गुरुवार, 31 जुलाई 2025

महाभियोग-दो जज, दो नीति…

महाभियोग-दो जज, दो नीति…


ग़ज़ब देश है और अजब सत्ता, वैसे भी यह बात घर कर गई है कि क़ानून सिर्फ़ कमज़ोर लोगो के लिये है , पैसा और पहुँच वालों ने क़ानून को किस तरह अपनी जूती का खाल बनाया है यह किसी से छिपा नहीं है , ऐसे में जज द्वय शेखर यादव और यशवंत वर्मा पर चलाये जाने वाले महाभियोग भी क्या पहुँच के आगे घुटने पर आ जाएगा…

दो जज साहिबान हैं जिन पर विपक्ष ने महाभियोग चलाने के लिए मुहीम चलाई है। एक जज हैं यशवंत वर्मा जी, जिन पर भ्रष्टाचार के मामले मे महाभियोग लगाने के लिए आवेदन किया गया है। दूसरे जज हैं शेखर यादव जी, जिन पर विश्व हिन्दू परिषद की सभा में नफ़रती बयान बाज़ी का आरोप है। 


अब सरकार जस्टिस वर्मा जी के विरूद्ध तो कार्रवाई करने की बात तो कर रही है लेकिन जस्टिस यादव जी के मामले में ख़ामोशी अख्तियार किये हुए है। इन दोनों जजों के विरूद्ध एकसाथ कार्रवाई की जानी चाहिए। 


कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने दिनांक 21-07-2025 को जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 63 राज्य सभा सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन किया था। वहीं जस्टिस यादव के विरूद्ध 152 लोक सभा सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन पत्र  दिया था।


जब पूर्व राज्यसभा के सभापति धनखड़ इन महाभियोग पत्र पर बोल रहे थे तब वह स्पष्ट रूप से कह रहे थे कि पर्याप्त संख्या में सदस्यों ने हस्ताक्षरित आवेदन पत्र लिखकर दिये हैं। पार्लियामेंट के एक्ट अनुसार यदि इस तरह से दो आवेदन पत्र दिए जाते हैं तो इसे दोनों सदनों में संयुक्त रूप से देखा जाएगा। इन दोनों आवेदन पत्रों को हाऊस की संपत्ति माना जायेगा।


लेकिन सरकार अब इन आवेदन पत्रों पर कार्रवाई करने से हिचकिचाहट दिखा रही है। इससे सरकार की दोमुंही नीति सामने आ रही है और वह विपक्ष के साथ सहयोग नहीं कर रही है।