मंगलवार, 2 नवंबर 2010

छत्तीसगढ़ के लिए काला अध्याय

 छत्तीसगढ़ में पिछले पखवाड़े भर में जिस तरह से कारनामें हुए वह किसी भी राजनैतिक दल के लिए शर्मनाक तो है ही राजनैतिक दलों की बेशर्मी की हदें भी है। इन दो घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्य निर्माण के समय वीसी शुक्ल के फार्म हाउस और एकात्म परिसर में बृजमोहन अग्रवाल के समर्थकों के द्वारा मचाए हंगामें की याद तो ताजा की ही है साथ ही इससे यह साबित भी हुआ है कि किस तरह से एक नेता के करतूतों से पूरी पार्टी या सरकार को शर्मसार होना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रभारी नारायण सामी पर कालिख पोतने की शर्मनाक घटना की सुर्खियों से छत्तीसगढ़ अभी उभर भी नहीं पाया था कि राज्योत्सव के आयोजकों ने सलमान खान जैसे अपराधिक रिकार्ड वाले को राज्योत्सव में मंच देकर छत्तीसगढ़ को शर्मसार कर दिया। मामला सिर्फ इतना ही होता तो सरकार अपनी करतूतें छुपा लेती लेकिन इससे भी बढक़र शर्मनाक स्थिति तब निर्मित हो गई जब सलमान खान के स्वागत के लिए राज्यपाल मुख्यमंत्री तक को लाईन में लगा दिया गया। इतने में ही मामला शांत नहीं हुआ। इससे बढक़र सलमान खान की वह बोल है जो उन्होंने राज्योत्सव के मंच से कहा। सिर्फ एक कंपनी के विज्ञापन के लिए पहुंचे सलमान खान ने जिस तरह से अपने दस मिनट में जो दमदारी दिखाई वह सरकार के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते है।
सवाल यह भी उठने लगा है कि राज्योत्सव के आयोजन का भार बृजमोहन अग्रवाल जैसे दमदार मंत्री के विभाग के कंधे पर है इसके बाद भी यह शर्मनाक स्थिति निर्मित हुई है। छत्तीसगढ़ व सरकार को शर्मसार करने वाले इस वाक्ये ने कई सवाल उठाए हैं। क्या यह सब बृजमोहन अग्रवाल की सहमति से हुआ है। यह सवाल इसलिए भी उठाए जा रहे हैं क्योंकि इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसा नहीं है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में ऐसा पहली बार हुआ है। इससे ठीक दस साल पहले भी दोनों पार्टियों में दबंगों के समर्थकों के द्वारा इस तरह का कारनामा किया जा चुका है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार में बैठे मंत्री की दमदारी के बावजूद राज्योत्सव जैसे कार्यक्रम में किसी अपराधी को न केवल जगह मिली है बल्कि उसके स्वागत के लिए राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक को लाईन लगानी पड़ी हो। इस मामले में देर से ही सही कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर सीधा हमला किया है।
जब डीजीपी को गुस्सा आया...
सलमान खान जैसे अपराधिक पृष्ठभूमि को बुलाए जाने के बाद राज्योत्सव में पूरी व्यवस्था अस्त व्यस्त रही और इस अव्यवस्था से डीजीपी विश्वरंजन को इतना गुस्सा आया कि वे कार्यक्रम बीच में ही छोडक़र चले गए। जबकि इस समय सलमान खान मंच पर मौजूद थे। इतना ही नहीं उन्हें मनाने पहुंचे जी.एस. बाम्बरा को गाली तक सुननी पड़ी।
लाठी खानी पड़ी...
वैसे तो दाउद और कसाब को भी देखने भीड़ जुट जाती है ऐसे में सलमान खान को देखने वालों की कमी नहीं थी। पुलिस व सरकार की अव्यवस्था के चलते जब भीड़ बढ़ गई तो लाठियां भांजनी पड़ी। कई लोगों की पिटाई हुई। गांव-गांव से आने वाले बाद में सरकार को कोसते वापस लौटे।
मौत कैसे हुई...
राज्योत्सव के पहले ही दिन पोड़ निवासी साहू युवक की मौत हो गई। पहले तो उसकी मौत की करंट लगने को बताया गया लेकिन बाद में यह भी चर्चा हुई कि पुलिस द्वारा लाठी भांजने से हुई भगदड़ के दौरान उसकी मौत हुई। मौत कैसे हुई कोई बोलने को तैयार नहीं है।
वाह रे सरकार...
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्योत्सव में जिस तरह से पटाखे फोड़े वह सरकार की कथी व करनी को तो दर्शाता ही साथ ही प्रदूषण के प्रति सरकार की लापरवाही को भी उजागर करता है। भाजपा सरकार के कई मंत्री व विधायक दीपावली में पटाखा फोडऩे पर होने वाले प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते नहीं थकते लेकिन यही सरकार राज्योत्सव में जिस पैमाने पर पटाखा फोडक़र प्रदूषण फैलाने का काम किया है वह दुखद है।

