शनिवार, 10 अप्रैल 2021

शाबास प्रधानमंत्री जी...

 

क्या बात है... देश में फिर कोरोना हाहाकार मचाने लगा है। रोज हजारों लोग मरने लगे हैं, देश की जनता तो सीधी-साधी है और सबसे भोले हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी। और उनसे भी लाख गुना सीधे है हमारे गृहमंत्री अमित शाह जी। दुनिया में आग लग जाए इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। फिर पहुंच जायेंगे बंगाल और जुटा लेंगे लाखों की भीड़।

मुझे एक बात प्रधानमंत्री से सीधी पूछनी है कि क्या आपकी रैलियों में जो भीड़ जुट रही है उससे कोरोना नहीं फैलता क्या? चंद रुपयों की खातिर रैली में आने वालों के लिए तो भूख पहले से ही महत्वपूर्ण रहा है लेकिन देश में जिस तरह से कोरोना के कहर से लाशों में लोग तब्दिल हो रहे हैं क्या वह भई दिखाई नहीं दे रहा है या चुनावी जीत के लिए लोगों की जान को दांव में लगा देना उचित है?

शाबास की हेडलाईन इसलिए लगाया ताकि भाजपा के वे लोग भी पढ़े और एक बार चिंतन करें कि चुनावी जीत क्या इतना जरूरी है। प्रधानमंत्री जी आप देश के मुखिया हैं और मुखिया का व्यवहार और कर्तव्य सब लोगों के हित के लिए होना चाहिए। हम मानते हैं कि चुनाव में जीत महत्वपूर्ण है लेकिन एक दो राज्य गंवा देने से क्या फर्क पड़ जायेगा, पहले भी तो छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली गंवा ही चुके हो।

एक तरफ देश में कोरोना ने हाहाकार मचा दिया है, नाईट कफ्र्यू, लॉकडाउन ने आम आदमी को प्रताडि़त किया है तो दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी सभा लेने में व्यस्त है, दिनभर चुनावी सभा और शाम को दो गज की दूरी और मास्क जरूरी की बात क्या बेमानी नहीं है।

हमने पहले ही कहा है कि इस देश में कोरोना के लिए हाउडी ट्रम्प और मध्यप्रदेश में सत्ता की भूख ही जिम्मेदार है, और इस बार फिर कहते हैं कि चुनावी सभा में जुटाये जा रहे भीड़ इस देश को नरक बना देने वाला है। सत्ता और राजनेताओं की बेशर्मी के कितने ही किस्से हैं लेकिन जब देश का प्रधानमंत्री ही चुनावी जीत के लिए जनता की जान को ही दांव पर लगा दे तो इसका मतलब साफ है कि हाउडी ट्रम्प और मध्यप्रदेश में सत्ता बनते तक का इंतजार भी क्या ऐसा ही कुछ नहीं था।

हैरानी तो इस बात की है कि करोड़ों लोगों की जान दांव में लगते देख भी राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट ने आंखे बंद कर रखी है बाजार में भीड़ पर हल्ला मचाने वाली मीडिया को भी चुनावी रैली में भीड़ जुटाने वालों के तलवे चाटना पसंद है। जब देश की तमाम संवैधानिक संस्था, समाजसेवी कलाकार सब चुप हो तो जनता क्या करें।

वैसे भी इस देश ने गरीबी और भूखमरी के सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं, चंद पैसों के लिए जो लोग अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं उनका ही दोष गिनाया जायेगा, कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि प्रधानमंत्री की चुनावी सभा से कोरोना की स्थिति आने वाले दिनों में भयावह होने वाला है। लेकिन प्रधानमंत्री जी अब तो फैसला लिजिए, लोगों को बख्श दीजिए, बंगाल तो आते-जाते रहेगा लेकिन जब लोग ही नहीं रहेंगे तब...!