मंगलवार, 17 सितंबर 2024

फिर मोदी के आगे संघ शरणागत…!

 फिर मोदी के आगे संघ शरणागत !


 नान बायोलाजिकल क्रियेचर के इस दौर में एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ताकत का रौब संघ को  दिखा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अप्रत्यक्ष रुप से आलोचना करने में लगे संघ प्रमुख मोहन भागवत  की लाचारी के कई किस्सों के बीच अब जो क़िस्सा सामने आया है । उसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी किसी और के लिए नान बायोलाजी हो  न हो, संघ के लिए तो है ही।

दरअसल लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जिस तरह से संघ प्रमुख हमलावर थे उसे देखते हुए  स्वयंसेवकों और मोदी विरोधियों में नए तरह की आशा की उम्मीद जगी थी। और जब केरल में आयोजित बैठक  में भाजपाध्यक्ष जेजी नड्‌डा पहुंचे थे तो यह माना जा रहा था कि संघ अब मोदी सत्ता को कड़ा संदेश देगी। लेकिन कहा जाता है कि जेपी नड्‌डा ने ही मोदी का कड़ा संदेश सुनाकर मोहन भागवत की  बोलती बंद कर दी।

सूत्रों की माने तो जेपी नड्डा ने साफ तौर पर कह दिया कि बग़ैर सत्ता के संघ  का कोई मतलब नहीं रहेगा इसलिए आलोचना करने की बजाय अब तक बीजेपी के लिये जिस ताह से संघ काम करती रही है वैसा ही करे। यहीं नहीं राज्यों के चुनाव में भी संघ के लोगों को सक्रिय बनाने की रूपरेखा तैयार कर ले। और अपनी पूरी ताक़त लगाये।

कहा जाता है कि मोदी के इस स्पष्ट संदेश ने संघ प्रमुख को सकते में ला दिया है, क्योंकि एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लगातार हमले से स्वयंसेवकों में घबराहट है और ऐसे में यदि मोदी ने भी हाथ खींच लिया तो मुश्किल बढ़ सकती है । इसलिए इस संदेश के बाद अब संघ ने बैठकों का सिलसिला शुरु करते में ही अपनी भलाई मानकर हरियाणा में वनवासी कल्याण आश्रम की बैठक तय कर ली है। जबकि हरियाणा में आदिवासियों की जनसंख्या क्या  है वह भी अच्छी तरह से जानते है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तीन दिवसीय सम्मेलन का हरियाणा के समालखा में आयोजन होगा। इस सम्मेलन को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण के प्रचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने बताया कि इसमें करीब 80 जनजातियों को बुलाया गया है। इसमें दो हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।मोद पेठकर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय सम्मेलन का 20, 21 और 22 सितंबर को हरियाणा के समालखा में आयोजन किया जाएगा। इसमें 80 जनजातियों को बुलाया गया है, जो अपनी पूजा-पद्धति को सामने रखेंगे। इसमें पूरे भारत के एकता के दर्शन हो पाएंगे। हम चाहते हैं कि समाज तक जनजातीय जीवन के गौरवपूर्ण पूजा-पद्धति को पहुंचाया जाए।



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