पहलगाम के बाद आई एपीसीआर की रिपोर्ट भयावह…
एपीसीआर (Association for Protection of Civil Rights) की रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद भारत में 184 घृणास्पद घटनाएं हुई हैं, जिनमें 316 लोग प्रभावित हुए हैं. इन घटनाओं में से 116 में पहलगाम हमला एक ट्रिगरिंग फैक्टर के रूप में कार्य कर सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 43 घटनाएं हुई हैं, इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश का स्थान है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन घटनाओं में 36 लोग शारीरिक या मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं.
एपीसीआर की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- पहलगाम हमले के बाद भारत में घृणास्पद घटनाओं में वृद्धि हुई है.
- रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 43 घृणास्पद घटनाएं हुई हैं, https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM पर एक वीडियो में बताया गया है.
- इन घटनाओं में से 116 में पहलगाम हमला एक ट्रिगरिंग फैक्टर के रूप में कार्य कर सकता है, https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM पर एक वीडियो में बताया गया है.
- 316 लोग इन घटनाओं से प्रभावित हुए हैं, जिनमें 36 लोग शारीरिक या मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं, https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM https://www.youtube.com/watch?v=SrGnuFe5iiM पर एक वीडियो में बताया गया है.
एपीसीआर के वकील, शोधकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और अर्ध-कानूनी स्वयंसेवक अन्य मानवाधिकार संगठनों के साथ मिलकर मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जांच करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करते हैं और मामले से संबंधित मुद्दों को चिह्नित करने के लिए रिपोर्ट पेश करते हैं।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (APCR) द्वारा जारी एक 178-पृष्ठीय रिपोर्ट में 22 अप्रैल से 6 मई के बीच भारत के 19 राज्यों में मुस्लिमों के खिलाफ 184 हेट क्राईम दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों की प्रकृति संगठित, योजनाबद्ध और लगातार थी — औसतन हर दिन 10 से अधिक घटनाएँ। पीड़ितों में महिलाएँ, बच्चे, बुज़ुर्ग और दिहाड़ी मज़दूर शामिल हैं।_
मुख्य निष्कर्ष:
• 84 हेट स्पीच, जिनमें नरसंहार और नसबंदी की मांगें शामिल।
• 39 मार-पीट की घटनाएँ, कई मामलों में भीड़ द्वारा खुलेआम हिंसा।
• 19 तोड़फोड़ की घटनाएँ — दुकानों, मस्जिदों और घरों पर हमले।
• 12 मॉब लिंचिंग प्रयास, 3 हत्याएँ।
• कम से कम 316 मुसलमानों को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित या विस्थापित किया गया।
“पहलगाम का बदला” — खतरनाक तर्क
रिपोर्ट के अनुसार 106 घटनाओं को हमलावरों ने “पहलगाम का बदला” कहकर जायज़ ठहराया। दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा फैलाई गई अफवाहों और घृणात्मक भाषणों ने इस हिंसा को उकसाया।
कुछ गंभीर घटनाएँ:
• आगरा: एक मुस्लिम युवक की गोली मारकर हत्या, दूसरा गंभीर रूप से घायल।
• मैंगलुरु: झूठे आरोपों पर 32 वर्षीय मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या।
• शामली: भीड़ ने “26 के बदले 2600” के नारे लगाते हुए युवक पर कुल्हाड़ी से हमला किया।
महिलाओं और बच्चों पर हमले
• हिजाब पहनने वाली महिला और उसके बच्चे को डंडों और तलवारों से पीटा गया।
• 15 वर्षीय लड़के को ज़बरदस्ती पाकिस्तानी झंडे पर पेशाब करवाया गया।
• कश्मीरी लड़की को हॉस्टल में पीटा गया और आतंकवादी कहा गया।
राज्य-प्रायोजित हेट स्पीच और बहिष्कार
• यति नरसिंहानंद ने मुस्लिमों के संहार की बात कही।
• बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने मुस्लिमों की नसबंदी की मांग की।
• कई राज्यों में मस्जिदों पर हमले, मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार,
संस्थागत भेदभाव:
• मुस्लिम महिलाओं को चिकित्सा सेवाएँ नकारना।
• हिजाब पहनने पर छात्राओं को स्कूलों से निकालना।
• मुस्लिम जवान को पाकिस्तानी महिला से शादी पर CRPF
पुलिस की निष्क्रियता और पक्षपात:
• कई मामलों में FIR दर्ज नहीं हुई, पीड़ितों को ही गिरफ्तार कर लिया गया।
• वीडियो सबूत के बावजूद हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं।
निष्कर्ष: एक सुनियोजित उत्पीड़न की प्रक्रिया
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि यह हिंसा आकस्मिक नहीं, बल्कि एक विचारधारात्मक और संस्थागत नफरत के अभियान का हिस्सा है। मुस्लिमों को टारगेट करना आज राजनीतिक रूप से स्वीकृत, सामाजिक रूप से सामान्यीकृत, और संवैधानिक संस्थाओं द्वारा अनदेखा किया जा रहा है।