भ्रष्ट अधिकारियों का रौब, लोगों में आक्रोश
आयकर विभाग से लेकर आर्थिक अपराध ब्यूरों हो या अन्य जांच एजेंसियों ने जिस तरह से भ्रष्ट अधिकारियों का खुलासा किया है इसके बाद भी ये लोग पदों पर जमें है तो इसके लिए दोषी कौन है। राजधानी के दो-दो मंत्रियों के रहते भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई नहीं होना, क्या साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि कहीं न कहीं इसके लिए दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत का संरक्षण है। निगम इंजीनियर राठौर का मामला हो या निगम के दूसरे अफसरों का। आरोपों के बाद भी ये लोग अपने पदों पर जमें हुए हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जिस तेजी से विकास होने का दावा किया जा रहा है उससे कहीं अधिक तेजी से अफसरों का व्यक्तिगत विकास अधिक हुआ है। ताजा मामला नगर निगम के इंजीनियर एम.सी. राठौर के यहां पड़े छापे से पता चलता है। आर्थिक अपराध ब्यूरों ने इस इंजीनियर के घर व ठीकानों से ढाई करोड़ से ऊपर की अनुपातहीन संपत्ति जब्त की और आश्चर्य का विषय तो यह है कि अभी तक इस इंजीनियर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि यहां दो-दो मंत्री है और वे निगम क्षेत्र से ही विधायक बनते हैं। आम लोगों में हो रही तीखी प्रतिक्रिया के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि राठौर को कौन बचा रहा है। बृजमोहन अग्रवाल या राजेश मूणत? तेज तर्रार माने जाने वाले कमिश्नर ओपी चौधरी की इस मामले में चुप्पी रहस्यमय है। आर्थिक अपराध ब्यूरों की कार्रवाई के बाद सस्पेंड की उम्मीद तो की ही जा रही थी लेकिन सस्पेंड नहीं किए जाने पर आम प्रतिक्रिया है कि फिर इस तरह की एजेंसी का औचित्य ही क्या है।
इस बीच निगम के अन्य भ्रष्ट अधिकारियों को भी संरक्षण देने का आरोप मंत्रीद्वय पर लगाया जा रहा है। बताया जाता है कि बेक होल लोडर सप्लाई मामले में भी निगम के एक अफसर की भूमिका संदिग्ध रही है और यही वजह है कि इस अफसर को बचाने मामले की लीपीपोती की जा रही है। बताया जाता है कि अवैध काम्प्लेक्सों से लेकर अवैध निर्माण में निगम के कई अफसरों की सीधे जिम्मेदारी की शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं होगा। क्या संरक्षण के दावों को झुठलाया जा सकता है। बहरहाल भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने को लेकर जिस तरह से बृजमोहन और मूणत पर छींटे लग रहे है वे आने वाले दिनों में भाजपा के लिए नई मुसीबत ला सकता है।
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