शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

सोए तो मुसीबत और जगे तब भी...


छत्तीसगढ़ पुलिस इन दिनों अजीब दौर से गुजर रही है। यदि वह सो जाए तो चोर अपना कमाल दिखाने से नहीं चुकते। तभी तो महासमुंद में गणतंत्र दिवस समारोह स्थल की सुरक्षा में लगे जवान समारोह स्थल पर ही सो गए तो चोर मैग्जिन और इंसाल रायफ़ल ही चुराकर ले गए। अब पुलिस अधिकारियों ने गुस्से में ड्यूटी पर तैनात चारों सिपाहियों दीपक विदानी, नरेन्द्र यादव, सूर्यकांत ठाकुर और संजीत सिंह को निलंबित कर दिया। यह अलग बात है कि इन चारों कुछ दिन बाद फिऱ से ड्यूटी पर ले लिया जाएगा। नक्सली आमद की सूचना वाले इस जिले की पुलिस की इस गंभीर चूक पर  इन सिपाहियों पर और कड़ी कार्यवाही होगी या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन पुलिस की ऐसी ही लापरवाही के चलते चोरों के हौसले बुलंद हैं।
लेकिन पुलिस की दिक्कत यह है कि वह सब कुछ रात में ही कर लेना चाहती है तभी तो मौदहापारा में आधी रात को ऐसे आदमी का वारंट तामिल करने पहुची और पिटे गए। जो दिन में आसानी से उपलब्ध रहत था। आसानी से उपलब्ध तो बैजनाथ पारा में बलवाकांड के आरोपी भी हैं। लेकिन उन पर भी हाथ डालने की हिम्मत पुलिस अधिकारियों में नहीं है। कांग्रेस की नेतागिरी करने वाला यह बलवाई पुलिस अधिकारियों के साथ उठता बैठता है।
तभी तो वायदा कारोबारी मन्नु नत्थानी हो या स्मार्ट कार्द घोटाले का आरोपी डॉक्टर बांठिया ही क्यों न हो। पुलिस उन्हे नहीं पकड़ती।
ये ठीक है कि राजधानी में पुलिस पर राजनैतिक दबाव है और यहाँ तो  मिलावट खोरों को पकडऩे की हिम्मत दिखाने वालों को मंत्रियों द्वारा फ़ोन कर बचाया जाता है। लेकिन जिन वारंटियों के नाम थाने की सूचि से गायब हो गए हैं उनका क्या? क्या उन थानेदारों पर कार्यवाई करने की हिम्मत किसी पुलिस अधिकारी में है। थानेदारों की करतूत किसी से छिपी नहीं है। तभी तो यहां पुलिस पिटी जा रही है। लूट पर चोरी की रिपोर्ट लिखने वाले मोवा थानेदार कोई गुस्सा करे तो पुलिस अधिकारियों को क्या फ़र्क पड़ता है। मगरलोड में तो महिला के आत्महत्या करने के मामले मे सबूत के बाद भी दहेज प्रताडऩा की रपट नहीं लिखने की वजह से हाईकोर्ट को डीजीपी तक को तलब करना पड़ा।
 पुलिस तो यहां दिन में भी सोती है तभी तो दिन में उन्हे वारंटी नजर नहीं आते। हर थाने में दर्जनों वारंटी मजे से घूम रहे हैं। कोई खादी पहर रखा है तो कोई भगवा ओढ़ रखा है और थानेदार का तो पूरा समय ही अपने क्षेत्र में वसूली और थानेदारी बचाने में लग रहा है।
अब गृहमंत्री बोलते रहे कि दस-दस हजार में दारु ठेकेदारों के हाथों थाने बिक रहे हैं। किसी को फ़र्क नहीं पड़ता और जिन थानेदारों को फ़र्क पड़ता है वे लाईन में ड्यूटी कर रहे हैं। थानेदारी के लिए भी यहां कई शर्ते हैं और उन शर्तो में तो नेताओं का ध्यान रखना भी शामिल है।
चलते चलते
अकलतरा बलात्कार कांड में थाना प्रभारी को भाजपाईयों से रिश्तेदारी निभाना भारी पड़ा और अब वे निलंबित कर दिए गए  लेकिन इन दबंग भाजपाईयों ने आश्वासन दिया है कि उन्हे निलंबित करने वाले अफ़सर की खैर नहीं है, उन्हे भी चलता कर दिया जाएगा।