शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

75 सालों से बसा कालोनी अचानक अवैध घोषित...

 75 सालों से बसा कालोनी अचानक अवैध घोषित...

पेरिस ओलंपिक में पदक दिलाने वाले का घर भी टूटेगा ...


सत्ता की अपनी ताकत है और उसका निर्णय कब किस पर कहर बनकर टूट जाये  कहना मुश्किल है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के सिविल लाईन में ख़ैबर पास स्थित कालोनी का है। 1950 से बसे इस कालोनी की जमीन को रक्षा मंत्रालय को दे दिया गया और अब मकान ख़ाली  करने का नोटिस जारी कर दिया गया, कोर्ट ने भी कालोनीवासियों की याचिका खारिज कर दी। इसने जद में ओलपिंक में कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले नेशनल पिस्टल शूटिंग कोच समरेश जंग का मकान भी आ गया है जिसे कभी भी गिराया जा सकता है। 

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर और सरबजोत सिंह को कांस्य पदक जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले नेशनल पिस्टल शूटिंग कोच समरेश जंग का घर कभी भी गिराया जा सकता है। ओलंपियन समरेश जंग नई दिल्ली के सिविल लाइंस में खैबर पास इलाके में रहते हैं। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि और विकास कार्यालय (एलएनडीओ) ने समरेश जंग समेत अन्य कई निवासियों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में दावा किया गया है कि जिस जमीन पर खैबर पास कॉलोनी स्थित है वह रक्षा मंत्रालय की है और इसलिए अवैध है।

बीजिंग 2008 ओलंपिक में भाग लेने वाले जंग ने कहा कि एक ओलंपियन के रूप में, वह कम से कम एक सम्मानजनक विदाई की उम्मीद करते हैं, साथ ही मामले पर स्पष्टता के साथ कम से कम 2 महीने की मोहलत की अपील भी करते हैं। मीडिया को दिए इंटरव्यू में अर्जुन अवॉर्ड समरेश जंग कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि ये तोड़फोड़ क्यों हो रही है। क्यों लोगों के घर गिराए जा रहे हैं? उन्होंने अचानक पूरी कॉलोनी को ही अवैध घोषित कर दिया। बीती रात बताया गया कि दो दिन के भीतर हमें जगह छोड़नी है। मेरा परिवार यहां बीते 75 साल से रह रहा है। 1950 से हम यहां के रहवासी हैं। हम कोर्ट गए थे और याचिका भी दायर की थी, लेकिन उसे नकार दिया गया।

समरेश ने गुरुवार रात एक्स पर पोस्ट किया, 'भारतीय निशानेबाजों के दो ओलंपिक पदक जीतने के बाद बेहद उत्साहित होकर मैं स्वदेश लौटा, लेकिन निराशाजनक खबर मिली कि मेरा घर और पूरा इलाका दो दिनों में ध्वस्त कर दिया जाएगा। जंग ने निष्कर्ष निकाला, 'एक ओलिंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता होने के नाते कम से कम मुझे उम्मीद है कि समुदाय के साथ-साथ एक सम्मानजनक निकास होगा। मैं मामले पर स्पष्टता और उचित तरीके से खाली करने के लिए कम से कम दो महीने की अपील करता हूं।'

उन्होंने अपने पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ-साथ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, भारतीय ओलंपिक संघ प्रमुख पीटी उषा, आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर और आईओए उपाध्यक्ष और साथी निशानेबाज गगन नारंग को भी टैग किया। शेफ डी मिशन के रूप में इस समय भारतीय दल के साथ पेरिस में हैं।

नया बंगला वाले नेताम...

 नया बंगला वाले नेताम...


छत्तीसगर में डबल इंजन सरकार के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने आनन फानन में नये बंगले में शिफ्ट क्यों हो गए, उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि पुराने बंगले में चल रहे खेल का क्या हाल है? हालाँकि चर्चा तो यह भी रही कि रामविचार नेताम का काम न तो मंत्रालय से चलता था, न ही पुराने बंगले से। काम एश्वर्या के बंगले से चलता था और जब काम एश्वर्या से ही चलना है तब इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि वे नये बंगले में रहे या पुराने में।

रामविचार नेताम अब भी उतने ही प्रभावशाली हैं जितने वे रमन राज में हुआ करते थे। आदिवासी एक्सप्रेस की बात को भूल भी जाये तब भी इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले को कोई कैसे भूल सकता है।

लेकिन डबल इंजन सरकार में उनका अपना तरीका है। वोल्वों का शौक़ रखने वाले रामविचार नेताम ने जब से कृषि विभाग संभाला है उनके चहेते राकेश अग्रवाल की ज़िम्मेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। कृषि विभाग के सप्लायरों और ठेकेदारों के लोक लुभावन खेल से भले ही किसानों की लुटिया डूब जाये लेकिन अपने को चाँदी मिलना चाहिए । अब नकली, मिलावटी और बनावटी का खेल भी जनचर्चा का विषय बन गया है।

कहा जाता है कि जिस वजह से नया बंगला सबसे पहले हथियाया गया है उस उद्देश्य के भी पूरा होने में संशय के बादल उम‌ड़‌ने लगे हैं।तब एश्वर्या ही गुड-गाड…।

जात न पूछो राहुल की...

