बिसाहू दास महंत -जिन्होंने बाँगों बांध का सपना देखा…
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़ियों की उपेक्षा, अपमान की दास्तान तो उस गांधीवादी राजनेता के साथ भी जुड़ी है जिन्होंने जीवंतपर्यन्त अपने को छत्तीसगढ़ के लिये समर्पित कर दिया, कभी चुनाव नहीं हारे और आज़ादी के बाद से 1978 तक विधानसभा मेंछत्तीसगढ़ का नेतृत्व किया। किसानों की पीड़ा को अपनी पीड़ा बनाकर बांगो बांध का न केवल सपना देखा उसे पूरा भी किया कहा जायतो ग़लत नहीं होगा,
राजनीति के गुटबाज़ी ने उन्हें हाशिये पर धकेलने की तमाम कोशिश की लेकिन वे न तो झुके न ही डरे, बल्कि डटे रहे, लड़ते रहे ।
ये थे स्व बिसाहू दास महंत…
तब यहाँ शुक्ल बंधुओं की तूती बोलती थी, उनके समर्थन के बिना राजनीति कितना कठिन था बताने की ज़रूरत नहीं है, और यह सबउनके पुत्र चरण दास महंत को भी आगे जाकर झेलना पड़ा था, चरणदास महंत और उनकी पत्नी ज्योत्सना आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कीराजनीति के चमकदार चेहरे हैं लेकिन आज बात स्व बिसाहू दास की..
बिसाहू दास ही वे नेता थे जिनके दम पर अर्जुन सिंह आगे बढ़े और शायद यही वजह है कि अर्जुन सिंह ने इस परिवार के लिए आगे आकर काम किया, चरण दास की नौकरी, शादी से लेकर एमएलए की टिकिट…
बिसाहू दास महंत (1 अप्रैल 1924 - 23 जुलाई 1978) मध्य प्रदेश के एक सफल राजनीतिज्ञ थे. वह राज्य में कांग्रेस द्वारा निर्मित अबतक के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए क्रमशः एक, दो और तीन कार्यकालों के लिए बारादुवार काप्रतिनिधित्व किया, जिसे अब नया बाराद्वार, नवागढ़ और चांपा के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 1952 में बाराडुवर से 1957 और1962 में नवागढ़ और वर्ष 1967, 1972 और 1977 में चांपा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 1952 में जीतना शुरू करने के बादसे वह कभी चुनाव नहीं हारे, वे लगातार छह बार चुने गए. जब तक उनकी मृत्यु नहीं हुई, वे बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहे. अंतमें कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी मृत्यु हो गई.
किसान थे दिल के करीब :1942 और 1947 के बीच स्व. महंत ने अपने कॉलेज जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इसवजह से सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की और उनकी छात्रवृत्ति को भी खारिज कर दिया था. आगे चलकर वह राजनीति में ऊंचे पदोंपर रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर काम करते हुए उन्होंने किसानों की पीड़ा को समझा और उनके लिए सिंचाई काप्रबंध करने की ठानी. कोरबा जिले में निर्मित प्रदेश के सबसे ऊंचे मिनीमाता बांगो बांध के शिलान्यास का श्रेय उन्हें दिया जाता है. जिससे आज लाखों हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझती है. किसानों अपने खेत की सिंचाई कर पाते हैं.
पुत्र और बहू आगे बढ़ा रहे विरासत :स्वर्गीय बिसाहू दास महंत के दो पुत्रों में डॉ चरणदास महंत भी राजनीति में उतने ही सफल हैं. जितनेकभी बिसाहू दास महंत थे. डॉ चरणदास महंत भी अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री जैसे पदों पर रहे. केंद्र में भी सांसद रहे, वर्तमान में वहछत्तीसगढ़ के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. जबकि चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा सीट से सांसद हैं.