बुधवार, 7 जुलाई 2010

चापलूस पुलिसिये दूसरे विभाग में फिर कमी का रोना क्यों...?

एक तरफ छत्तीसगढ़ पुलिस में अफसरों की कमी का रोना रोया जा रहा है वहीं आधा दर्जन पुलिस अफसर दूसरे विभाग के मालदार विभाग में मलाई खाने में व्यस्त है। ऐसे में सरकार का कमी का रोना उसकी मानसिकता को ही प्रदर्शित करता है।
छत्तीसगढ़ में अफसर राज किस कदर हावी है यह किसी से छिपा नहीं है। गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पहले ही एसपी को निकम्मा और कलेक्टर को दलाल कह कर पोल खोल चुके हैं ऊपर से जी हुजूरी और महिना पहुंचाने वाले पुलिस अफसर अन्य विभाग के मलाईदार पदों पर बैठकर चापलूसी की सारी सीमाएं लांघने में लगे हैं।
हाल ही में सरकार के तरफ से यह बयान आया कि पुलिस विभाग में अफसरों की कमी है आश्चर्य का विषय तो यह है कि जब पुलिस विभाग में अफसरों की कमी है तब इस विभाग के आधा दर्जन अफसरों को सरकार दूसरे विभाग में बिठाकर क्यों रखी है उन्हें मूल विभाग में वापस क्यों नहीं बुला लेती। सूत्रों का दावा है कि मलाईदार विभाग में अपने खास अफसरों को बिठाकर अपनी जेबें भरने की रणनीति के तहत ही प्रतिनियुक्ति का खेल खेला जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन पुलिस अफसरों को दूसरे विभाग में बिठाया गया हैं उनमें मुख्य रुप से राजीव श्रीवास्तव को संस्कृति विभाग में आर.पी. सिंग को खेल में अजात बहादुर शत्रु को परिवहन में बीएस मरावी मुख्य रुप से शामिल है। बहरहाल पुलिस अफसरों की कमी का रोना रोने को लेकर सरकार की यह नीति आश्चर्यजनक है और इसे लेकर आम लोगों में तीखी प्रतिक्रिया है।