नेम प्लेटः इस नफरत से उजड़ जायेंगे दलित-पिछड़े...
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू वोटरों के ध्रुवीकरण को लेकर कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों को नाम पट्टिका लगाने की अनिवार्यता थोपी है उससे मुसलमान कितने प्रभावित होंगे कहना मुश्किल है लेकिन इस आदेश से दलित और पिछड़े वर्ग के दुकामदार जरूर उजड़ जायेंगे, क्योंकि हुए देश में सवर्ण समाज की मानसिकता अब भी नहीं बदली है और आज भी इसी भेदभाव के चलते दलितों की हत्या तक कर दी जाती है।
लोकसभा के बाद विधानसभा के उपचुनाव में हार से बौखलाए भाजपा को यदि हिंदू वोटो के ध्रुवीकारण की तलाश है तो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी दस सीटों पर होने भाले उपचुनाव में स्वयं की कुर्सी बचा लेने का ख़तरा बढ़ गया है। और इसी खतरे को भांपते हुए ही कांवड़ यात्रा मार्ग को लेकर नाम पट्टिका वाला फरमान जारी किया गया है।
लेकिन इस फ़रमान के विरोध में खड़े लोगों को हिन्दू विरोधी तमगा देने से भी हिन्दूवादी संगठन पीछे नहीं है लेकिन क्या नफ़रत से जल रहे हिन्दुवादी इस देश के सच को देखना ही नहीं चाहते।
देश का सच भयावह है, कि आज भी सवर्ण समाज का एक बड़ा तपका दलितों और वंचितों के साथ बैठना तक नहीं चाहता । सिर्फ दलित या अति पिछड़ा वर्ग होने के नाम पर प्रताड़ना का दौर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।गुजरात हो या राजस्थान, मध्यप्रदेश हो या उत्तरप्रदेश, आप किसी भी राज्य का नाम ले लें। सुदूर दक्षिण से लेकर उत्तर तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक अब भी वंचित या पिछड़े वर्ग के दूल्हे के घोड़ी में बैठने मात्र से हत्या की घटना सुनाई पड़ जाती है।
ऐसी परिस्थिति में यदि नाम पट्टिका की अनिवार्यता क्या इन दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को प्रभावित नहीं करेंगी।
भले ही हिन्दूवादी संगठन योगी आदित्यनाथ के इस फैसले में मुसलमानों की पराजय देख रहे हो लेकिन सच तो यह है कि इससे सर्वाधिक प्रभावित दलित और पिछड़े वर्ग के लोग ही होंगे।
क्या इन वर्गो के द्वारा बेचे जा रहे पूजन सामग्री ख़रीदेगा, जब बाजू में ही ब्राम्हण बनिया ठाकुर की दुकान होगी। क्या इनके खाने पीने की सामग्री भी कोई खरीदेगा यदि बगल में ही सवर्गो की दूकान होगी।
सच तो यही है कि योगी आदित्यनाथ ने जिस राजनैतिक उद्देश्य से यह फैसला लिया है उससे मुसलमान कम दलित व पिछड़े ही अधिक प्रभावित होंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें