शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

किरण के कारनामों पर स्वास्थ्य खराब

बाबूलाल थे तब स्वास्थ्य सचिव
भले ही छत्तीसगढ़ सरकार ने आईएएस बाबूलाल अग्रवाल के कथित पोल खोल की धमकी से उनकी बहाली कर दी हो पर उस समय सीएमओ रहे डा. किरण मल्होत्रा के कारनामों ने पूरे महकमें को हिला दिया है। ऊपर से स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की चुप्पी से आम लोगों के जीवन से जुड़े इस विभाग के जानलेवा कारनामों ने सरकार के लिए कलंक साबित होने लगा है।
स्वास्थ्य विभाग में घपले की कहानी नई नहीं है लम्बे चौड़े बजट वाले विभाग में सचिव से लेकर मंत्री तक पैसा पहुंचाने की खबरों के अलावा काम लोगों के जीवन से खिलवाड़ ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग को पूरे देश में चर्चा में ला दिया है। खासकर स्वास्थ्य सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल के यहां पड़े आयकर के छापे और उसके बाद उनकी तत्काल बहाली से सरकार भी कटघरे में खड़ी है। वैसे तो घोटाले की कहानी यहां नई नहीं है। कहा जाता है कि जब बाबूलाल अग्रवाल इस विभाग के सचिव थे तब भी इस विभाग में संलग्नीकरण, अनुकम्पा नियुक्ति, पल्स पोलियों में फर्जी बील, बिना कार्य के वेतन, बर्खास्त कर्मियों को वेतन तथा फार्मेसिस्ट में नियुक्ति में धांधली सहित मच्छरदानी से लेकर डाफ्टरलर घोटाले भी हुए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दौरान सीएमओ रही डॉ. किरण मलहोत्रा के कारनामें अब सामने आने लगे है। नए स्वास्थ्य सचिव विकास शील की इसमें कितनी रूचि है यह तो पता नहीं लेकिन कहा जाता है कि विधानसभा तक को यहां से गलत जानकारियां दी जाती है। सूत्रों की माने तो यहां 15 से 20 हजार रुपए लेकर 120 कर्मचारियों व अधिकारियों को मूल स्थापना की जगह से जिले के आसपास संलग्न कर दिया गया और संचालक आदेश पर आदेश निकालते गए लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया।
इसी तरह 30 ऐसे कर्मचारी को ड्रेसर, वार्ड बॉय, कूक वाटर मेन के पद पर 15-15 हजार रुपए लेकर संलग्न करने की कहानी की ही जांच की जाए तो कई जेल की सलाखों के पीछे होंगे। बहरहाल स्वास्थ्य विभाग के काले कारनामों पर मंत्री की खामोशी को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
बाक्स......
डेढ़ लाख में गलत
ढंग से अनुकम्पा नियुक्ति
स्वास्थ्य विभाग में घपलेबाजी से पेट नहीं भरने वाले अधिकारियों की करतूत पर स्वास्थ्य सचिव की चुप्पी आश्चर्यजनक है। सरकार ने नियम बनाए हैं कि यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी पर हो तो किसी एक ही मृत्यु पर परिवार वाले को अनुकम्पा नहीं दी जाएगी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में ऐसा नहीं चलता। मामला मयंक सेन को अनुकम्पा नियुक्ति देने का है। सेवकराम सेन छुरा में लेखापाल के पद पर थे तथा उनकी पत्नी कंचन सेन महासमुंद न्यायालय में रीडर के पद है बावजूद सेवकराम की मृत्यु उपरांत मयंक सेन को अनुकम्पा नियुक्ति दे दी गई। इसके पीछे डेढ़ लाख रुपए का लेन देन की चर्चा है।

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