जात न पूछो राहुल की... 


राहुल गांधी किस जाति के हैं यह बताये इसमे पहले यह जान लेना जरूरी है झूठ और अफवाह के आसरे नफरत की राजनीति में माहिर भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी पर सीधे हमला क्यों बोल दिया है। इस हमले से भाजपा की खीज साफ दिखाई भी देने लगी है। क्योंकि अनुराग ठाकुर की बातों को जब स्पीकर ने विलोपित कर दिया उसके बाद भी देश के प्रधानमंत्री ने अपने एक्स हेडल में इसे प्रदर्शित कर संसद की गरिमा का अवमानना करने से नहीं चूके।

दरअसल यह सारा मामला जातिय जनगणना से जुड़ा हुआ है जिसका भाजपा खुलकर समर्थन नहीं कर पा रही है। और मीडिल क्लास और पिछड़े वर्ग के बिखरते वोट ने उनके भीतर के हिन्दूत्व को हिला कर रख दिया है।

दरअसल हिन्‌दु वोटरों के ध्रुवीयकरण के आसरे सत्ता तक पहुंची भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी के करिश्में से ज़्यादा असरदार कैग का वह फर्जी रिपोर्ट और लोक आयोग को लेकर अन्ना आन्दोलन का वह तूफान था जिसकी वजह से कांग्रेस को बदनाम करने की साज़िश रची गई । लेकिन लोगों को समझाया गया कि नरेंद्र मोदी के चेहरे के आसरे ही बीजेपी सत्ता में आ सकी।

अच्छे दिन आयेंगे के सपने 2047 के विकसित भारत तक आते आते इस कदर  रिसने लगा कि मीडिल और पिछड़ा वर्ग मोदी के हाथों से फिसलते गया।

२०१९ के परिणाम का ठसक, अहंकार, आत्ममुग्धता की हवा निकल गई तो इसकी वजह राहुल गांधी का वह भारत जोड़ो यात्रा थी जो कांग्रेस को वैचारिक रूप से भी बदलकर जाति जनगणना तक पहुंचा दिया। और यही जाति जनगणना अब भाजपा और संघ के कथित हिदुत्व के आधार को हिला कर रख दिया है।

जाति किसी जननेता की क्या होती है? यह सवाल इसलिए भी भाजपा ने उठाये हैं ताकि खिसकते जनाधार को बचा लें या मोदी सत्ता की करतू‌तों पर पर्दा डाल ले।

इसरे अलावा एक बड़ी वजह है राहुल गांधी की भारतीयता की वह छवि जो किसी भी जाति या धर्म से उपर हो चुका है। 

हालांकि भाजपा के स्लीपर सेल का गांधी नेहरू परिवार की जाति और धर्म को लेकर पहला वार नहीं है इससे पहले भी वे इसे हवा देते रहे है। 

लेकिन आमने - सामने मी स्थिति पहली बार बनी है। लेकिन भाजपा ने राहुल गांधी की जाति पूछने में देर कर दी क्योंकि अब राहुल गांधी की जाति भारतीयता हो चुकी है, पूरा देश धीरे-धीरे राहुल को स्वीकार कर चुका  है सिवाय संधी संस्कारित्रों के…?


इसके बाद भी यदि सवाल राहुल के दादा फिरोज गांधी के मुसलमान  होने की अफ़वाह को हवा दी जा रही है तो देश को यह जान लेना जारी है कि फिरोज गांधी मुसलमान नहीं पारसी थे, वे फिरोज खान लिखते थे और महात्मा गांधी के द्वारा उन्हें गोद लेने के बाद वे गांधी  कहलाने लगे। उनका अंतिम संस्कार भी इसी वजह से हिन्दू रिति रिवाज से हुआ।

पारसी जोरास्ट्रि‌यन धर्म का पालन करते हैं, जो आग को पवित्र मानकर उसकी पूजा करते हैं। और जिनके बारे में आचार्य चतुर सेन ने अपने उपन्यास वयम रक्षाम में इनको यमराज की जाति के वंशज माना है....

अब सवाल पंडित नेहरू के मुसलमान होने के अफवाह का है तो इस पर केवल वहीं लोग भरोसा कर सकते है जो आँखों में कट्टरता की पट्टी बांधे घूम रहे हैं।

दररूसल पूरा खेल या षड्यंत्र की वजह अंग्रेजों की चापलूसी के सच को विस्मृत कर देने की कवायद है और कुछ नही...!