी संघ के समर्थन में एक शब्द नहीं कहे बल्कि विरोध में खड़े रहे!

हालांकि जंग और चुनाव में सब जायज है बावजूद इसे मानसिक दिवालियेपन की नजर से देखने के बजावय इतिहास को फिर से समझने की जरूरत है। बंगाल चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सुभाष बाबू, रविन्द्र नाथ टैगोर, बकिमचंद्र चटर्जी या अरविन्दो का सहारा ले रही है जबकि उसके अपने नायक श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसी बंगाल से है लेकिन उन पर मुस्लिम लीग से मिलकर कांग्रेस के खिलाफ सरकार बनाने, गठजोड़ करने का ही इतिहास नहीं है बल्कि भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ आवाज बुलंद करने का भी आरोप है। इसलिए उन्हें वे किनारे कर सुभाष बाबू के पीछे खड़े हैं। ये अलग बात है कि सुभाष बाबू की मौत पर राजनीति करने वाले और कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले 6 साल की सत्ता में किसी रहस्य को नहीं खोज पाये लेकिन यह सवाल कौन पूछे?

इससे भी भयावह राजनीति तो तमिलनाडु के चुनाव में चल रही है। तमिलनाडु की राजनीति के महान सपूत कामराज को कौन नहीं जानता, 15 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई और कांग्रेस के इस महान नेता को लोग  आज भी याद करते है। मिड डे मिल और फ्री स्कूली शिक्षा के जानक के रुप में जाने जाने वाले कामराज ने लाल बहादुर शाी और इंदिरा गांधी की सत्ता के सबसे दमदार चेहरे रहे हैं।

ऐसे नेता कामराज के फोटो और कटआउट के साथ तमिलनाडु चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कट आउट का अर्थ क्या है जबकि वे जीवन पर्यन्त संघ का विरोध करते रहे हैं। क्या राजनीति का स्तर और भी गिरने वाला है। बेशर्मी क्या और बढ़ाने वाली है। आप इन सवालों को नजरअंदाज भले ही कर दें लेकिन सवाल उनके भीतर की आदमियत को समाप्त तो कर ही दिया है जो सत्ता मोह में बेशर्मी के हद तक गिर रहे हैं।