गुरुवार, 29 मार्च 2012

चौतरफा लूटखसोट...


इन दिनों छत्तीसगढ़ में मची चौतरफा लूट खसोट के चलते आम आदमी हैरान, परेशान है कि आखिर इस शांत प्रदेश का भविष्य क्या होगा। एक के बाद एक लूट डकैती व हत्या ने जहां पुलिस से आम लोगों का भरोसा उठा है। वहीं मंत्रियों व अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते सरकार से भी मोह उठने लगा है।
खेती की जमीनों की बरबादी में लगी इस सरकार ने भले ही गरीबों के लिए कुुछ अच्छी योजनाएं चला रखी हो लेकिन इस राज में कार्रवाई तो पैसा देखकर ही किया जा रहा है। चपरासी लेकर सचिव, सिपाही से लेकर डीजी और पंच से लेकर मुख्यमंत्री के क्रिया कलापों पर जिस तरह से उंगली उठने लगी है वह इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला।
ऐसा नहीं है कि लोगों की चर्चा का विषय सिर्फ रमन सरकार की करतूत है केंद्र में भी बैठी मनमोहन सरकार की करतूतों की कहानी भी जुबान चढऩे लगी है। सरकार चलाने के नाम पर लूट और बेलगाम होते नौकरशाह के चलते आम आदमी क्या करें इस बात को लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है जो न तो लोकतंत्र के लिए ठीक है और न ही सरकार चलाने वालों के लिए ही उचित है।
जिस प्रदेश में यह चर्चा चल निकले कि आखिर ईमानदार क्या करें? यह भयानक रूप कभी भी ले सकता है। राजधानी में ही काम्प्लेक्सों में पार्किंग नहीं है। और पुलिस चालान काटने में व्यस्त है ऐसे में कब तक ऐसे काम्प्लेक्सों के प्रति गुस्सा काबू में रहेगा। खनिज माफिया पड़ोसी राज्य में हत्या कर रहे हैं और यहां भी सरकार से छूट मिली हुई है। आखिर अनिल लूनिया जैसे दबंग लोगों को सरकार बचाते रही तो आम लोग अपने को कब तक ढांढस देते रहेंगे। कचहरी चौक जैसे व्यस्ततम इलाके में राजीव गांधी काम्प्लेक्स पर सिर्फ इसलिए कार्रवाई नहीं हो रही है कि ये लोग पहुंच रखते हैं और जानबुझकर पुलक भट्टाचार्य जैसे अधिकारियों की पदस्थापना कराते हैं ताकि कोई कार्रवाई न हो और जब भी ऐसी बात उठे गरीबों पर कार्रवाई कर ध्यान बंटा दें। वायदा कारोबारी मन्नू नत्थानी का मामला हो या सैकड़ों बच्चों की जिन्दगी से खेलने वाले डाल्फिन के राजेश शर्मा का मामला हो।
आखिर जनता की सब्र की परीक्षा कितने देर ली जा सकती है। पहले ही राजनीतिक दलों ने ेआम लोगों को बांट रखा है। पैसे व पद के मोह में एक बड़ा वर्ग वहीं करता है जो उसकी पार्टी का नेता कहता है। आम आदमी की तकलीफ  से सरकार को कितना लेना देना है यह लोग भी देख रहे हैं। आंदोलन कारी पर लाठिया बरसाई जा रही है या उन्हें जेल में ठूंसा जा रहा है। जमीन अधिग्रहण का विरोध करने वालों पर डकैती का जुर्म दर्ज होने लगा है। और विधानसभा में ऐसे मुद्दों का कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।
चौतरफा मचे इस लूट खसोट इस प्रदेश को कहां ले जायेगी यह तो वक्त की बात है लेकिन आज जो कुछ हो रहा है वह ठीक नहीं हो रहा है।

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