शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

पद का घमंड या संस्कार


क्या बृजमोहन इन सबसे बडे हैं
छत्तीसगढ़ में सरकार के मंत्री और अधिकरियों की करतूतें नई नहीं है। ताजा मामला विधानसभा में आयोजित उत्कृष्ठता अलंकरण समारोह का है जहां मंच पर डॉ. रमन सिंह, रविन्द्र चौबे, धरमलाल कौशिक और कवि सम्राट गोपाल दास (नीरज) के अलावा पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी पहुंचे। गद्दे लगे इस स्टेज पर पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को छोड़ सभी ने जूते उतारे। अब इस मामले से क्या अंदाजा लगाया जा सकता है।
दरअसल विधानसभा में हुए इस उत्कृष्ठता अलंकरण समारोह को लेकर कई तरह के सवालों ने इसे विवाद में ले लिया है। अलंकरण समारोह के नाम पर मनमानी और सरकारी रवैये से अतिथियों को अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ा। बताया जाता है कि इस अवसर पर विख्यात कवि गोपाल दास नीरज को बुलाया गया था उनके कार्यक्रम शुरू होने के पहले देवी सरस्वती की प्रतिमा पर मार्ल्यापण व श्री नीरज को सम्मानित किया जाना था। इस अवसर पर मंच में जब नेताओं को बुलाया गया तो विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, मुख्यमंत्री रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे सहित मंचस्थ सभी लोगों ने जूता नीचे उतार दिया लेकिन पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जूता पहने ही मंच पर चढ ग़ए। इसे लेकर दर्शकदीर्घा में काना-फूसी भी होने लगी।
मौजूद लोगों ने पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस रवैये पर न केवल आश्चर्य जताया बल्कि कटु आलोचना भी की। किसी ने उसके पद पाने की घमंडता पर भाषण शुरू कर दिया तो कई लोगों ने तो संस्कार पर ही सवाल उठाये। बताया जाता है कि इस मामले को लेकर कांग्रेसियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाये जाने लगे और कई लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि चूंकि बृजमोहन अग्रवाल की कांग्रेस के कई लोगों से सेटिंग है इसलिए मामला दब गया अन्यथा कोई दूसरा मंत्री होता तो इस करतूत के लिए बवाल मच जाता। बहरहाल इस मामले को लेकर शहर में कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि यह अपमानजनक स्थिति है।
प्रेस नोट से नीरज गायब
इधर बृजमोहन अग्रवाल के जूते पहनकर स्टेज पर चढ़ने का मामले की चर्चा समाप्त भी नहीं हुई है कि श्री नीरज को प्रेस नोट से गायब करने का मामला भी चर्चा में आ गया है। कहा जाता है कि अतिथि को बुलाकर ऐसा अपमान कहीं अंयंत्र देखने को नहीं मिलेगा। क्योंकि श्री नीरज ने वहां जिस प्रकार से शमां बांधा और उन्हें बुलाया गया उसके बाद तो अखबारों को जारी किए जाने वाले प्रेस नोट में नीरज के कार्यक्रमों को स्थान दिया जाना था।