शनिवार, 27 जुलाई 2024

हसदेव में जन सुनवाई से पहले एनआईए का छापा…

 हसदेव में जन सुनवाई से पहले एनआईए का छापा

अर्बन नक्सली होने का संदेह...


छत्तीसगढ़ के जामुल निवासी श्रमिक नेता कलादास डहरिया के निवास पर एनआईए की दबिश को लेकर श्रमिक संगठनों में हंगामा मच गया है। नक्सलियों से संबंध को लेकर की गई इस कार्रवाई में छत्रीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े कलादास डह‌रिया लंबे समय से मजदूरों की हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और  इसी कड़ी में उन्होंने अदानी के सब द्वारा खरीदे गये सीमेंट कंपनी एसीसी  में भी मजदुरों के हक में आवाज उठाई थी। कहा जाता है कि वे हसदेव बचाओ आंदोलन को लेकर भी बेहद सक्रिय हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ एनआईए की टीम ने छापेमारी के दौरान न केवल कलादाएस डह‌रिया से पांच घंटे पूछ‌ताछ की बल्कि घर की तलाशी लेकर लेपटाप, पेन ड्राइव और मोबाईल फोन को जब्त किया है।

बताया जाता है कि एन आई ए की टीम ने यह कार्रवाई  रेला नाम के एक एनजीओ को लेकर की है जिसका पर्चा भी डह‌रिया के घर से बरामद हुआ है जिसका संबंध झारखंड से है, कलादास डहरिया को एक अगस्त को पूछताछ के लिए रांची बुलाया गया है।

रेला संगठन  के बारे में कहा जाता है कि यह संस्था किसान, मजदूर और आदिवासियों को संगठित करने का काम करता है। 

पांच अलग- अलग गाड़ियों में पहुंची एन आईए की टीम ने कलादास डहरिया की लड़की से भी पूछताछ की है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि फिलहाल कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई है।

इधर कलादास डह‌रिया ने आरोप लगाया है कि एनआईए की पूरी कार्रवाई  सरकार के इशारे पर की जा रही है। चूंकि वे एसीसी सीमेंट कंपनी में मजदुरों की आवाज उठाते रहते हैं और अब जब एसीसी को अडानी ने खरीद लिया है तब भी वे मजहरों के हक की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस‌लिए सरकार उनकी आवाज बंद कर देना चाहती है। उन्होंने एक अगस्त को रांची जाने की बात कहते हुए कहा कि मजदूर किसान और आदिवासियों की  हितों की बात वे करते रहेंगे। ऐसी कार्रवाइयों से उन्हें और बल मिलता है।

इधर दो अगस्त को अडानी की एक अन्य कंपनी के मामले में होने वाले जनसुनवाई से भी इसे जोड़कर देखा जा रहा है।

राजस्थान बिजली कंपनी के लिए हसदेव की कटाई को लेकर दो अगस्त को होने वाली जन सुनवाई को लेकर जबरदस्त विरोध की खबर के बीच एनआईए की कार्रवाई को लेकर एक बार मोदी सरकार फिर निशाने पर है। देखना है कि अदानी की कंपनियों के विस्तार को लेकर और क्या क्या खबरें आती है। 

राजनीति में खत्म हो चुकी मानववाद को पुर्नजीवित करने की कोशिश...

 राजनीति में खत्म हो चुकी मानववाद को पुर्नजीवित करने की कोशिश... 




अपनी जिस जूती को पहनकर आदमी घर के भीतर इसलिए नहीं जाता कि घर अपवित्र हो जायेंगा, तब दूसरे की जूती को अपने जंघे पर रख लेना भले ही लोगों को राजनीति लगे, लेकिन सच तो यही है कि यही मानवता है जिसका  रास्ते का सफ़र गांधीवाद से शुरू होता है।

मंच से दलित-वंचित के लिए लंबे चौड़े भाषण देना उनके साथ,  उनके काम के साथ उनकी ज़िंदगी जीना आसान नहीं है । क्या कोई नेता सप्ताह नहीं, कुछ घंटे ही वैसी ज़िंदगी बिता सकता है?

धर्म और जाति की राजनीति के इस दौर में जब जन‌कल्याण और मानवता से लोगों ने दूरी बना ली है। सत्ता में बैठे लोगों को वेलफेयर की अवधारणा बकवास लगने लगी हो तब यह बात भाजपा और संघ को भी समझना होगा कि असली धर्म और जाति मानवता ही है जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ कर रखती है।

क्या मोची की दुकान पर आकर उसने बातचीत करते हुए उसके काम को समझ लेना ही गांधी है ? नहीं क़तई नहीं..।

लेकिन यह गांधीवाद का एक रास्ता है।

 जरा सोचिये कि एक सामान्य घर का लड़का यदि चाय बेचने की बात बताकर खुद को महान होने का दंभ भरता है तो वह कितना महान होगा जिसकी तीन पीढ़ियां इस देश में सत्ता संभाली हो वह कभी बढ़ई के पास काम सीखने लगता है तो कभी गैराज में जाकर मोटर साइकिल बनाता है तो कभी किसान के साथ खेत में, और इसमें भी उसका मन नहीं भरता तो मोची की दुकान में पहुंचकर जूते बनाने की बारिकियां सीखने लगता है।

इसे कोई फोटो आपुर्चनिटी भी कह सकता है लेकिन यह दलितों और वंचितों को राजनीति में प्रासंगिक बनाये रखने का एक मात्र जरिया है।

गांधी इसलिए महात्मा हुए क्योंकि वे शौचालय की सफाई और सङ्‌क में झाडू लगाने से परहेज नहीं करते थे महात्मा ने सच का प्रयोग किया, सादगी के साथ जन सेवा को आत्म सात किया।

नेहरू इसलिए लोकदेव नहीं कहलाये कि विनेबा भावे ने उन्हें यह तमगा  दिया बल्कि नेहरू इसलिए लोकदेव कहे जाने लगे कि वे आजादी के बाद के भारत को संभालने में स्वयं को न्यौछावर करने से कभी हिचके नहीं। लाठी डंडा लिये हिंसक भीड़ में सीना ताने घूसते चले जाते थे।

तब राहुल गांधी ने जिस तरह से अपने सरनेम को सार्थक करने में सड़क से लेकर संसद तक समर्पित दिखाई दे रहे हैं यह भारत की पुर्नजागरण का ऐसा दौर है जो  धर्म और जाति के स्थान नाम पर मानवता को स्थापित करता है।