गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

राज्य सत्ता के साथ रहे हैं नतीजे


लोकसभा में भाजपा की राह आसान नहीं
लोकसभा चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में इस बार भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है और अब तक के नतीजों में उसी पार्टी को फायदा मिला है जिसकी राज्य में सत्ता रही है। ऐसे में जब सरकार कांग्रेस की है तो क्या इस बार भी लोकसभा में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलेगी।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव इसलिए भी रोमांचक हो गया है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस ने भारी बहुमत से सकार बनाई है और इस उत्साह के चलते कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेलजहां 11 में से 11 सीटें जीतने का दावा कर रही है तो भाजपा अब भी कुछ नहीं बोल पा रही है।
छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में मतदान के लिए दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी ने जहां सभी सीटों पर नये चेहरा उतारते हुए पुराने सभी दस सांसदों की टिकिट काट दी है तो कांग्रेस ने भी सभी सीटों पर रणनीतिक दांव खेला है। पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में 10 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी तो कांग्रेस केवल दुर्ग सीट जीत पाई थी। यहां से चुनाव जीतने वाले ताम्रध्वज साहू राज्य की सत्ता में आ गए। इसलिए दुर्ग में भी कांग्रेस ने नये चेहरे दिये हैं।
छत्तीसगढ़ की राजनीति पर नजर डाले तो राज्य बनने के बाद यहां हुए पहली लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प रहा और इस चुनाव में भाजपा ने दस सीटें जीती। भाजपा को केवल महासमुंद सीट से पराजय मिली। जहां से अजीत जोगी चुनाव जीते थे। भाजपा की राज्य सत्ता के बीच हुए इस चुनाव के बाद हुए दूसरे चुनाव में भी भाजपा ने दस सीटे जीत कर प्रदर्शन को दोहराया लेकिन इस बार कांग्रेस के चरणदास महंत ने कोरबा से जीत दर्ज की जबकि तीसरे चुनाव में कांग्रेस दुर्ग सीट ही जीत पाई।
तीनों चुनाव के दौरान भाजपा की राज्य में सरकारें थी और इसका फायदा भाजपा को मिला लेकिन इस बार राज्य की सत्ता कांग्रेस के पास है और ऐसे में पिछले तीन चुनाव से दस सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए प्रदर्शन दोहरा पाना आसान नहीं है। अब तक के नतीजों से यह बात तो स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव का परिणाम राज्य सत्ता के अनुरुप रहा है यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी सीटें जीतने का दावा कर रहे है जबकि भाजपा ने शायद यही वजह से अपने सभी सांसदों की टिकिट काटकर नये सिरे से रणनीति बनाई है।
इधर राजनीति के जानकारों का दावा है कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस ने 68 सीट जीतकर भाजपा को पटखनी दी है उसके सदमें से भाजपा अभी भी उबर नहीं पाई है और यही वजह है कि नामांकन रैलियों में भी भाजपा के कार्यकर्ता उत्साहित नहीं दिखते। नामांकन रैलियां में जिस तरह से कांग्रेस में भीड़ दिख रही है वह एक संकेत माना जा रहा है।