हिन्दी सिनेमा की आख़री ब्लेक एंड व्हाईट फ़िल्म
क्या आप जानते हैं हिन्दी सिनेमा की आख़री ब्लेक एंड व्हाइट फ़िल्म कौन सी थी, सुपर डुपर इस फ़िल्म को फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार तो मिला ही इसके गीत आज भी लोग गुनगुनाते नहीं थकते…
यह फ़िल्म गुजराती भाषा के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है जिसे गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी ने लिखा था जो बीसवीं सदी के शुरुआती काल के प्रसिद्ध गुजराती लेखक थे। इस फ़िल्म को उत्कृष्ट छायांकन और उत्कृष्ट संगीत के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिले थे।[
फ़िल्म की कहानी…
सरस्वती (मनीष) उसकी सौतेली माँ द्वारा उदासीनता के साथ पाला जाता है और फिर भी वह एक उदार व्यक्ति के रूप में बड़ा होता है। उसके अपने विचार हैं जो वह अपने पिता के साथ बांटता नहीं है। उसके पिता उसकी शादी एक अमीर परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की कुमुद (नूतन) के साथ तय कर देते हैं, लेकिन क्रान्तिकारी सरस्वती इस रिश्ते को मंज़ूर नहीं करता है। फिर भी वह कुमुद को चिट्ठी लिखता है और उस ज़माने की रीतियों के विपरीत कुमुद से मिलने चला जाता है। वहाँ उनका प्रेम परवान चढ़ता है और दोनों मंगेतर एक दूसरे के आशिक़ हो जाते हैं। लेकिन तक़दीर को कुछ और ही मंज़ूर है। कुमुद की शादी रमेश देव से हो जाती है जोकि एक बिगड़ा शराबी अमीर आदमी है, वो कुमुद को बहुत तंग करता है उसके वेशया के साथ संबंद है। एक बार एक झगड़े मे उसके साथों खून हो जाता है और उसकी मौत हो जाती है । कुमुद अपने देवर का लालन पोषण करने की ठान लेती है । सरस्वती जोकि अब सन्यासी बनने की तैयारी कर रहा है तब कुमुद उसे समझती है की सन्यासी बनना ठीक नहीं है एक उसके लिए और फिर उसकी बात मान कर सरस्वती कुमुद की छोटी बहन से शादी कर लेता है ।
अब तो आप समझ ही चुके होंगे कि यह फ़िल्म थी सरस्वती चंद्र।
१९६८ में बनी एक काली-सफ़ेद चलचित्र है। इसे गोविन्द सरैया ने निदेशित किया है और इसके मुख्य कलाकार हैं नूतन और मनीष।
फ़िल्म के गीत लिखे थे इंदीवर और संगीत कल्याण जी आनंद जी ने दिये थे।
गीत