खनिज के ‘खा’

 लगता है छत्तीसगढ़ सरकार ने खनिज मामले में तय कर लिया है कि खदानों को लीज में देने की बजाय अवैध उत्खनन से पैसा कमाया जाए। तभी तो यहां लीज देने की प्रक्रिया इतना जटिल कर दिया है कि सालों से लीज देने का आवेदन लंबित है। यही नहीं आए दिन खनिज को लेकर नई-नई नीतियां बनाई जाती है ताकि खनिज की चोरी चलता रहे अधिकारियों की जेब गरम होते रहे। चूंकि यह विभाग स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पास है इसलिए भी अधिकारियों की दादागिरी चरम पर है।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह से लूट मची है उसमें खनिज विभाग के अधिकारी भी पीछे नहीं है। खनिज चोरी की बढ़ती घटना से चिंतित नजर आने वाले अधिकारियों की एफआईआर दर्ज कराने की घोषणा भी टांय-टांय फिस्स हो चुका है। एफआईआर कराने की बात तो दूर नई राजधानी जैसे प्रतिबंधित क्षेत्र से भी खनिज चोरी को वह नहीं रोक पाई है।
ज्ञात हो कि नई राजधानी क्षेत्र व उससे लगे गांवों में मुरुम व गिट्टी उत्खनन पर प्रतिबंध है लेकिन आज भी सैकड़ों ट्रके मुरुम व गिट्टी शहर में बेधडक़ परिवहन किया जा रहा है। खनिज नाका तो अवैध उत्खनन को रोकने की बजाय वसूली व कमीशनखोरी का अड्डा बन चुका है। यही नहीं दुर्ग जिले के नंदनी अहिवारा क्षेत्र से भी प्रतिदिन सैकड़ों ट्रकें मुरुम व गिट्टी लेकर रायपुर आ रही है। चूंकि इन दोनों ही क्षेत्रों से आने वाले मुरुम-गिट्टी की कीमत अत्यंत कम है इसलिए भी सडक़ निर्माण से लेकर भवन निर्माण में इसका बेतहाशा उपयोग हो रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि कुम्हारी बीटीओ नाके में 100 रुपए टैक्स वसूलने के बाद भी रायपुर में सस्ते में कैसे आ रहा है यह जांच का विषय है।
इधर उड़ीसा व महासमुंद में खदान चलाने वाले एक व्यापारी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में वही काम कर सकता है जो अवैध काम करेगा हमारे जैसे नियम में काम करने वालों के लिए जगह नहीं है। उन्होंने खदान लीज पर देने की प्रक्रिया को भी घुमावदार बताते हुए यहां तक कहा कि वे यहां की खदान को सिर्फ इसलिए चालू नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनसे बेवजह पैसे मांगे जाते हैं। अवैध उत्खनन करने वालों से सांठगांठ की वजह से ही लीज देने की प्रक्रिया को जटिल किया गया है और लीज लेने का आवेदन देने वालों को आफिस का चक्कर लगवाया जा रहा है।
चर्चा तो यह है कि सैकड़ों एकड़ जमीन लीज पर लेने वालों के लिए पूरा अमला लग जाता है और निजी वन जमीनों तक को लीज पर दे दिया जाता है। इसका उदाहरण पलारी के पास स्थित गांव रिंगनी तथा चुआं, मालूकोना, देवरानी जेठानी नामक गांव तक को लीज पर दे दिया गया है और यह सब मंत्री से लेकर अधिकारियों तक से सांठगांठ कर की जाती है।