बुधवार, 25 अप्रैल 2012

अंधा बांटे रेवड़ी...

अंधा बांटे रेवड़ी...
 दुर्गा नगर और रवि नगर शिफ्ंिटग  के दौरान जिस तरह के इलेक्ट्रानिक उपकरणों की बाढ़ देखी गई वह कई तरह के सवाल खड़े करते हैं।  इन लोगों को सड़क चौड़ीकरण के लिए हटाकर बीएसयूपी मकान दिया जा रहा है।
 निगम दूर्गा नगर व रविनगर के जिन 298 परिवारों को बीएसयूपी योजना के तहत बने मकान दे रहा है उनमें अधिकांश परिवार गरीबी रेखा की सूची मेें हैं। जिन्हें न केवल मुफ्त में अनाज दिया जा रहा बल्कि एक बत्ती कनेक्शन भी मुफ्त में दिये जा रहे हैं। लेकिन शिफ्ंिटग के दौरान जिस तरह के महंगे सामान इनके घरों से निकला हैं उसे देखकर नहीं लगता कि ये लोग गरीबी रेखा के सूची के लायक है फिर भी इन लोगों का नाम गरीबी रेखा की सूची में दर्ज हैं। और इन्हें वह मकान में शिफ्ट कर दिया गया जिनके ये हकदार ही नहीं हैं। वास्तव मेें केन्द्र सरकार ने बीएसयूपी योजना के तहत मकान देने का जो निर्णय लिया है वह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए है लेकिन यहां तो सिर्फ सड़क बनाने के नाम पर केन्द्र की इस योजना का केवल पलिता लगाया जा रहा है बल्कि वास्तविक लोगों को उसके हक से वंचित किया जा रहा हैं।
  सरकारी योजनाएं बनती किसी के लिए है और इसका फायदा कोई और उठाता है यह प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। वोट की खातिर राजनैतिक कार्यकर्ताओं और शासन की मिली भगत के चलते किस तरह गरीबों की योजनाओं का फायदा उठा रहा है यह दुर्भाग्य ही नहीं घोर आपराधिक कृत्य हैं। सर्वे टीम से लेकर सिफारिस करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की जरुरत हैं।
 वैसे तो गरीबी रेखा कार्ड की फर्जीवाड़ा को लेकर काफी बवाल मचा है लेकिन वोट बैंक की खातिर इनके खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाया।
 एक तरफ सरकार गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी योजना चलाने का वादा कर रही है दूसरी तरफ योजना का लाभ साधन संपन्न लोग ही उठा रहे है। हाल ही मेें ग्राम सुराज के दौरान मुख्यमंत्री ने जिस सुमन को गोद में उठाया था वह सरकार की योजना का पोल खोल रहा है लेकिन इस सबसे लापरवाह सरकार में बैठे लोग और राजनैतक दलों के कार्यकरताओं को इससे कोई लेना देना नहीं हैं।
अंधा बांटे रेवड़ी, अपन-अपन को दे कि तर्ज पर गरीबी रेखा सूची में साधन संपन्न लोगों के नाम शामिल करने की वजह से सरकार के खजाने में डाका तो डाला ही जा रहा वास्तविक लोग भी योजना का लाभ लेने वंचित हो रहे हैं।
रविनगर और दुर्गा नगर में तो मकान शिफ्ंिटग की वजह से सब कुछ दिख गया लेकिन दूसरी बस्तियों मेें भी यही हाल हैं। जो व्यक्ति पार्षदों सर्वेटीम की जी हुजूरी करता है उसका कार्ड आसानी से बन जाते है भले ही वह हकदार न हो लेकिन जो लोग ऐसा नहीं कर पाते ऐसे हकदारों के नाम छुट जाते है। सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाना चाहिए और सर्वे टीम के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि सरकार के इस नीति के चलते ही अमीरो और गरीबों में मनभेद बढ़ा हैं।
                                 

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