स्वामी के वार पर बीजेपी क्यों चुप
भाजपा के धुरंधर प्रवक्ताओं की बोलती बंद…
पिछले कई दिनों से सुब्रह्मण्यम स्वामी के द्वारा दिये जा रहे बयान भले ही मेन मीडिया में मुद्दा न बन पाया हो लेकिन सोशल मीडिया में यह हाहाकारी बन गया है, प्रधानमंत्री मोदी पर हो रहे इस हमले पर बीजेपी के प्रवक्ताओं ने भी चुप्पी ओढ़ ली है तब सवाल कई तरह के उठने लगे हैं कि आख़िर बात बात पर हमला करने में माहिर बीजेपी क्यों चुप है…
पिछले पखवाड़े से डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के पॉडकास्ट इंटरव्यू ने भारतीय राजनीति में तहलका मचा दिया है। उनके नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीखे और सनसनीखेज खुलासे सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहे हैं। स्वामी, जो कभी भाजपा के कद्दावर नेता रहे और मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई, अब उसी नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। उनके बयानों में भ्रष्टाचार, नीतिगत विफलताओं और व्यक्तिगत विश्वासघात जैसे आरोपों ने जनता का ध्यान खींचा है।
स्वामी का दावा है कि मोदी ने उनके विश्वास को तोड़ा और कई मौकों पर राष्ट्रीय हितों से समझौता किया। उन्होंने हरेन पांड्या की मौत से लेकर राम सेतु जैसे मुद्दों पर मोदी के रवैये को कठघरे में खड़ा किया। ये आरोप कोई मामूली नहीं हैं; ये सीधे देश के शीर्ष नेतृत्व की विश्वसनीयता पर चोट करते हैं। फिर भी, मुख्यधारा का मीडिया, जिसे स्वामी "पालतू" कहते हैं, इन खुलासों को छूने से परहेज कर रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर ये बयान वायरल हो रहे हैं, जहां लोग इन्हें साझा कर तीखी बहस छेड़ रहे हैं।
भाजपा की चुप्पी इस मसले पर सबसे चौंकाने वाली है। राहुल गांधी के एक सामान्य सवाल पर आक्रामक जवाब देने वाली पार्टी, जिसमें जे.पी. नड्डा, संबित पात्रा, रविशंकर प्रसाद, सुधांशु त्रिवेदी और अनुराग ठाकुर जैसे प्रवक्ता शामिल हैं, स्वामी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रही। यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या पार्टी स्वामी के प्रभाव और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की गंभीरता से डर रही है? या फिर स्वामी के पास ऐसी जानकारी है, जिसका खुलासा भाजपा के लिए और बड़ा संकट खड़ा कर सकता है?
स्वामी की विश्वसनीयता और उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, उनकी बातों को पूरी तरह खारिज करना मुश्किल है। 2G घोटाले से लेकर नेशनल हेरल्ड केस तक, उन्होंने हमेशा बड़े मुद्दों को बेबाकी से उठाया है। लेकिन उनकी मौजूदा आलोचना को कुछ लोग व्यक्तिगत नाराजगी से जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि उन्हें मोदी सरकार में अहम भूमिका नहीं मिली। फिर भी, उनकी बातों का प्रभाव और भाजपा की चुप्पी इस मसले को और रहस्यमयी बनाती है।
यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि अगर स्वामी के आरोप झूठे हैं, तो भाजपा खुलकर जवाब क्यों नहीं दे रही? और अगर इनमें सच्चाई है, तो क्या देश की जनता को इसका जवाब नहीं मिलना चाहिए? यह चुप्पी न केवल स्वामी के खुलासों को बल दे रही है, बल्कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठा रही है।#साभार)