शुक्रवार, 30 मई 2025

आ गया मोदी सरकार की विफलता का पोस्टर…

आ गया मोदी सरकार की विफलता का पोस्टर…


 यह सिर्फ तस्वीर नहीं, भारत की कूटनीतिक विफलता का पोस्टर है यह तस्वीर आने वाले 10 वर्षों की भू-राजनीतिक दिशा तय कर रही है  और भारत उसमें ग़ायब है। जिन्हें लगता है कि ये सिर्फ एक इवेंट है, वे भूल रहे हैं

अंतरराष्ट्रीय मंचों से अनुपस्थित राष्ट्र, इतिहास में भी अप्रासंगिक हो जाते हैं।

27 मई 2025। स्थान: कुआलालंपुर, मलेशिया।

घटना: ASEAN – GCC – China Summit

20 राष्ट्राध्यक्ष मंच पर, हाथों में हाथ डाले खड़े हैं।

लेकिन भारत... कहीं नहीं है।

भारत, जो भू-राजनीति का पुराना खिलाड़ी था, अब इस वैश्विक मंच पर न तो आमंत्रित है, न प्रासंगिक।

यह तस्वीर एक खामोश तमाचा है उन लोगों के गाल पर जो दिन-रात विश्वगुर का झूठा नारा लगाते हैं।

यह तस्वीर क्या कहती है?

ASEAN (Association of Southeast Asian Nations)  10 प्रमुख एशियाई देश

GCC (Gulf Cooperation Council)  6 प्रमुख अरब देश

और चीन, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्ति

ये सभी एक भविष्य की साझेदारी बना रहे हैं

बिना अमेरिका बिना यूरोप और बिना भारत

भारत कहाँ है? भारत न अमेरिका का मित्र बन पाया, न चीन का।

न खाड़ी का भरोसेमंद साझेदार रहा, न एशिया का नेतृत्वकर्ता।

आज जब दुनिया डॉलर मुक्त लेन-देन की तरफ बढ़ रही है,

ऊर्जा-व्यापार के नए ब्लॉक बन रहे हैं,

सार्वजनिक विकास और तकनीक साझा रणनीति पर विचार हो रहा है 

भारत मंदिर उद्घाटन, जातीय जनगणना, और मुस्लिम विरोधी राजनीति में खोया हुआ है।

 कौन ज़िम्मेदार है?

भारत की विदेश नीति का राजनीतिककरण 

विदेश नीति अब कूटनीति नहीं, इवेंट मैनेजमेंट बन गई है।

वसुधैव कुटुंबकम् के नाम पर खोखली बयानबाज़ी 

जब GCC देश चीन से रणनीतिक साझेदारी करते हैं, भारत बस फोटो पोस्ट करता है।

 शब्दों का अतिरेक, नीतियों का अभाव 

भाषण ज़्यादा, समझौते कम। विदेश यात्राएँ ज़्यादा, अंतरराष्ट्रीय समझदारी कम।

भारत की गिरती वैश्विक साख के प्रमाण

सऊदी अरब और UAE अब भारत से ज़्यादा चीन और तुर्की के करीब हैं।

रूस ने BRICS में भी भारत के बजाय इंडोनेशिया, ईरान, और इथियोपिया को वरीयता दी।

ASEAN में भारत की भूमिका सिर्फ “गेस्ट स्पीकर” तक सीमित है, जबकि चीन स्थायी साझेदार है।

GCC मुद्रा प्रणाली में भारत का कोई नाम नहीं।

Belt & Road Initiative में भारत अनुपस्थित है, और CPEC जैसे प्रोजेक्ट भारत को घेर रहे हैं।

अब वक्त है आंखें खोलने का अगर भारत ने अब भी ध्यान नहीं दिया,

तो यह विश्वगुरु नहीं, विश्व-एकांतवासी बन जाएगा।

अब ज़रूरत है धर्म आधारित राजनीति से निकलकर

 आर्थिक-सामरिक समझौतों पर ध्यान देने की।

इमोशनल राष्ट्रवाद को छोड़कर वास्तविक बहुपक्षीय नीति अपनाने की।

यह तस्वीर आने वाले 10 वर्षों की भू-राजनीतिक दिशा तय कर रही है  और भारत उसमें ग़ायब है।

जिन्हें लगता है कि ये सिर्फ एक इवेंट है, वे भूल रहे हैं:

अंतरराष्ट्रीय मंचों से अनुपस्थित राष्ट्र, इतिहास में भी अप्रासंगिक हो जाते हैं।

अगर आप भी मानते हैं कि भारत को अपनी नीति, दिशा और प्राथमिकताएँ बदलनी होंगी 

तो यह पोस्ट शेयर कीजिए।

क्योंकि चुप्पी भी अपराध होती है।

अगर भारत ने अब भी ध्यान नहीं दिया,

तो यह विश्वगुर  नहीं, विश्व-एकांतवासी बन जाएगा।

अब ज़रूरत है धर्म आधारित राजनीति से निकलकर

 आर्थिक-सामरिक समझौतों पर ध्यान देने की।

इमोशनल राष्ट्रवाद को छोड़कर  वास्तविक बहुपक्षीय नीति अपनाने की।साभार