श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अंग्रेज और डबल इंजन…
छत्तीसगढ़ में बैठी डबल इंजन की सरकार के मुखिया जब श्यामाप्रसाद मुखर्जी को याद कर रहे थे तब राजधानी के चारों विधायक और सांसद भी एक साथ याद करने की बजाय अपने अपने ढंग से अपनी सुविधा के अनुसार याद का रहे थे तब नई पीढ़ी के लिए यह जानना ज़रूरी है कि आख़िर श्यामा प्रसाद को केवल भाजपाई क्यों याद कर रहे थे…
संलग्न छाया चित्र में एक चेहरा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का है ...
एक अन्य चेहरा जिन्ना का भी है ...
जब कांग्रेस ने अंग्रेजों के विरोध में भारत छोड़ो आंदोलन में शिरकत की थी ...
तब हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग ने अंग्रेजों की मदद से कई सूबों में सरकार बनाई थी ...
दरअसल तब यही दोनों दल हुकूमत ए बरतानिया की दलाली करते नजर आ रहे थे ...
इनाम स्वरूप इन्हीं दोनों के अतिरिक्त सभी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध आयद था ...
देश विभाजन कर अलग पाकिस्तान की मांग करने वाला ए के फजल हक बंगाल का मुख्यमंत्री बना ...
श्यामा प्रसाद मुखर्जी को वित्त मंत्री बनाया गया ...
हालांकि सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाला फॉरवर्ड ब्लॉक बंगाल में इस अद्भुत और परस्पर विरोधी साम्प्रदायिक विचार वाली सरकार को लेकर साथ था ...
मगर उनके भाई सरत चंद्र बोस के विरोध करने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही उन्हें गोली मारने के प्रार्थना अपने अंग्रेज आका से की थी ...
वित्त मंत्री के तौर पर ही इस व्यक्ति ने बंगाल के राज्यपाल को लिखे एक पत्र के अंत में स्पष्ट तौर पर वादा किया कि उनकी सरकार बंगाल में (भारत छोड़ो) आंदोलन को दबाने का कार्य करेगी ...
यह अकेला व्यक्ति बंगाल के विभाजन का भी जिम्मेदार है ...
दो मई 1947 को लार्ड लुईस माउंटबेटन को संबोधित पत्र में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने लिखा था कि भारत का विभाजन हो न हो बंगाल का विभाजन जरूर होना चाहिए ..
बंगाल में आए भीषण अकाल के दौरान लगभग दो लाख बंगालियों की मौत का जिम्मेदार भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी को माना जाता है ...
ख़ैर ये तो इतिहास है अब वर्तमान में देखिए कि राजधानी में शारदा चौक में लगी लगी मूर्ति पर अलग अलग कैसे पहुँचे बीजेपी के नेता…