शुक्रवार, 21 मई 2010

कथनी और करनी

छत्तीसगढ़ सरकार की कथनी और करनी का अंतर अब तो साफ-साफ दिखने लगा है। इन दिनों छत्तीसगढ़ भयावह गर्मी से जूझ रहा है। पानी को लेकर सब तरफ त्राहि मचा हुआ है। पार्षद की हालत खराब है और लोग निगम पर पानी के लिए टूट पड़े हैं। सीमित संसाधनों में पानी की आपूर्ति तो की जा रही है लेकिन गिरते जल स्तर ने आम आदमी का होश उड़ा दिया है लेकिन सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश के मुखिया डा. रमन सिंह पानी के लिए चिंता करते नहीं थक रहे हैं लेकिन वे भी दूसरे नेताओं की तरह सिर्फ बयानबाजी पर उतारू है और वास्तविकता इससे परे हैं और यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में राजधानी में जीवन यापन करना कठिन हो जाएगा लेकिन सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है। राजधानी की इस विषय स्थिति पर न तो कोई कार्ययोजना ही तैयार की जा रही है और न ही पर्यावरण प्रेमी ही इस दिशा में काम कर रहे हैं।
पर्यावरण प्रेमी तो बरसात आते ही दो-चार दर्जन वृक्ष लगाकर सरकारी ग्रांट लेने खाना पूर्ति कर लेते हैं सिर्फ बरसात के दिनों में वृक्ष लगाने से राजधानी में पानी की समस्या या प्रदूषण से मुक्ति मिल जाने की सोच ने ही राजधानीवासियों को गर्मी में बदहाल कर रही है। वास्तव में सरकार इस बारे में गंभीर है तो उसे न केवल राजधानी बल्कि छत्तीसगढ क़े सभी जिला मुख्यालयों के लिए कार्य योजना तैयार करना होगा। सरकार सबसे पहले यह तय कर ले कि वह तालाबों और कृषि भूमि को बर्बाद होने नहीं देगी। इस पर कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए अन्यथा आने वाले दिनों में जो भयावहता दिखाई देगी उसकी कल्पना करना ही बेमानी है।
गांवों में तो तालाबों खुदवाई जा रही है लेकिन शहर के तालाबों को पाटकर सरकार क्या करना चाहती है वह तो वही जाने लेकिन पर्यावरण के हिमायती भी सरकारी ग्रांट के लालच में तालाबों को पटते चुपचाप देख रही है। राजधानी में पहले भी रजबंधा तालाब, लेंडी तालाब सहित दर्जनभर तालाबें पाटी जा चुकी है और इसका दुष्परिणाम आज शहर वाले भोग रहे हैं। इन दिनों गौरव पथ के नाम पर तेलीबांधा तालाब और एक मंत्री की जमीन के नाम पर आमापारा स्थित कारी तालाब पाटा जा रहा है महाराज बंध तालाब तो एक भाजपा नेता ही पाट कर प्लाटिंग कर रहा है लगता है इन तालाबों को पाटने वालों को अपनी आने वाली पीढ़ी की चिंता नहीं है। अपनी चिंता में वे इसी तरह तालाब पाटते रहे तो आने वाली पीढ़ियां नारकीय जीवन जीने मजबूर होगी जो आप और हम सब के बच्चे होंगे।

खनिज के चेक पोस्ट से हर माह होती है लाखों कमाई

डेढ़ सौ रुपए प्रति ट्रक में अवैध परिवहन
छत्तीसगढ़ में खनिज विभाग के अफसर इन दिनों अवैध परिवहन की आड़ में लाखों रुपए महिना कमा रहे हैं। इस विभाग के मंत्री डॉ. रमन सिंह को इस बात की फुरसत ही नहीं है कि अवैध परिवहन को रुकवाये। उल्टे अफसर उनके नाम से भी वसूली कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में मची राम नाम की लूट से खनिज विभाग के अफसर लाल हो रहे हैं और सरकार को करोड़ों-अरबों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। बेतरतीब अवैध उत्खनन से गांव वालों की नाराजगी अलग दिखलाई पड़ रही है। रायपुर जिले में अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है इसमें मुख्य रुप से वर्मा बंधुओं और कुलजीत मंजीत जैसे नाम आम लोगों की जुबान पर चढने लगा है जो प्रति ट्रक डेढ़ सौ रुपए देकर अवैध परिवहन करते हैं और यह सब खेल रात के अंधेरे में किया जाता है।
खनिज विभाग के सूत्रों के मुताबिक राजधानी में अवैध परिवहन रोकने मुख्यत: आठ पोस्ट है जिनमें जोरा, माना, पिरदा, उरला, मुरा, कचना मंदिर हसौद शामिल हैं राजधानी में मांग को देखते हुए खनिज विभाग ने अवैध परिवहन रोकने इन आठों स्थानों पर बकायदा सुरक्षा गार्ड बैठाये हैं लेकिन ये अवैध परिवहन रोकने की बजाय प्रति ट्रक डेढ़ सौ रुपए वसूल कर अवैध परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं।
बताया जाता है कि हर रोज रात के अंधेरे में डेढ़ दो सौ ट्रकों से अवैध परिवहन हो रहा है और खनिज अधिकारियों को इससे हो रही मोटी कमाई की वजह से कोई कुछ नहीं कर रहा है। हालत यह है कि यह बात सभी जानते हैं कि न वर्मा बंधुओं की खदानें हैं और न ही कुलजीत-मंजीत की ही खदाने हैं लेकिन इसके बाद भी इनके द्वारा बड़े पैमाने पर परिवहन कराया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस अवैध परिवहन से खनिज अफसरों को 25 से तीस लाख रुपए महीना मिलता है और इतनी बड़ी राशि के कारण ही अवैध परिवहन को अनुमति दी जाती है।
इधर खनिज विभाग की इस नीति से पट्टाधारी खदान वाले नाराज हैं लेकिन वे चाहकर भी खनिज विभाग के इस खेल का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। एक खदान मालिक का तो कहना है कि जितने बड़े पैमाने पर यहां भर्राशाही और लूट खसोट की जा रही है वैसा किसी विभाग में नहीं होता। यहीं नहीं खदान मालिकों को आए दिन तरह-तरह से प्रताड़ित किए जाते हैं जबकि अवैध रुप से खनिज बेचने वालों को संरक्षण दिया जाता है।बहरहाल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विभाग में ही चल रहे लूट-खसोट को लेकर कई तरह की चर्चा है और ऊपर तक पैसा पहुंचाने की चर्चा ने उनकी छवि पर भी दाग लगाना शुरु कर दिया है और यही हाल रहा तो सरकार को कभी भी भारी मुसिबतों का सामना करना पड़ सकता है।