मंगलवार, 2 मार्च 2010

कलेक्टर द्वारा निरस्त खनिपट्टे को बहाल कराने गणितबाजी...,मुख्यमंत्री के विभाग में खुलेआम लेन-देन



छत्तीसगढ़ में खनिज विभाग में इन दिनों जबरदस्त घपले होने लगे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विभाग होने के बावजूद यहां के अधिकारियों में डर भय नहीं है और वे नियम विरुध्द उन खनिपट्टों को बहाल करने आमदा है जिन्हें कलेक्टर ने निरस्त कर दिया है। इतना ही नहीं दर्जनभर खनिपट्टा धारकों से पैसा लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई रोकने का भी सनसनी खेज मामला सामने आया है।
छत्तीसगढ़ खनिज के मामले में धनी प्रदेश है। कमाऊ माने जाने वाले इस विभाग को हथियाने कईयों की नजर रही है इसलिए मुख्यमंत्री ने इस विभाग को अपने पास रखा है। राजस्व देने वाले इस विभाग में इन दिनों भ्रष्टाचार चरम पर है। चहेतों को खदान देने की कोशिश के साथ अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन को संरक्षण देने के लिए यह विभाग सदैव चर्चा में रहा है। नियमों की अनदेखी कर जेबें गरम करने की परिपाटी ने अफसरों को बेलगाम कर दिया है और अब तो वह मुख्यमंत्री के निर्देशों की अवहेलना तक करने लगे हैं।
ऐसा ही एक मामला दोदेंखुर्द के खनिपट्टा का है। यह पट्टा सबसे पहले मंत्री के एक चहेते को दिया गया था लेकिन उसने यह खदान चलाने की बजाय इसे मनीष डागा को बेच दिया। नियमानुसार हर पट्टाधारी को खनन के संबंध में हर तीन माह में रिपोर्ट देना होता है इसके अलावा हर 6 माह और एक साल में विस्तृत देनी होती है कि उसने कितना खनन किया और लेण्ड क्षतिपूर्ति की राशि भी देना होता है तथा हर पांच साल में माइनिंग क्लोजर जैसी रिपोर्ट देनी होती है। लेकिन बताया जाता है कि मनीष डागा ने कुछ भी नहीं किया।
बताया जाता है कि जांच में सही पाए जाने पर पिछले साल की 21 जुलाई को कलेक्टर ने इस पट्टे को निरस्त कर जमा राशि राजसात करने का प्रस्ताव सचिव को दे दिया। बताया जाता है कि दर्जनभर आरोप लगाकर यह कार्रवाई की गई है। इधर हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक अब इस कलेक्टर के आदेश को रद्द कराने उच्च स्तर पर प्रयास शुरु हो गए हैं और प्रदेश के एक दमदार भाजपा नेता के इशारे पर लेन-देन का खेल शुरु हो गया है।
बताया जाता है कि रायपुर जिले में ही ऐसे एक दर्जन से यादा खदानें है जहां नियमों की घोर अवहेलना हो रही है जिसके चलते पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है लेकिन ये लोग पहुंचवाले है इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय लेन देन कर मामला सुलझाया जा रहा है। खनिज अधिकारी ऐसे लोगों को खानापूर्ति के लिए नोटिस जारी करता है और लेन-देन कर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।
बहरहाल मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के विभाग में चल रहे खुले आम लेन-देन की भारी चर्चा है और कहा जा रहा है कि इसके चलते कभी भी कोई बड़ी घटना से मुख्यमंत्री की छवि पर असर पड़ सकता है।