बुधवार, 30 मई 2012

आग की आंच...


यदि पड़ोसी के घर लगी आग नहीं बुझाओगे तो इसमें खुद के घर भी जल जाने से नहीं रोक सकते। इतनी सी बात न तो प्रदेश के मुखिया को समझ आती है और न ही भारतीय जनता पार्टी के जेहन में बैठ रही है। मैनपाट में भाजपा नेता पर गाड़ी चढ़ाकर हत्या की कोशिश पूरी तरह से खनिज उत्खनन का मामला है। जमीन विवाद भी एक वजह हो सकती है लेकिन अभी ज्यादा दिन नहीं बीते है हमारे पड़ोसी मध्यप्र्रदेश में खनन माफियाओं ने एक अफसर को ट्रेक्टर से कुचल कर मार डाला था। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है। पूरे प्रदेश में खनिज का अवैध उत्खनन हो रहा है और इस विभाग के मंत्री स्वयं डॉ रमन सिंह के होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रही है। खनन माफियाओं को खुले आम संरक्षण दिया जा रहा है और उनके हौसले इतने बुलंद है कि वे किसी पर भी हमला करने का दम रखते हैं।
उद्योगों द्वारा किए जा रहे अवैध उत्खनन की तो अपनी कहानी है। लाफार्ज बाल्को अल्ट्राटेक से लेकर नवीन जिंदल औरर हीरा ग्रुप सब पर अवैध उत्खनन के आरोप है लेकिन इनके खिलाफ कभी कठोर कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि जेब भरने की रणनीति से इन्हें हमेशा ही संरक्षण दिया गया। हालत यहां तक पहुंच गई थी कि भैसा कंछार में भूपेश बघेल जैसे कांग्रेस नेता के साथ मारपीट तक की नौबत आ गई थी लेकिन जब विभाग प्रदेश के मुुखिया के पास हो तो क्या कौन अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ आवाज उठा सकता है।
पूरे प्रदेश में चल रहे अवैध उत्खनन से हर साल छत्तीसगढ़ को करोड़ो रूपए का राजस्व का नुकसान हो रहा है और खनिज विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर छत्तीसगढ़ को बरबाद करने की साजिश हो रही है। रायगढ़ के पास टीपाखोल में जिस तरह से वैध -अवैध उत्खनन के नाम पर पर्यटन स्थल व सिंचाई विभाग के डेम को बरबाद किया जा रहा है कभी भी गांव वालों या विरोध करने वालों के साथ बड़ी घटना हो सकती है। यहां अधिकारियों पर हमले इसलिए भी नहीं हो रहे है क्योंकि इस विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री होने की वजह से कोई अवैध माफियाओं से पंगा लेने की जरूरत नहीं कर रहा है। ईमानदार अधिकारी भी अपनी नौकरी बचाने इन सब बातों को नजरअंदाज कर रहे है। बदत्तर स्थिति में पहुंच चुके हालात पर यदि काबू नहीं किया गया तो कभी भी गंभीर वारदात हो सकती है।