मंगलवार, 16 जुलाई 2024

सिर्फ एक पेड़ माँ के नाम पूरा हसदेव माई-बाप के नाम...

 सिर्फ एक पेड़  माँ के नाम 

पूरा हसदेव माई-बाप के नाम...


प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जब मन की बात कार्यक्रम में एक पेड़ माँ के नाम अभियान की शुरुआत की, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस अभियान को शुरु करने का ध्येय क्या है!


वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर मास्टर स्ट्रोक का असल मकसद कुछ और होता है। नोट बंदी का असल मकसद भी विपक्ष को कमजोर  करना था तो इलेक्ट्रॉल बांड का मकसद चंदा-चकारी, जीएस टी का मतलब कापेरिट के कर्जे माफ करना था तो पी एम केयर फण्ड का मकसद वसूली ।

ऐसे में एक पेड़ माँ के नाम का मकसद क्या जंगलों को उद्योगों को सौंप देना है?



यह सवाल इसलिए उठाये जा रहे हैं क्योंकि  प्रधानमंत्री के आव्हान के बाद छत्तीसगढ़ के डबल इंजन की सरकार मे भी एक पेड़ मां के नाम पर एक तरफ महाअभियान छेड़ दिया तो दूसरी तरफ हसदेव अरण्य का 91 हेक्टेयर भूमि  मे पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी।

मध्यमारत का फेफड़ा कहलाने वाले हसदेव की कटाई को लेकर पर्यावरणविद् से लेकर आप आदमी विरोध जता चुके हैं लेकिन मोदी के सबसे खास मित्र गोतम अदानी की कंपनी के आगे डबल इंजन  की सरकार इस कदर नतमस्तक है कि उन्हें न तो जन विरोध की परवाह है और न ही भविष्य में होने वाले भयावह दुष्परिणाम की ही चिंता है।

इस पूरे खेल में छत्तीसगढ़ को क्या मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है लेकिन हसदेव के 91 हेक्टेयर जमीन के नीचे दबे कोयले से जो बिजली बनेगी उससे राजस्थान को रोशनी मिलेगी, अग्रणी राजस्थान के सपने को पूरा करने राजस्थान की डबल इंजन की सरकार का कहा मानकर छत्तीसगढ़  की डबल इंजन की सरखार ने छत्तीसगढ़ का नुकसान पहुँचाने की क्या   शुरु‌कात कर दी है? या फिर यह सब कुछ मित्र-प्रेम का खेल है।


ऐसे में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह कहना क्या मायने रखता   है कि  'कोयला हमारे छत्तीसगढ़ का है, प्रदू‌षण भी हम ही झेलते हैं, ट्रांसपोर्ट ट्रक की सड़‌क दुर्घटना भी हम झेलें, दूसरे राज्यों को बिजली भी हम दें और हम स्वयं बिना बिजली के रहें और हमारा बिजली बिल भी हमको लूटे, यह तो अन्याय है।

लेकिन इस अन्याय से सत्ता को कब मतलब रहा है। और शायद यही वजह है कि एक तरफ़ उस पेड़ को  लगाने की नौटंकी की जा रही है जिनके बचने की कोई गारंटी नहीं है तो दूसरी ताफ मित्र-प्रेम में समू‌चे जंगल को सौंप देने की बद‌नियत…?

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