सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

केवल वोट देने तक प्रजातंत्र-केयूर भूषण



स्वास्थ्य ठीक रहा तो आदिवासी हिंसा पर गांधी विचार यात्रा...
चुने हुए जनप्रतिनिधियों का बजाय प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ही सत्ता
पीड़ा रहित समाज की स्थापना के लिए गांधीवाद ही विकल्प

कांग्रेस गांधीवाद से पूरी तरह दूर सिर्फ जयंति या निर्वाण दिवस ही...
आजादी की लड़ाई की विशेषता नैतिकता लेकिन आज इसकी कमी...
जनता को गांधीवाद पर विश्वास अन्ना हजारे आंदोलन में झलक से स्पष्ट
वैसे तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पथ पर चलने वालों की इस देश ही नहीं पूरी दुनिया में कमी नहीं है। गांधी के बताये मार्ग पर चल कर कुछ कर गुजरने की चाह भरना किसे नहीं है। छत्तीसगढ़ में भी गांधीवादी विचारधारा को जीने वालों की कमी नहीं है और इनमें से प्रमुख नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण का भी है। 1 मार्च 1928 को दुर्ग जिला के छोटे से गांव जांता में जन्में केयूर भूषण महात्मा गांधी के आलोक से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना सारा जीवन इसी पथ पर होम कर दिया। 82 वर्षीय केयूर भूषण जहां कांग्रेस के गांधीवाद से भटकने से दुखी है वहीं समाज में बढ़ती हिंसा से आहत है। वे वर्तमान व्यवस्था को गांधीवाद से बदल कुछ करने की सोच ही नहीं रखते बल्कि वे यह कहने से भी नहीं हिचकते कि वर्तमान में प्रजातंत्र सिर्फ वोट देने तक ही रह गया है। वे कहते हैं चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों की बजाय सत्ता केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पास रह गई है। सत्ता का केन्द्रीयकरण हो गया है जिसकी वजह से आम लोग दुखी है। वे नक्सली हिंसा पर भी आहत है। वे कहते हैं कि आदिवासियों की हितों के लिए हिंसा का जो वातावरण बना है उनका गांधीवाद ही एक मात्र हल है। आदिवासी हित के नाम पर नक्सली व पुलिस दोनों ही हिंसा पर आमदा है। वे इस उम्र में हम मामले में कुछ न कर पाने की पीड़ा समेटे कहते हैं कि स्वास्थ्य ठीक हुआ तो शीघ्र ही गांधी विचार यात्रा निकालकर सरकार और नक्सलियों को बिठाकर हिंसा खतम करूंगा। वे नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी के संबंध पर पूछे सवाल पर कहा कि सत्ता में वहीं आयेगा जो सर्वधर्म समभाव रखता हो। अन्ना हजारे के आन्दोलन की झलक से सबको समझ जाना चाहिए कि गांधीवाद से सबको समझ जाना चाहिए गांधीवाद से सबको समझ जाना चाहिए कि गांधीवाद और उनका मार्ग ही प्रासंगिक है और इसी में देश का हित है अन्यथा जिस तेजी से सरकार और उनके लोग विकास की लकीर खींच रहे है उनसे यह डर सताने लगा है कि हम आर्थिक गुलाम न हो जाए। गांधीवादी चिंतक केयूर भूषण कांग्रेस की टिकिट पर 1980 से लेकर 1989 तक रायपुर लोकसभा के सांसद रहे। अपनी गांधीवादी छवि के लिए प्रसिद्ध केयूर भूषण को सन् 2001 में छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा सद्भावना पुरस्कार भी दिया गया। हरिजन उद्धार से लेकर उनके कार्यों को लोग आज भी याद करते नहीं थकते यही नहीं जब पंजाब जल रहा था तब भी केयूर भूषण ने पंजाब में शांति बहाली के लिए अपनी भूमिका से पीछे नहीं हटे थे। सादगी के साथ पूरा जीवन बीताने वाले केयूर भूषण ने हिन्दी व छत्तीसगढ़ी में कई किताबें लिखी है। स्वतंत्रता आन्दोलन के महापुरूषों पर उन्होंने काफी कुछ लिखा है और पीड़ा रहित समाज के निर्माण को लेकर वे आज इस उम्र में भी चल पड़ते है।
स्वतंत्रता के लिए देश के महान नेताओं के संघर्ष को याद करते हुए वे वर्तमान विषन्नावस्था को लेकर मुखरित हो उठते हैं। वे कहते हैं कि हमने विज्ञान और तकनीक की सहायता से प्रगति तो की है लेकिन भौतिक उपलब्धियों की जगमगाहट में नैतिक मूल्य और भारतीय परम्परा खो सी गई है संकट से निकालने वाले महापुरूषों के चले जाने से हम भटक गए है जबकि स्वतंत्रता की पूरी लड़ाई की विशेषता नैतिकता रही है।
