छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद दूसरी बार नगरीय निकायों के चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने बेशर्मी से पैसे बहाये। जनप्रतिनिधि बनने के लिए टिकिट से लेकर चुनाव जीतने की होड़ में कांग्रेसी और भाजपाईयों ने लोकाचार की सारी सीमाएं लांघ डाली। टिकिट के लिए तो गाली गलौज मारपीट हुई ही बड़े नेताओं को अपमानित तक होना पड़ा। जनसेवा के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में इतना जोश था कि वे मरने-मारने पर उतारू हो गए। यह सब अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है।
टिकिट के बाद तो चुनाव जीतने कई प्रत्याशियों ने लाखों खर्च कर डाले राजधानी में ही मतदाताओं को खुलेआम प्रलोभन दिया गया। ऐसा कोई वार्ड नहीं था जहां शराब की नदियां नहीं बहाई गई हो। कार्यकर्ता चुनाव कार्यालय में जुआं खेलते शराब पीते रहे और आम आदमी सब कुछ देखते सुनते खामोशी ओढ़े रखा।
कांग्रेस और भाजपा जैसी प्रमुख पार्टियां जब चुनाव जीतने इस तरह के हथकंडे अपना रही हो तब भला चुनाव जीतने के बाद वह कैसे भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और जनसेवा का काम करेगी यह समझा जा सकता है। जबकि जो लोग लाखों खर्च कर चुनाव जीतने की स्थिति में हैं वे लोग अभी से खर्च किए गए रकम की वसूली का रुपरेखा तैयार करने लग गए है।
कोई माने या न माने अब तो राजनीति पूरी तरह से व्यवसाय बन चुकी है और चुनाव लड़ने वाले इसे व्यवसायिक इन्वेस्टमेंट के तहत रकम खर्च करता है और चुनाव जीतने के बाद इसकी वसूली में लग जाता है। और जो पार्टियां भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात करता है वह अंधेरगर्दी के सिवाय कुछ नहीं है।
अब तो राजनैतिक पार्टियां खासकर कांग्रेस और भाजपा को भ्रष्टाचार के बारे में बात ही नहीं करनी चाहिए बल्कि छत्तीसगढ़ में बैठी भाजपा सरकार को चाहिए कि वह भ्रष्टाचार को लोकाचार कह कर सभी विभागों में रेट चार्ट रख दे। इसकी शुरुआत वह चाहे तो नगरीय निकायों से शुरु कर सकती है। वह एक रेट चार्ट बना दे कि नक्शा पास कराने के लिए 15 दिन में एक राशि तय कर दे। जन्म प्रमाण पत्र के लिए इतनी राशि, मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए इतनी राशि, ले आऊट के लिए इतनी राशि, सफाई के लिए, नल कनेक्शन के लिए और इसी तरह से अन्य कार्यों के लिए एक निश्चित राशि तय कर दे ताकि यहां काम के लिए आने वाला आदमी निर्धारित फीस के अलावा लोकाचार के लिए राशि दे और कम से कम काम हो जाए। इसके कई फायदे हैं फाईल जल्दी निपटेगा क्योंकि अफसरों को भी मालूम रहेगा कि जितनी फाईल निपटेगा उतनी राशि उसे शाम को अपनी जेब में लेकर जाना है।
इस तरह की बातें कहने का मतलब कतई यह नहीं है कि मैं भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहा हूं लेकिन कांग्रेस और भाजपा में नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर जनसेवा के लिए जिस तरह की होड़ मची है और लाखों रुपए चुनाव में खर्च किए गए उससे तो कम से कम भ्रष्टाचार को लेकर इनसे कोई उम्मीद करना बेमानी होगी।
यह बात मैं इसलिए भी कह रहा हूं क्योंकि भ्रष्टाचार आज लोकाचार हो गया है और लेने वाले व देने वालों में संकोच नहीं होगा तो समय भी बचेगा।
आज छत्तीसगढ में भ्रष्टाचार अपनी गहरी जड़े जमा चुका है। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और सरकार इन आरोपों को राजनीति कहकर खारिज कर रही है यह अंधेरगर्दी नहीं तो और क्या है।
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