केयूर भूषण जी यह कहने से भी नहीं चुकते कि स्वतंत्रता पश्चात भारतीय जीवन का परिस्कार करने के लिए हमें उन बंधनों को तोड़ फेंकना था जिनसे हम बंधे है। विनोबाजी से लेकर कई लोगों ने इन बंधनों को तोडऩे का प्रयास किया। दुर्भाग्य से वे उन्हें पूर्णतया समाप्त नहीं कर पाये। वह खरपतवार आज बढ़कर सब तरफ फैल गई है और आज सारा देश उन विकृतियों से आक्रांत हो रहा है। वे कहते है कि राजनीति में अवसरवादिताओं की संख्या बढ़ी है और इन्हें निकाल फेकने की जरूरत आ पड़ी है ऐसे लोगों को निकाल फेंकने की जरूरत आ पड़ी है ऐसे लोगों को निकालने में कुर्बानी भी देनी पड़े तो पीछे नही हटुंगा। वे कहते है कि ऐसे ही लोगों की वजह से राजनीति अछूत कहलाने लगी है वे युवाओं से आव्हान भी करते है कि युवाओं को अपने महापुरूषों के बताये मार्ग पर चलकर नये व्यवस्था गढऩा चाहिए। केयूर भूषण जी का कहना है कि महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज, स्वालंबन, अन्तयोदय और नैतिकता की दुहाई तो सब देते है उनकी जयंती व निर्वाण दिवस भी खूब आयोजित होते है लेकिन जब तक गांधी के बताये मार्ग के अनुरूप सत्ता नहीं होगी आम आदमी तिरस्कृत होता रहेगा। आज गांधीवाद को लेकर आन्दोलन की जरूरत है। जनता चाह भी रही है जिसकी झलक अन्ना हजारे के आंदोलन में दिखा भी है। छोटे रूप में छत्तीसगढ़ में इस तरह का आन्दोलन करना चाहता हूं। गांधी विचार मंच इसलिए बना भी है। उन्होंने कहा कि राजनीति की वजह से आज हिंसा का वातावरण बन रहा है। कांग्रेस भी गांधी के रास्ते से दूर हुई है। नक्सली हिंसा और पुलिस हिंसा बढ़ी है। गांधी जा रहते तो आदिवासियों के हित के लिए जरूर आगे आते। सरकार और नक्सली दोनों आदिवासी हित की बात करते है लेकिन दोनों ही हिंसा का रास्ता अपनाए हुए है। गांधी की विचारधारा के अनुरूप जब तक ग्राम स्वराज, स्वालंबन और अत्योदय के आधार पर सरकार काम नहीं करेगी सत्ता का विकेन्द्रीकरण नहीं होगा यह स्थिति सुधर रही सकती। आदिवासी क्षेत्रों में यह स्थिति यहां की संपदा की वजह से है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर इन संपदाओं पर है। इसके चलते आदिवासी उजाड़े जा रहे है या वे पलायन कर रहे हैं।  भ्रष्टाचार आखरी स्तर तक पहुंच गया है। सिस्टम बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हर कोई राज सत्ता हासिल करने के लिए आम आदमी का उपयोग कर रहा है। आरएसएस और भाजपा की नजर बहुसंख्यक वोट बैंक पर है। जबकि इस देश में सर्वधर्म एकता की भावना है सत्ता का लाभ आम आदमी को मिलना ही चाहिए और सरकार उसी की बने जो इन भावना को जीता है। कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष का नाम लेती है लेकिन काम नहीं करती है और इन दोनों की रजनीति में जनता पीस रही है।
स्वतंत्रता संग्राम सैनिक एवं गांधीवादी चिन्तक
जन्म : एक मार्च 1928, ग्रामा जाँता, जिला दुर्ग
पुरस्कार : छत्तीसगढ़ शासन का पं. रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार 2001 से सम्मानित जन प्रतिनिधित्व : सन् 1980 से सन् 1989 तक रायपुर लोकसभा से संसद सदस्य
प्रकाशित कृति: 1. लहर (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह)
2. कुल के मरजाद (छत्तीसगढ़ी उपन्यास)
3. कहां बिलागे मोर धान के कटोरा (छत्तीसगढ़ उपन्यास)
4. नित्य प्रवाह (प्रार्थना एवं भजन)हिन्दी
5. कालू भगत (छत्तीसगढ़ी  कहानी संग्रह)
6. छत्तीसगढ़ के नारी रत्न
7. मोर मयारूक गाँव (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह)
8. हीरा के पीरा (छत्तीसगढ़ी निबंध संग्रह)
9. पथ (विभूतियों को समर्पित काव्य संग्रह)
संपादन : 1. साप्ताहिक छत्तीसगढ़ 2. साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश 3. त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) 4. मासिक अन्त्योदय (इंदौर) अप्रकाशित छत्तीसगढ़ी साहित्य : 1. डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह) 2. लोक-लाज(उपन्यास) 3. समें के बलिहारी (उपन्यास) 4. आंसू म फिले अचरा (कहानी संग्रह)
    अप्रकाशित: 1. उनका युग (लेखमाला-स्व. इंदिराजी के युव के संदर्भ हिन्दी साहित्य में) 2. राजीव गांधी का अंतरमन 3. अंकुर (हिन्दी कवितायें तथा किशोर साहित्य) 4. सम सामयिक लेखों का संग्रह 5. छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनगाथा
    संपर्क : 247, सुन्दर नगर, रायपुर (छत्तीसगढ़) 492001 फोन नं. -0771-2243524